कमलनाथ के एक बयान के खिलाफ जय आदिवासी संगठन जयस ने मोर्चा खोल दिया है. जयस के कार्यकर्ता कमलनाथ के एक बयान का जमकर विरोध कर रहे हैं. बता दें कि यह आदिवासी वर्ग के बीच बड़ी पकड़ रखता है.
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भोपाल। मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. जय आदिवासी संगठन (जयस) भी इस बार पूरी तरह से एक्टिव है. एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के बयान के खिलाफ जयस ने मोर्चा खोल दिया है. जिससे प्रदेश में नए सियासी समीकरण बनते दिख रहे हैं. बता दें कि 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में आदिवासी वर्ग बड़ी भूमिका निभाने वाला है.
DNA वाले बयान के खिलाफ खोला मोर्चा
दरअसल, आदिवासी संगठन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के DNA वाले बयान के खिलाफ नाराज नजर आ रहा है. दरअसल, कमलनाथ ने एक कार्यक्रम में कहा था कि ''जयस का डीएनए कांग्रेस (Congress) का है, जहां भी आदिवासी जिताऊ कैंडिडेट होंगे वहां टिकट दिया जाएगा.'' उनके इसी बयान के खिलाफ जयस के कार्यकर्ता नाराज बताए जा रहे हैं, जिसके विरोध में रतलाम में कल जयस ने कमलनाथ का पुतला फूंका.
कमलनाथ ने क्या कहा था
दरअसल, जयस ने 2023 के विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया था. जयस के इस ऐलान पर कमलनाथ ने कहा कि ''जयस का डीएनए कांग्रेस का है, कमलनाथ ने कहा कि जयस वाले खुद कहते हैं कि हमें बीजेपी को जीतने नहीं देना है, पर हमारे साथ न्याय है. मैं उनकी इस बात से सहमत हूं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि जयस को समझना चाहिए कि संगठन कई धड़ों में बंटा हुआ है. चार से पांच धड़ों में जयस संगठन बंटा है, इससे उसको विधानसभा चुनाव में नुकसान ही पहुंचेगा. इसलिए जहां-जहां भी जयस के उम्मीदवार जिताऊ होंगे, उन्हें वहां से टिकट दिया जाएगा.''
आदिवासी समुदाय में मजबूत पकड़ रखता है जयस संगठन
आदिवासी वर्ग का संगठन जयस आदिवासियों के बीच जयस मजबूत पकड़ रखता है. ऐसे में जयस की नाराजगी कांग्रेस को चुनावी सीजन में भारी पड़ सकती है. दरअसल, कुछ दिन पहले जयस ने भोपाल के मानस भवन में आदिवासी सीटों को लेकर सम्मेलन का आयोजन किया था. जिसमें जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ हीरालाल अलावा ने कहा था कि जयस आगामी विधानसभा चुनाव 2023 की 47 आदिवासी सीटों और अन्य सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जिसके बाद से ही प्रदेश के सियासी हलकों में पारा गर्माया हुआ है.
बन सकते हैं नए समीकरण!
बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में जयस ने कांग्रेस को सपोर्ट किया था. जिससे कांग्रेस को भाजपा के गढ़ मालवा-निमाड़ में अच्छा फायदा हुआ था और यहां कांग्रेस को बीजेपी से ज्यादा सीटें मिली थी. जबकि आदिवासी आरक्षित सीटों पर भी कांग्रेस को अच्छी सफलता मिली थी, जबकि जयस के अध्यक्ष हीरालाल अलावा ने भी कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी. लेकिन 2023 में जयस अकेले ही चुनाव लड़ने का मन बनाती नजर आ रही है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी भी बारीकी से जयस की गतिविधियों पर नजर रख रही है. वहीं चुनाव के समय टिकट के बंटवारे को लेकर जयस का रुख क्या होगा यह अभी साफ नहीं है.