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Kedarnath Temple: उत्तराखंड की ईंट-पत्थरों से छत्तीसगढ़ में बस रहे केदारनाथ, 117 साल पुराना है इतिहास

Kedarnath Temple: देश की राजधानी दिल्ली में श्री केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर का भूमि पूजन किए जाने पर विवाद शुरू हो गया है. शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कई सवाल उठाए हैं. हालांकि, दिल्ली में बनने जा रहा केदारनाथ धाम मंदिर उत्तराखंड के केदारनाथ के अलावा इकलौता मंदिर नहीं है. छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ में भी 4 साल से केदारनाथ की तर्ज पर एक विशाल मंदिर बन रहा है. इस मंदिर का 80 प्रतिशत काम भी पूरा हो गया है. 

 

 

51 फीट का मंदिर

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51 फीट का मंदिर

छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले के मनेंद्रगढ़ में स्थित सिद्ध बाबा पहाड़ पर केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर 1 करोड़ 75 लाख रुपए की लागत से मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. मंदिर की हाइट 51 फीट है. मंदिर का 80 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है.

117 साल पुराना इतिहास

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117 साल पुराना इतिहास

समुद्र तट से करीब 2300 फीट ऊंचे पहाड़ पर 117 साल पहले कोयला खदानों में काम करने आए श्रमिकों ने सिद्ध बाबा मंदिर का निर्माण किया था, जिसके बाद यहां हर साल मकर संक्रांति पर मेले का आयोजन किया जाने लगा था. सिद्ध बाबा धाम में शिव जी के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. 

 

4 साल से चल रहा काम

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4 साल से चल रहा काम

20 फरवरी 2019 से केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर यह मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. बीते चार साल में 80 फीसदी निर्माण पूरा हो चुका है. निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश से ईंटें इस्तेमाल किया गया है. अब मंदिर में रंगरोगन समेत सजावट का काम चल रहा है. मंदिर का निर्माण पूरा होने पर एक साथ 500 भक्त बाबा के दर्शन कर सकेंगे.

केदारनाथ की तर्ज पर बन रहा मंदिर

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केदारनाथ की तर्ज पर बन रहा मंदिर

इस मंदिर समिति के लोगों बताया कि मंदिर का निर्माण केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर बन रहा है, लेकिन मंदिर का नाम सिद्ध बाबा धाम है. 117 साल पुराना मंदिर है. यहां पर सिद्ध संतों ने भी तपस्या कर चुके हैं. 20 फरवरी 2019 से मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. जब हमने इसका निर्माण चालू किया तो लोगों के मन में आया कि 1000 फीट ऊंचे पहाड़ मंदिर है.  इसलिए केदारनाथ दर्ज पर मंदिर का निर्माण चालू किया गया है. 

सिद्ध बाबा के नाम से होगी पहचान

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सिद्ध बाबा के नाम से होगी पहचान

उत्तराखंड में केदारनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. उसका स्थान अलग है और मनेंद्रगढ़ में स्थित सिद्ध बाबा पहाड़ पर केदारनाथ मंदिर की तर्ज बन रहे सिद्ध बाबा धाम इसका एक अलग स्थान है. सैकड़ों वर्ष पुराना मंदिर है. यहां लोगों की आस्था है. लोगों की यहां मनोकामना पूरी होती है. मध्य प्रदेश दूसरे राज्य से दर्शन करने आते हैं.

दिल्ली में निर्माण से नाराज शंकराचार्य

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दिल्ली में निर्माण से नाराज शंकराचार्य

देश की राजधानी दिल्ली में श्री केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर का भूमि पूजन किए जाने पर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने नाराजगी जताते हुए केदारनाथ धाम ट्रस्ट और उत्तराखंड राज्य सरकार से सवाल किया है.

गरिमा और महत्व

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गरिमा और महत्व

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा- आखिर क्यों केदारनाथ धाम के नाम से राजधानी दिल्ली में मंदिर बनाने की जरूरत पड़ रही है. उन्होंने केदारनाथ धाम की गरिमा और महत्व को कम करने का कुत्सित प्रयास बताया. 

 

ज्योतिर्लिंग

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ज्योतिर्लिंग

 शंकराचार्य ने कहा कि मध्य हिमालय स्थित केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इसको पुराण में हिमालय तू केदारम कहा गया है. केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग सतयुग का ज्योतिर्लिंग कहा गया है. कहा कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम के अस्तित्व और महत्व को कम करने की किसी भी योजना को सफल नहीं होने दिया जाएगा. 

विचार

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विचार

शंकराचार्य ने कहा कि एक निजी ट्रस्ट के द्वारा केदारनाथ धाम नाम से मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एवं विधायकों का उपस्थित रहना उचित नहीं है. इसमें उत्तराखंड राज्य सरकार को भी विचार करना चाहिए. 

जनभावना

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जनभावना

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि केदारनाथ धाम नाम से कहीं भी मंदिर की स्थापना नहीं की जा सकती है. यदि वे मंदिर की स्थापना ही करना चाहते हैं तो किसी अन्य नाम से मंदिर स्थापित कर सकते हैं. इसपर कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने संबंधित लोगों को जन भावनाओं का आदर करते हुए इस तरह का कृत्य नहीं करने की सलाह दी.