International Tiger Day: इस बार बाघों की जो सेंसस रिपोर्ट सितंबर 2022 में सामने आने वाली है, उसमें एमपी अपने टाइगर स्टेट का खिताब बरकरार रख सकता है. साल 2019 में सिर्फ 2 बाघों के अंतर से मध्य प्रदेश ने कर्नाटक से ये दर्जा छीन लिया था.
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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश काफी समय से टाइगर की संख्या के मामले में नंबर 1 पर रहा, फिर कर्नाटक ने ये तमगा एमपी से छीन लिया था. 2019 में फिर से एमपी को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था और अब इस साल भी इसे बरकरार रखने का डाटा सामने आ रहा है.
सितंबर तक आ सकते हैं नतीजे
देहरादून के भारतीय वन्य जीव संस्थान (WWI) ने 2022 में जो टाइगर सेंसेस करवाई है, उसमें एमपी के 1858 फॉरेस्ट बीट में बाघों की मौजूदगी के निशान मिले हैं. इसके नतीजे सितंबर तक आ सकते हैं. एमपी के पास टाइगर स्टेट का तमगा इस साल भी बरकरार रहने की उम्मीद है. यहां बाघों की संख्या को लेकर अच्छे संकेत मिल रहे हैं.
मध्य प्रदेश की 1858 फॉरेस्ट बीट में बाघों की मौजूदगी के निशान
भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून की ओर से करवाये जा रहे राष्ट्रीय बाघ आंकलन 2022 में मध्य प्रदेश की 1858 फॉरेस्ट बीट में बाघों की मौजूदगी के निशान मिले हैं. मध्य प्रदेश की पहचान के लिए टाइगर की आबादी में बढ़ोतरी अच्छा संकेत माना जा रहा है. टाइगर सेंसेस 2018 के नतीजे जुलाई 2019 में जारी हुए थे. उस समय मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 526 बाघ मिले थे. इससे मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा फिर से मिला था.
8 साल तक कर्नाटक रहा था नंबर 1
2018 में एमपी की 432 बीट में ही बाघों की मौजूदगी के निशान मिले थे. केवल 2 बाघ कम होने की वजह से कर्नाटक ने अपना 8 साल पुराना टाइगर स्टेट का दर्जा खो दिया था. एमपी में बाघों की संख्या 625 से अधिक होने की संभावना है.
कुछ ही महीनों में आ सकती है डिटेल रिपोर्ट
जानकारी के मुताबिक, भारतीय वन्य संस्थान की ओर से सितंबर तक बाघों की जनगणना 2022 की रिपोर्ट जारी करने का अनुमान है. पहले शार्ट डिटेल आएगी उसके एक माह बाद विस्तृत विवरण आने की संभावना है.
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