India China Hindi News: चीन के पीछे हटने के बाद भारतीय सेना ने आज से डेमचौक एरिया में पेट्रोलिंग शुरू कर दी. चीनी सेना ने इस एरिया में 4 साल से गश्त बाधित कर रखी थी, जिस पर भारत ने दृढ रुख दिखाया और जिनपिंग को अपने कदम पीछे खींचने पड़े.
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Indian Army patrolling in Demchowk area: पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूस में बनी सहमति के बाद पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचौक एरिया में दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट चुकी हैं. इसके साथ ही चीन से खाली कराए गए डेमचौक में भारतीय सेना ने शुक्रवार से फिर पेट्रोलिंग शुरू कर दी. सेना के सूत्रों ने बताया कि देपसांग एरिया में जल्द ही सेना अपनी गश्त शुरू करने जा रही है.
दिवाली पर हुआ मिठाइयों का आदान-प्रदान
इससे पहले सेना के सूत्रों ने बुधवार को बताया था कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गतिरोध वाले दो स्थानों-डेमचोक और देपसांग में दोनों देशों के सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है और जल्द ही इन जगहों पर गश्त शुरू कर दी जाएगी. इसके बाद दिवाली के मौके पर एलएसी पर बने कई सीमा बिंदुओं पर भारत और चीन के सैनिकों ने मिठाइयों का आदान-प्रदान किया. इसे दोनों देशों के संबंधों में एक सकारात्मक आयाम के रूप में देखा जा रहा है.
डेमचौक में भारतीय सेना की गश्त शुरू
सेना के सूत्रों ने बताया कि डेमचोक में गश्त शुरू हो गई है. सूत्रों ने धीरे-धीरे क्षेत्रों और गश्त का स्तर अप्रैल 2020 के पहले के स्तर पर पहुंच सकता है. सूत्रों ने बताया कि गश्त के तौर-तरीकों पर फैसला किया जाना बाकी है. इसके लिए दोनों देशों में स्थानीय कमांडर स्तर पर बातचीत जारी रहेगी.’
ब्रिक्स समिट में निकला सुलह का रास्ता
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 21 अक्टूबर को दिल्ली में कहा कि पिछले कई हफ्तों की बातचीत के बाद भारत और चीन के बीच एक समझौते को अंतिम रूप दिया गया है और इससे 2020 में उपजे मुद्दों का समाधान निकलेगा. इस फैसले को पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त और सैनिकों को पीछे हटाने के लिए दोनों देशों के बीच बनी सहमति को चार साल से अधिक समय से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा गया.
निचले स्तर पर पहुंचे दोनों देशों के संबंध
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए थे. इसके बाद दोनों देशों ने तोपखाने, टैंक और लड़ाकू जेट विमानों के साथ हजारों सैन्य कर्मियों को ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाके में तैनात कर दिया था. पूर्वी लद्दाख में यह टकराव करीब 4 साल तक चला, जिसका असर दोनों देशों के संबंधों में साफ नजर आया. भारत की दृढता और सीमा पर मजबूती से टिके रहने की नीति ने आखिरकार चीन को बातचीत के लिए मजबूर कर दिया.
(एजेंसी भाषा)