कैदियों की मौत पर सख्त कोर्ट, रद्द की CID की रिपोर्ट, सीनियर अधिकारों को दिए जांच के आदेश
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कैदियों की मौत पर सख्त कोर्ट, रद्द की CID की रिपोर्ट, सीनियर अधिकारों को दिए जांच के आदेश

Kolkata News: कोलकाता की एक कोर्ट ने कैदियों की मौत पर  CID की जांच रिपोर्ट को रद्द कर दिया है. साथ ही आदेश दिया है कि मामले की जांच CID के वरिष्ठ अधिकारी करें.  

कैदियों की मौत पर सख्त कोर्ट, रद्द की CID की रिपोर्ट, सीनियर अधिकारों को दिए जांच के आदेश

Kolkata News: कोलकाता की एक कोर्ट ने कैदियों की मौत पर सीआईडी जांच के आदेश दिए हैं. साल 2023 में दक्षिण 24 परगना जिले के अलग-अलग पुलिस थानों में चार विचाराधीन कैदियों की मौत हो गई थी. इससे पहले इस मामले की जांच सीआईडी के एक निरीक्षक के द्वारा की गई थी. उसकी रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होने का जिक्र करते हुए कोर्ट ने रद्द कर दिया और अब मौत की नये सिरे से जांच के लिए निरीक्षक से उच्च रैंक के अधिकारी को नामित करने का निर्देश दिया है. जानें पूरा मामला.

अदालत ने कहा कि यह मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को हस्तांतरित करने को इच्छुक नहीं है क्योंकि मामले की जांच राज्य के अपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) के एक उच्च पदस्थ अधिकारी द्वारा की जा सकती है. याचिकाकर्ता ने मामले की जांच सीबीआई को हस्तांतरित करने का अनुरोध किया है. अदालत ने चार विचाराधीन कैदियों की अगस्त 2023 में मौत के मामले की एक निरीक्षक द्वारा तैयार की गई सीआईडी की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होने का जिक्र करते हुए रिपोर्ट रद्द कर दी है. 

पीठ ने कहा कि जांच सीआईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए क्योंकि पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप हैं. अदालत ने कहा कि एडीजी द्वारा नामित अधिकारी ‘‘युवा’’ होना चाहिए और वह ‘‘पूर्व में दिये गए किसी भी बयान से प्रभावित नहीं होगा, बल्कि इस मामले की निष्पक्ष जांच करेगा, भले ही पश्चिम बंगाल पुलिस विभाग के अधिकारियों के खिलाफ आरोप हो. 

पीठ में न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य भी शामिल हैं. बेंच ने निर्देश दिया कि जांच आठ सप्ताह के अंदर पूरी की जाए और उपयुक्त अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल की जाए.‘एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स’ (एपीडीआर) द्वारा याचिका दायर की गई थी, जिसमें 2023 में चार विचाराधीन कैदियों की मौत के कारण की स्वतंत्र जांच का अनुरोध करते हुए इसे सीबीआई को सौंपने का अनुरोध किया गया था.

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि चार विचाराधीन कैदियों की मौत का कारण अस्वभाविक और संदिग्ध है. उन्होंने आरोप लगाया कि दक्षिण 24 परगना जिले के बरुईपुर, महेशतला और बज बज पुलिस थानों में दर्ज विभिन्न मामलों में पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें लगी चोटों के कारण उनकी मौत हुई. पीठ ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में, शरीर पर बाहरी चोटों का स्पष्ट रूप से उल्लेख है. राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि उसने प्रत्येक विचाराधीन कैदी (मृतकों) के परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया है. (भाषा)

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