कहते है भाग्य से अधिक और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं हासिल होता है. ऐसी ही कुछ कहनी मध्यप्रदेश के कुछ स्कूली बच्चों की नजर आ रही है, जिन्हें 5जी के जमाने में आज भी 5 से 6 किलोमीटर का सफर हर दिन पैदल तय करना पड़ता है. ताकि वो पढ़ सके और आगे बढ़ सके.
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MP News: कहते है भाग्य से अधिक और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं हासिल होता है. ऐसी ही कुछ कहनी मध्यप्रदेश के कुछ स्कूली बच्चों की नजर आ रही है, जिन्हें 5जी के जमाने में आज भी 5 से 6 किलोमीटर का सफर हर दिन पैदल तय करना पड़ता है. ताकि वो पढ़ सके और आगे बढ़ सके. इस तरह की तस्वीरें सामने आती हैं तो सवाल खड़ा करना लाजमी है कि मामजी देखिए आपके मध्यप्रदेश में कैसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे बढ़ेगा इंडिया. सरकारी स्कूलों का आभाव है या सरकार के पास ऐसी व्यवस्था नहीं है जो भी है पर इसे सुलझाना जरूरी है, जिससे बच्चे रोजाना इतना पैदल चलने से बच सकें. पढ़िए पूरा मामला
क्या हुआ तेरा वादा
चुनाव से पहले देश के नेताओं के द्वारा कई तरह के लुभावने वादे किए जाते है और सालों से हो रहा है. ऐसे कई वादे मध्यप्रदेश में रही कांग्रेस और बीजेपी की सरकारे कर चुकी हैं. लेकिन बता दें कई बार ये वादे सिर्फ कागजों पर ही रह जाते हैं. यहां बात हो रही है राजगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र में किस तरह शिक्षा के हालात बदहाल नजर आ रहे हैं. स्कूलों में बच्चे 2 घंटे देरी से पहुंचते हैं.जब तक स्कूल की कक्षाएं आधी से ज्यादा पूरी हो चुकी होती हैं. बच्चे स्कूल पहुंचने के लिए 6 किलोमीटर सफर पैदल चलकर करते है. 2 साल से शासन द्वारा दी जाने वाली साइकिल भी बच्चों को नहीं मिल पाई. अगर यहां साइकिल बच्चों को मिल जाए तो शायद उनका 2 घंटे का सफर 10 से 15 मिनट में पूरा हो जाएगा. इस साल भी जिले के सरकारी स्कूलों में आधा सत्र बीत गया, लेकिन अभी तक बच्चों को न गणवेश दी गई है न साइकिल. इससे जहां दूर-दराज के बच्चों को स्कूल पहुंचने में परेशानी आ रही है. तो वहीं अब स्कूलों में बच्चे फटे कपड़ों तक में नजर आ रहे हैं. 3 साल होने को आए, स्कूलों में अब तक बच्चों को साइकिल तक नहीं मिल पाई.
कोविड का हवाला देते हैं जिम्मेदार
जब जी मीडिया की टीम ने जिला शिक्षा अधिकारी से साइकिल और यूनीफॅार्म पर सवाल किया तो उनका कहना है कि 2 साल से बच्चों को साइकिल कोविड के कारण वितरित नहीं हो पाई थी, लेकिन इस साल बच्चों को साइकिल मिले इसकी तैयारी की जा रही है.