CM Shivraj Government Failure: मध्य प्रदेश के डिंडौरी में प्रसूता सहायता योजना में बड़ा भर्जीवाड़ा सामने आया है. सबसे खास बात ये की इसकी पुष्टि होने के बाद भी आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
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डिंडौरी/भोपाल से प्रमोद शर्मा और संदीप मिश्रा की रिपोर्ट
CM Shivraj Government Failure: मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले में कागजों पर प्रसव के खेल का खुलासा हुआ है. यहां महिलाओं का कागजो पर कराया गया और प्रसूता सहायता योजना में खुल्ला फर्जीवाड़ा हुआ. प्रशासन की जांच में पुष्टि भी हुई लेकिन, फर्जीवाड़ा करने वालों पर नहीं आई अबतक कोई आंच नहीं पहुंची. शिवराज सरकार जिस प्रसूता सहायता योजना के सहारे प्रसूता महिला को 16 हजार रुपये देने का दवा करती है वो योजना कागजो पर दौड़ती नजर आए रही है.
2022 से हुआ फर्जीवाड़ा अब भी कार्रवाई नहीं
वर्ष 2022 में प्रसूता सहायता योजना से मिलने बाली प्रति प्रसूता महिला को सोलह हजार रुपये की सहायता राशि में फर्जीबाड़ा उजागर हुआ है. डिंडौरी में प्रसव के खेल से स्वास्थ्य महकमे में हड़कम्प मचा हुआ है. विक्रमपुर के ब्लाक मेडिकल आफिसर ने 29 सितम्बर 2022 को मुख्यचिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को जांच करने और दंडात्मक करवाई से सम्बंधित पत्र भी लिखा पर उस कार्यवाही अब तक नहीं हुई है.
क्या है मामला
प्रसूति सहायता योजना में लाभार्थी को 16 हजार रुपए सहायता राशि दी जाती है. गर्भधारण के पश्चात आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य केंद्र में पंजीयन पर 4 हजार और प्रसव उपरांत महिला को 12 हजार रुपए दिए जाते हैं. पंजीयन के समय बनाई गई यूनिक आईडी का उपयोग कर संबंधित राशि महिला के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर कर दी जाती है. लेकिन, कई उपस्वास्थ्य केंद्रों में पंजीयन कर यूनिक आईडी के जरिये कई फर्जी महिलाओं का संस्थागत प्रसव दिखा दिया गया और उनके खातों में सोलह -सोलह हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए गए.
जांच पर जांच के आदेश वो भी अधूरी
विक्रमपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए इस खेल को लेकर जांच के ऊपर कलेक्टर ने इस जांच के लिए जिला पंचायत सीईओ के नेत्रत्व ने कमेटी बनाई पर वो भी अबतक वो अपना काम नहीं कर पाई. हैरत की बात यह है कि दस माह बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं हुई. प्रशासनिक लापरवाही की वजह से फर्जीबाड़े के मास्टर मांइड का अबतक अब तक खुले में अपना खेल खेल रहा है.
बढ़ रही बड़े इनवॉल्बमेंट की आशंका
डिंडौरी में प्रसूती सहायता योजना में बीते तीन साल से फर्जीवाड़ा का खेल फल फूल रहा है. स्वास्थ्य विभाग के अफसर मूकदर्शक बने हुए हैं. इस पर कछुए की चाल में हो रही कार्रवाई इस बात की ओर इशारा कर रही है की सरकार के दावे फेल हो रहे हैं और आशंका इस बाक की भी बढ़ रही है कि इसमें कोई बड़ा इनवॉल्ब हो सकता है.
भ्रष्टाचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं
विक्रमपुर के ब्लाक मेडिकल आफिसर ने 29 सितम्बर 2022 को मुख्यचिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को जांच भेजी है. इसमें 19 कागजों पर प्रसव की पुष्टि की गई है. आशा कार्यकर्ता और हेल्थ वर्करों ने अपने बयानों में साफ लिखा है की हमने इन महिलाओं की डिलेवरी नहीं कराई है. बाबजूद इसके अबतक भ्रष्टाचार के खेल के खिलाडियों पर आंच नहीं आई है.
25 लोगों को दी गई राशि
इधर जांच के दौरान उपस्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ हेल्थ वर्करों ने भी लिखित रूप से जानकारी दी है कि फर्जीबाड़े में जिन महिलाओं के नाम सामने आये हैं उनका पंजीयन नहीं किया गया. मुख्यचिकित्सा अधिकारी ने अबतक फर्जीबाड़े में पच्चीस लोगों की जानकारी की बात कही है.
विभाग पर लग रहे आरोप
बसपा नेता असगर सिद्दीकी ने स्वास्थ्य विभाग पर गम्भीर आरोप लगाते हुए फर्जीबाड़े में एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. उन्होंने शिराज सरकार पर भ्रष्टाचार पर बढ़ाबा देने का आरोप लगाया.
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