Air pollution in India: भारत में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, खासकर दिल्ली-एनसीआर और अन्य प्रमुख शहरों में. वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है, जिससे लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है.
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Air pollution in India: भारत में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, खासकर दिल्ली-एनसीआर और अन्य प्रमुख शहरों में. वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है, जिससे लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है. एक नई स्टडी ने प्रदूषण के प्रमुख कारणों पर रोशनी डालते हुए चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं. इस रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में 60% पीएम 2.5 प्रदूषण के पीछे रसोई में खाना पकाने, बिजली उत्पादन, और उद्योगों का योगदान है.
रसोई और बिजली उत्पादन प्रमुख कारण
रिपोर्ट के अनुसार आवासीय भवनों में खाना पकाने के दौरान निकलने वाला धुआं और बिजली उत्पादन के लिए जीवाश्म ईंधन का जलना पीएम 2.5 प्रदूषण के सबसे बड़े कारण हैं. इनसे उत्पन्न उत्सर्जन कुल प्रदूषण में 40-60% योगदान करता है. खाना पकाने और औद्योगिक गतिविधियों के अलावा, लगभग 80% प्रदूषण जीवाश्म ईंधन के जलने से आता है.
क्षेत्रीय प्रदूषण प्रबंधन का नया तरीका
स्टडी में भारत को 15 "एयरशेड" में विभाजित करने की बात कही गई है. एयरशेड एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां वायु की गुणवत्ता हवा के बहाव और प्रदूषण स्रोतों से प्रभावित होती है. इसका उद्देश्य राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करना है ताकि वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए सामूहिक प्रयास किए जा सकें.
बायोमास और परिवहन का योगदान
फसल अवशेष जलाने (बायोमास) को प्रदूषण का एक बड़ा कारण माना जाता है, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक, इसका योगदान सालाना पीएम 2.5 के स्तर में 3% से भी कम है. वहीं, परिवहन का हिस्सा सभी एयरशेड में 5-10% है. इसका मतलब है कि अन्य स्रोत, जैसे खाना पकाने और उद्योग, कहीं ज्यादा बड़े कारण हैं.
पीएम 2.5: सेहत के लिए बड़ा खतरा
पीएम 2.5 सूक्ष्म कण होते हैं जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है. ये इतने छोटे होते हैं कि फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और रक्तप्रवाह में भी पहुंच सकते हैं. इन कणों के कारण हृदय रोग, सांस की बीमारियां, और कैंसर जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने स्वास्थ्य पर गंभीर संकट खड़ा कर दिया है.
15 में से 11 एयरशेड अत्यधिक संवेदनशील
स्टडी में बताया गया है कि भारत के 15 में से 11 एयरशेड वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए बेहद संवेदनशील हैं. इन क्षेत्रों में समन्वित प्रयास और ठोस नीतियों की आवश्यकता है ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके. यह रिपोर्ट 1998 से 2020 तक पीएम 2.5 के स्तर और राज्यवार ऊर्जा खपत के आंकड़ों के गहन विश्लेषण पर आधारित है.
प्रदूषण कम करने के लिए क्या हो सकता है समाधान?
विशेषज्ञों का मानना है कि खाना पकाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग, जीवाश्म ईंधन के विकल्प तलाशना, और उद्योगों में सख्त उत्सर्जन मानकों को लागू करना प्रदूषण कम करने में मदद कर सकता है. इसके साथ ही, राज्यों के बीच समन्वय बढ़ाने और "एयरशेड" दृष्टिकोण अपनाने से दीर्घकालिक समाधान निकाला जा सकता है.
भारत में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर
भारत में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है और इसके लिए मुख्य रूप से रसोई, बिजली उत्पादन और उद्योग जिम्मेदार हैं. रिपोर्ट से साफ है कि प्रदूषण की रोकथाम के लिए सरकार, उद्योग और जनता को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे. साधा प्रयासों के बिना इस संकट से उबरना मुश्किल है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)