'दल बदल कानून मजबूत करें, चुनाव में मुफ्त के उपहार खत्म हों..' पूर्व उप-राष्ट्रपति नायडू ने की मांग
Advertisement
trendingNow12218258

'दल बदल कानून मजबूत करें, चुनाव में मुफ्त के उपहार खत्म हों..' पूर्व उप-राष्ट्रपति नायडू ने की मांग

Former Vice President M. Venkaiah Naidu : पूर्व उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का कहना है, कि नेताओं द्वारा बार-बार दल बदलना परेशान करने वाला है. उन्होंने दल-बदल कानून को और मजबूत करने की मांग की है. 

 

M. Venkaiah Naidu

M. Venkaiah Naidu : पूर्व उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने मंगलवार ( 23 अप्रैल ) को एक बड़ा बयान दिया है, उन्होंने कहा है, कि नेताओं द्वारा बार-बार दल बदलना परेशान करने वाला है. उन्होंने दल-बदल कानून को और मजबूत करने को लेकर मांग की है. पद्म पुरस्कार मिलने के बाद अपने आवास पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि चुनाव के दौरान ‘मुफ्त के उपहार’ देने की घोषणा हानिकारक है और इसे हतोत्साहित किया जाना चाहिए. साथ ही लोगों को भी दलों और नेताओं के इन बड़े-बड़े वादों पर सवाल करना चाहिए.

 

 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया

नायडू को सोमवार ( 22 अप्रैल )  शाम राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया. साथ ही उन्होंने कहा, कि दलबदल को हतोत्साहित किया जाना चाहिए. हमें दल-बदल रोधी कानून को मजबूत करना चाहिए. पूर्व उप राष्ट्रपति ने कहा, अब, चिंता की बात यह है कि सार्वजनिक जीवन में मानकों में गिरावट आ रही है. राजनीतिक दलों में, लोग अक्सर अपनी पार्टियां बदलते हैं.

 

नवीनतम प्रवृत्ति यह है, कि लोग सुबह एक पार्टी में होते हैं और शाम को दूसरी पार्टी में शामिल हो जाते हैं और फिर वे अपने नेता की आलोचना करते हैं और दाएं-बाएं बातें कहते हैं, उनमें से कुछ को टिकट मिलने में भी वरीयता मिलती है. उन्होंने कहा, यह बहुत परेशान करने वाली प्रवृत्ति है और लोगों को इससे बचना चाहिए.

 

लोगों को दलों में काम करना चाहिए और अपनी साख साबित करनी चाहिए. अगर कोई पार्टी बदलना चाहता है, तो उसे उस पार्टी द्वारा दिए गए पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और उसके बाद ही दूसरी पार्टी में शामिल होना चाहिए. कोई भी समझ सकता है कि आरोप लगा रहे हैं, लेकिन जो हो रहा है वह आरोप नहीं बल्कि अनुचित व्यवहार है. साथ ही उन्होंने कहा कि एक और अस्वस्थ प्रवृत्ति यह है कि लोग दाएं-बाएं वादे कर रहे हैं, बिना यह सोचे कि पैसा कहां से आएगा, क्योंकि पैसा तो है नहीं.

पूर्व उपराष्ट्रपति ने आगे कहा, कि राजनीतिक दलों को एक घोषणा पत्र जारी करना चाहिए और दूसरा, राज्य की वित्तीय स्थिति के अनुकूल योजनाएं लानी चाहिए और तीसरा, उन्हें बताना चाहिए कि संसाधन कैसे जुटाए जाएंगे और फिर वे उसे कैसे खर्च करना चाहते हैं. साथ ही उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि कैसे सब-कुछ मुफ्त में देना संभव है क्योंकि ‘पैसे पेड़े पर नहीं उगते.’ 

 

मुफ्त के उपहार के खिलाफ नायडू 

नायडू ने कहा कि राज्यों पर लाखों करोड़ रुपये का बोझ है, फिर भी नेता सब-कुछ मुफ्त में देने के वादे कर रहे हैं. उन्होंने कहा, कि मैं मुफ्त के उपहार के खिलाफ हूं. मैं इसके पक्ष में हूं कि दो चीजें शिक्षा और स्वास्थ्य मुफ्त दी जानी चाहिए. शिक्षा और स्वास्थ्य मुफ्त कीजिए और बाकी अन्य से बचें.वे यह नहीं कर रहे हैं.’’

 

राजनीतिक दलों से सवाल करना चाहिए

उन्होंने आगे कहा, कि इस तरह के वादों और मुफ्त सुविधाओं को हतोत्साहित किया जाना चाहिए और राजनीतिक दलों से सवाल करना चाहिए कि आप संसाधन कैसे जुटाने जा रहे हैं. घोषणापत्र और संसाधन जुटाने और राज्य के वित्तीय स्वास्थ्य को लोगों के सामने पेश किया जाना चाहिए.

 

उम्मीदवारों से की अपील

पूर्व उप राष्ट्रपति ने सार्वजनिक जीवन के मानकों में आ रही भारी गिरावट की निंदा करते हुए कहा कि लोग स्वस्थ आलोचना करने के बजाय अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को गाली दे रहे हैं और अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. नायडू ने मतदाताओं से उन उम्मीदवारों को खारिज करने की अपील की जो अश्लील भाषा का इस्तेमाल करते हैं और खुले तौर पर भ्रष्टाचार के लिए जाने जाते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि दलों को दूसरों पर आरोप लगाने के बजाय वैकल्पिक नीतियां पेश करनी चाहिए.

 

आंध्र प्रदेश से जाकर तमिलनाडु बस गए एक धार्मिक संत से मुलाकात का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा कि मुस्लिम मूल के होने के बावजूद वह हर सुबह राम भजन गाते हैं. उन्होंने कहा कि संस्कृति जीने का तरीका है जबकि धर्म प्रार्थना का तरीका. पूर्व उप राष्ट्रपति ने कहा, कि राम देश की संस्कृति हैं और वह धार्मिक व्यक्ति नहीं है. राम एक इंसान के तौर पर, महान शासक के रूप में, महान पिता और पुत्र के रूप में आदर्श हैं, वह मर्यादा पुरुषोत्तम हैं.

 

उन्होंने कहा कि लोगों को उनका संदेश है कि उन्हें सार्वजनिक जीवन में रुचि लेनी चाहिए न केवल राजनीति में, नायडू ने कहा कि उन्होंने राजनीति में उच्च मूल्यों को बनाए रखा है और याद किया कि कैसे उन्होंने सभापति के रूप में राज्यसभा की गरिमा और मर्यादा को बनाए रखने का प्रयास किया था. साथ ही उन्होंने सांसदों को सलाह दी कि वे बहस करें, चर्चा करें और निर्णय लें और सदन की कार्यवाही को बाधित न करें.

 

नायडू ने याद दिलाया कि राज्यसभा के सभापति रहने के दौरान हुए मुख्य क्षणों में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर विधेयक पेश करना और पारित करना था. साथ ही उन्होंने कहा, कि परिणाम सभी के सामने हैं. आज, कश्मीर शांति का स्वर्ग है जो पर्यटकों और निवेश को आकर्षित करता है. पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश प्रगति कर रहा है और कई प्रमुख पश्चिमी शक्तियां राष्ट्र की इस असाधारण विकास को पचा नहीं पा रही हैं. उन्होंने कहा कि भारत के विकास को रोका नहीं जा सकता. 

 

उन्होंने आगे कहा, कि लेकिन साथ ही, वे (प्रमुख पश्चिमी शक्तियां) भारत को नजरअंदाज नहीं कर सकते और उन्हें भारत के साथ संबंध बनाए रखना होगा. वर्तमान स्थिति में भारत को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. नायडू ने कहा, कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं और हमें इसे सबसे स्वस्थ और आदर्श लोकतंत्र बनाने का प्रयास करना चाहिए, यह सभी दलों को सुनिश्चित करना होगा.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news