Bihar News: बिहार में अब NDA की सरकार बिना किसी दिक्कत के चलती रहेगी. लेकिन बीजेपी नेतृत्व के सामने बिहार में एक नई समस्या आ खड़ी हुई है. एनडीए के नाराज विधायकों को मनाने में फिलहाल तो आलाकमान सफल हो गया है. लेकिन यह कहना मुश्किल है कि करार पूरा न होने पर ये दल में बने ही रहेंगे.
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Nitish Kumar Vs Tejashwi Yadav: बिहार में तमाम कोशिशों के बाद भी लालू यादव और तेजस्वी यादव खेला नहीं कर पाए. बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार सरकार ने आसानी से विश्वास मत हासिल कर लिया लेकिन वोटिंग से पहले ही विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया. ये देखकर विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने ध्वनि मत से प्रस्ताव पास कर दिया. लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से मांग की गई कि वोटिंग कराई जाए ताकि पता चल जाए कि सरकार के पक्ष में कितने विधायक हैं. इसके बाद वोटिंग कराई गई. सरकार के पक्ष में 129 वोट पड़े, तो विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा क्योंकि विपक्ष के सभी विधायक सदन के बाहर चले गए थे.
क्या दल में बने रहेंगे नेता?
इसके साथ ही बिहार में अब NDA की सरकार बिना किसी दिक्कत के चलती रहेगी. लेकिन बीजेपी नेतृत्व के सामने बिहार में एक नई समस्या आ खड़ी हुई है. एनडीए के नाराज विधायकों को मनाने में फिलहाल तो आलाकमान सफल हो गया है. लेकिन यह कहना मुश्किल है कि करार पूरा न होने पर ये दल में बने ही रहेंगे. दरअसल जेडीयू विधायक डॉ. संजीव गोवा, पटना होते हुए नवादा पहुंच गए थे. वहां से उन्हें लाया गया. उन्होंने सोमवार को कहा, 'पुलिस ने मुझे ढाई घंटे तक रोक रखा था, इसलिए सदन में पहुंचने में देरी हुई. डॉ. संजीव ने कहा कि प्रशासन में भ्रष्टाचार से वह नाराज थे. सीएम नीतीश कुमार को मैंने बता दिया. अब मैं उनके पक्ष में मतदान करूंगा.'
JDU विधायक बीमा भारती मंत्री रह चुकी हैं. वह मंत्री न बनाने से ज्यादा इस बात से नाराज थीं कि लेशी सिंह को मंत्री बना दिया गया. उन्हें भी कुछ आश्वासन दिया गया. बीजेपी के विधायक मिश्रीलाल यादव की नाराजगी भी मंत्री न बनाने को लेकर थी. मिश्रीलाल आरजेडी के विधान पार्षद रह चुके हैं. बीजेपी में शामिल हुए. 2020 में विकासशील इंसान पार्टी से चुनाव जीते. फिर बीजेपी में शामिल हुए थे.
कई नेता चल रहे नाराज
बीजेपी की रश्मि वर्मा और भागीरथी देवी ने प्रदेश आलाकमान से चार दिन पहले कहा था कि मंत्री नहीं बनाई गईं तो विश्वास मत के विरोध में मतदान करेंगी. आलाकमान ने उन्हें मंत्री बनाने का स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया, जिसके बाद वह नाराज हो गईं.
जेडीयू के सुदर्शन पूर्व भवन निर्माण मंत्री डॉ. अशोक चौधरी की शेखपुरा में सक्रियता के कारण लंबे समय से नाराज चल रहे हैं. जबकि जेडीयू के दिलीप राय पहले RJD में थे. उन्होंने 2015 में RJD-JDU गठबंधन में चुनाव लड़ा था. उस समय वह RJD से JDU में आ गए थे. सीतामढ़ी से लोकसभा चुनाव लड़ने की उनकी प्रबल इच्छा थी, लेकिन JDU ने वहां से पहले ही विधान परिषद के सभापति देवेशचंद्र ठाकुर को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया, जिससे राय नाउम्मीद हो गए.
मिशन 370 में पड़ ना जाए भंग
बिहार में दल-बदल की राजनीति कोई नई बात नहीं है. लोकसभा चुनाव बेहद करीब हैं. ऐसे में एनडीए कतई नहीं चाहेगा कि ऐन मौके पर कोई भी विधायक या नेता पार्टी छोड़कर जाए. कई चुनावों में देखा गया है कि बीजेपी छोड़कर दूसरी पार्टी में गए नेताओं ने 'खेला' किया है. मिशन 370 को देखते हुए बीजेपी यह रिस्क कभी लेना नहीं चाहेगी. ऐसे में देखना है कि नीतीश कुमार कैबिनेट में मंत्री ना बनाए जाने से नाराज इन नेताओं को आलाकमान कैसे साधेगा.