MP News: मध्य प्रदेश में नगर पालिका का द्वितीय संशोधन अध्यादेश जारी हो गया है. ऐसे में अब तीन साल से पहले नगर पालिका-परिषद के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्तावनहीं लाया जा सकेगा.
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मध्य प्रदेश में नगरीय निकायों को लेकर मोहन सरकार ने बड़ा बदलाव किया था, जिसका अध्यादेश पास हो गया है. जिसके बाद मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों में चुने जाने वाले नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें हटाना अब आसान नहीं होगा. अब तीन साल का कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद ही अविश्वास लाया जा सकेगा. बता दें कि हाल ही मोहन कैबिनेट की तरफ से इस प्रस्ताव को पास किया गया था. जिसके बाद अब इसे प्रस्ताव को लागू कर दिया गया है. मध्य प्रदेश के कई नगरीय निकायों में अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास लाने की तैयारी दिख रही है. ऐसे में यह फैसला उन अध्यक्षों के लिए जरूर राहत भरा होगा.
मोहन कैबिनेट से पास हो गया था प्रस्ताव
दरअसल, मोहन सरकार ने नगर पालिका द्वितीय संशोधन अध्यादेश 2024 के जरिए यह प्रावधान किया है, अब निकाय के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ तीन साल पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा, जबकि अविश्वास प्रस्ताव के लिए तीन चौथाई सदस्यों की सहमति भी जरूरी होगी, तभी वह लागू होगा. मोहन कैबिनेट की पिछली बैठक में यह प्रस्ताव पास हुआ था, राज्यपाल से अनुमति मिलने के बाद यह प्रस्ताव अब प्रदेश में प्रभावी भी हो गया है.
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3 साल में ही आएगा अविश्वास
बता दें कि अब तक मध्य प्रदेश में जो नगर पालिका और परिषदों में नियम चलता था, उसके हिसाब से दो साल के बाद ही अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता था. लेकिन अब इस प्रस्ताव के बाद तीन साल में ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा. नगरपालिका अधिनियम की धारा 43 क की उपधारा (1) में संशोधन करने के बाद यह फैसला राज्य सरकार की तरफ से लिया गया है.
बड़ी संख्या में पार्षदों ने किया था दलबदल
दरअसल, मध्य प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में पार्षदों ने दलबदल किया था. कई पार्षद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे, जबकि कई निर्दलीय पार्षद भी बीजेपी में शामिल हुए थे. मध्य प्रदेश में जुलाई-अगस्त 2022 में नगरीय निकाय चुनाव हुए थे, ऐसे में दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद कई निकायों में अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी थी. कई निकायों में बीजेपी का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष है, लेकिन यहां भी अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी दिख रही थी. ऐसे में सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए सरकार ने अधिनियम में भी ही बदलाव कर दिया. ऐसे में अब अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा.
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