Gwalior Latest News: ग्वालियर में तानसेन मकबरे के पास एक इमली का पेड़ लगा है.जिसके पत्तों को संगीत प्रेमियों के लिए गले को सुरीला करने वाली जड़ी-बूटी से कम नहीं मानी जाता है.
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करतार सिंह राजपूत/ग्वालियर: तानसेन को दुनिया में अब तक पैदा हुए सबसे सर्वश्रेष्ठ संगीतकारों में से एक माना जाता है और सबसे खास बात यह है कि तानसेन हमारे मध्य प्रदेश के ही थे.इसलिए ग्वालियर में तानसेन समारोह भी किया जाता है और आज हम आपको तानसेन से जुड़ी बहुत ही खास बात बताने वाले हैं.
तानसेन के मकबरे के पास है चमत्कारी इमली का पेड़
गौरतलब है कि 1586 में तानसेन की मृत्यु के बाद उनकी इच्छा के अनुसार मुगल बादशाह अकबर ने मोहम्मद गौस के मकबरे के पास तानसेन का मकबरा बनवाया था.बता दें कि ग्वालियर के तानसेन मकबरे के पास लगा इमली का पेड़ संगीत प्रेमियों के लिए गला सुरीला करने वाली किसी जड़ी बूटी से कम नहीं है. तानसेन इसी पेड़ के नीचे बैठकर संगीत का रियाज करते थे और ध्रुपद के राग सुनाते थे. कहते हैं कि तानसेन इसी इमली के पत्ते खाकर अपनी आवाज को सुरीला करते थे.
पत्ते खाकर कई गायकों ने संगीत की दुनिया में नाम कमाया
खास बात ये है कि कई गायकों ने इसी इमली के पत्ते खाए और संगीत की दुनिया में खूब नाम कमाया.केएल सहगल, पंकज उदास सहित कई गायकों ने तानसेन मकबरे पर लगे इमली के पत्ते खा चुके हैं. पहले इस जगह एक बड़ा पेड़ था, उसकी पत्तियां तो क्या छाल और जड़ों को भी लोग अपने साथ ले गए.
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इमली के पत्तें तानसेन का प्रसाद
बता दें कि सौ साल पुराना पेड़ जब सूख कर खत्म हो गया तो यहां आने वाले संगीत प्रेमियों को निराशा होने लगी.लिहाजा इस स्थान पर इमली के पेड़ को फिर से जिंदा किया गया.इस जगह तानसेन की रूह बसती है, दूर दूर से संगीत प्रेमी यहां आते हैं और इमली के पत्तों को तानसेन का प्रसाद मानकर साथ ले जाते हैं.