ये एमपी है भाई! यहां के खेत भी होते हैं नशेड़ी; 3 क्ववाटर लगाते ही झूम उठती हैं फसलें
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ये एमपी है भाई! यहां के खेत भी होते हैं नशेड़ी; 3 क्ववाटर लगाते ही झूम उठती हैं फसलें

New Farming Technique in Ratlam: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के किसान फसलों को रोज से बचाने के लिए देसी शराब छिड़कते हैं. किसान हर दो दिनों पर फसलों पर शराब छिड़क रहे हैं. शराब छिड़कते ही लहसुन की फसलें लहलहा कर झूम उठीं हैं. 

ये एमपी है भाई! यहां के खेत भी होते हैं नशेड़ी; 3 क्ववाटर लगाते ही झूम उठती हैं फसलें

New Farming Technique in Ratlam: अब तक आपने इंसनों या फिर जानवरों के शराब पीने या के बारे में सुना होगा, लेकिन मध्य प्रदेश के किसान तो अब फसलों को ही शराब पिलाना शुरू कर दिए हैं. यहां रतलाम जिले के  किसानों ने देसी शराब का इस्तेमाल किया. यहां के किसानों फसलों पर देसी शराब छिड़कने को लेकर जो दावा कर रहे हैं, उसे सुनकर शायद ही आप विश्वास कर पाएं. आइए जानते हैं कि आखिर रतलाम के किसान ऐसा क्यों कर रहे हैं.

शराब से महक रहें लहसुन के खेत
दरअसल, रतलाम जिले के कुछ किसान इस वक्त अपनी लहसुन की फसल में शराब का छिड़काव कर रहे है. ये लहसुन के खेत इन दिनों शराब से महक रहे हैं. इन लहसुन की फसल में 2 दिन छोड़कर शराब का छिड़काव किया जा रहा है, वह भी देसी मदिरा का. यह देखने को मिला है आलोट छेत्र में. यहां धतुरिया गांव में कुछ किसान खेतों में शराब का छिड़काव कर रहे है. किसानों का कहना है कि यह पहली बार नहीं बल्कि पिछले साल भी इसी तरह ये अपनी लहसुन के खेत मे शराब पिला चुके हैं.

जानिए क्या है माजरा?
इस पूरे माज़रे को समझने के लिए जी मीडिया की टीम रतलाम मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर आलोट के पास धतुरिया गांव में पहुंची. खेतों में किसानों से बात कर जाना कि आखिर माजरा क्या है. किसानों ने बताया कि देसी लहसुन में जलेबी नामक रोग लग जाता है, जिसमें लहसुन के पत्ते रोल हो जाते हैं. फिर लहसुन का उत्पादन नहीं होता. यह एक तरह का कीड़ा है, जिसके लगने से लहसुन के खेत खराब होने लगते हैं. हमने यूट्यूब पर एक वीडियो देखा था जिसमें बताया गया था कि खेतों में शराब का छिड़काव करने से इस बीमारी से खेत को बचाया जा सकता है. इसलिए हमने पिछले साल भी खेतो में इसी तरह शराब का छिड़काव किया था, और इस साल भी कर रहे हैं. 

1 बीघा में पड़ती है 3 क्वाटर की जरुरत
किसानों से जब जी मीडिया ने पूछा कि इस बीमारी के लिए कोई कृषि विभाग से आपको जानकारी देने आया या नही, किसानों ने बताया कि कोई नही आता है हमे खुद ही अपना जुगाड़ लगाकर का खेतो को बचाना पड़ता है. किसानों ने खेत मे शराब छिड़काव को लेकर बताया कि 1 बीघा में 3 शराब के क्वाटर की जरूरत पड़ती है, शराब को पहले स्प्रे मशीन में डालते है फिर पानी मिला देते है, और फिर पूरे खेत के छिड़काव कर देते है.

जानिए क्या बोला कृषि विभाग
इधर अलोट छेत्र के कृषि उद्यानिकी विभाग से जब क्षेत्र के किसानों द्वारा शराब छिड़काव को लेकर जानकारी ली गयी, तो उनका कहना था कि, ये किसान इसी तरह अपना प्रेक्टिकल करते हैं. इसका कोई साइंटिफिक कारण नहीं है और ना ही विभाग की और से कोई ऐसी एडवाइजरी दी गयी है. इससे फिलहाल कोई नुकसान नही हुआ है. इसलिए हम इन्हें रोकते भी नहीं हैं. खेत में रोग को लेकर भी उद्यानिकी आलोट प्रभारी ने बताया कि लहसुन में थ्रिप्स नामक एक रोग हो जाता है, जिससे खेतों को बचाना होता है. जिसे गांव वाले जलेबी रोग कहते है क्योंकि इस रोग में पत्ते टेढ़े मेढे हो गोल हो जाते है.

शराब छिड़कना हो सकता है नुकसानदेह
लेकिन अब सवाल यही की किसान जुगाड़ के भरोसे खेती कर रहे है जो इनके लिए काफी नुकसान देह भी हो सकता है. इसके लिए जवाबदार भी अपनी जिम्मेदारी नही निभाते दिख रहे हैं. जबकि इन जवाबदारों को जानकारी है कि ये किसान अपने खेत मे शराब से जुगाड़ कर खेत को रोग से बचाने की जद्दोजहद में हैं. फिलहाल खेत मे शराब से क्या नुकसान क्या फायदा यह तो सामने नहीं आया. लेकिन खेतों को शराब पिलाने का काम जारी है. देखना यह होगा कि क्या कृषि विभाग के जवाबदार इन किसानों को अपने खेत को रोग से बचाने की सही जानकारी देंगे.

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