Mahakal Ki Sawari: सावन का महीना शुरू होते ही उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर प्रबंधन और जिला प्रशासन ने माकाल की सवारियों की तैयारी कर ली है. इस बार भोलेनाथ की 6 नहीं 10 सवारियां निकलेंगे. जानिए इनकी तारीख और महाकाल के रूप
Mahakal Ki Sawari: सावन का महीना आते ही शिवालयों में भोलेनाथ के भक्तों की भीड़ लगने लगी है. पहले सोमवार से ही उज्जैन में महाकाल की सवारियां निकलना शुरू हो जाएंगी. ये 10 जुलाई से शुरू होकर 11 सितंबर तक चलेंगी. खास बात ये की इस बार मलमास के कारण 6 नहीं 10 सवारियां निकलेंगी. इस दौरान भोलेनाथ अलग-अलग 9 रूपों में भक्तों को दर्शन देंगे. यानिए सवारियों की तारीख.
सावन का महीना शुरू हो गया है. इसके पहले सोमवार से परंपरा अनुसार बाबा महाकाल की सवारी निकलनी शुरू हो जाएगा. इस बार सबसे खास बात ये है की महालाक की 10 सवारियां निकलेंगी. क्योंकि, इस बार एक अतिरिक्त माह जुड़ा हुआ है. जानिए किसी दिन कौन से सवारी में भोलेनाथ किस रूप में दर्शन देंगे.
पहली सवारी 10 जुलाई 2023 को निकलेगी. पहली सवारी में हाथी पर सवार होकर भगवान मनमहेश शहर भ्रमण के लिए निकलेंगे.
दूसरी सवारी 17 जुलाई 2023 को निकलेगी. दूसरी सवारी में पालकी में भगवान चंद्रमौलेश्वर भक्तों को दर्शन देंगे.
तीसरी सवारी 24 जुलाई 2023 को निकलेगी. तीसरी सवारी में गरुड़ पर शिव तांडव स्वरूप में शहर में निकलेंगे.
चौथी सवारी 31 जुलाई 2023 को निकलेगी. चौथी सवारी में नंदी पर सवार होकार भगवान महाकाल का उमा महेश स्वरूप भक्तों को दिखेगा.
पांचवी सवारी 7 अगस्त 2023 को निकलेगी. पांचवी सवारी में बैलगाड़ी पर सवार होकर बाबा माकाल का होलकर स्वरूप दिखेगा.
छठी सवारी 14 अगस्त 2023 को निकलेगी. छठी सवारी में बैलगाड़ी पर घटाटोप स्वरूप में महाकाल भक्तों को दर्शन देंगे.
सातवीं सवारी 21 अगस्त 2023 को निकलेगी. सातवीं सवारी में बाबा महाकाल का जटाशंकर स्वरूप भक्तों को देखने मिलेगा.
आठवीं सवारी 28 अगस्त 2023 को निकलेगी. आठवीं सवारी में कोटेश्वर स्वरूप में महालाक के दर्शन होंगे.
नौवीं सवारी 04 सितंबर 2023 को निकलेगी. नौवीं सवारी में सप्तधान स्वरूप दर्शन देंगे के लिए महालाक शहर में निकलेंगे.
दसवीं और अंतिम सवारी मतलब बाबा महाकाल की शाही सवारी 11 सितंबर 2023 को निकलेगी. शाही सवारी में महालाक सभी दस स्वरूप एक साथ भक्तों को दर्शन देंने के लिए शहर में निकलेंगे.
11 सितंबर को शाही सवारी होगा इस कारण इस दिन भारी संख्या में भक्त महाकाल की सवारी का आनंद लेने के लिए उज्जैन पहुंचेंगे और बाबा की सवारी में शामिल होकर पूण्य लाभ लेंगे. इसके बाद से भक्त फिर एक साल के लिए इंतजार करेंगे.
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