भूपेश बघेल सरकार खरीदे गए गोमूत्र (Cow Urine) से महिला स्वयं सहायता समूह जीवामृत और कीट नियंत्रण उत्पाद तैयार करेंगे. इसके लिए चयनित समूहों को पशु चिकित्सा विभाग और कृषि विज्ञान केंद्रों के सहयोग से ट्रेनिंग दी जाएगी.
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नई दिल्लीः छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) सरकार गोबर के बाद अब गोमूत्र (Cow Urine) की भी खरीद शुरू करने जा रही है. इससे प्रदेश के किसानों, पशुपालकों को काफी फायदा होगा. बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार 28 जुलाई को हरेली त्योहार से गोमूत्र की खरीद शुरू करेगी. छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) का कृषि विकास और किसान कल्याण और जैव प्रौद्योगिकी विभाग गोमूत्र की खरीदी करेगा और गोधन न्याय योजना के तहत ही गोमूत्र की खरीदी की जाएगी. इसके लिए न्यूनतम 4 रुपए प्रति लीटर की दर से राशि प्रस्तावित की गई है.
खरीदे गए गोमूत्र से महिला स्वयं सहायता समूह जीवामृत और कीट नियंत्रण उत्पाद तैयार करेंगे. इसके लिए चयनित समूहों को पशु चिकित्सा विभाग और कृषि विज्ञान केंद्रों के सहयोग से ट्रेनिंग दी जाएगी. गोधन न्याय मिशन के प्रबंध निदेशक अय्याज तंबोली के अनुसार, हर जिले में दो आत्मनिर्भर गौठान गोमूत्र खरीद के लिए अधिकृत किए जाएंगे. इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को गोमूत्र खरीद के लिए सभी तैयारियां पूरी करने के निर्देश दे दिए गए हैं. खरीद के लिए अधिकृत गौठानों और महिला स्वयं सहायता समूहों का चयन कलेक्टरों द्वारा किया जाएगा. इन गौठान प्रबंध समितियों और महिला स्वयं सहायता समूहों को ट्रेनिंग दी जाएगी.
गोमूत्र (Cow Urine) से क्या करेगी सरकार?
सरकार की योजना है कि किसानों, पशुपालकों से गोमूत्र की खरीद कर उससे महिला स्वयं सहायता समूह जीवामृत और गोमूत्र कीट नियंत्रण बनाएंगे और फिर इनका जैविक खेती में इस्तेमाल किया जाएगा. इससे प्रदेश में जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा और पशुपालकों को अतिरिक्त आय भी होगी और महिला स्वयं सहायता समूहों को भी जीवामृत और गोमूत्र कीट नियंत्रण उत्पाद तैयार करने से रोजगार मिलेगा और आय होगी.
गोबर की खरीदी भी कर रही सरकार (Gaudhan Nyay Yojana)
छत्तीसगढ़ सरकार दो साल से राज्य में गोबर की खरीद भी कर रही है. साल 2020 में सरकार ने गोधन न्याय योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत सरकार पशुपालन करने वाले ग्रामीणों से 150 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत का गोबर खरीद चुकी है. वहीं गौठान समितियों और महिला स्वयं सहायता समूहों को गोबर से वर्मी खाद बनाने और उसकी खरीद के लिए 143 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है.