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MP News: एक ऐसा कुंड जिसमें ना तो कभी पानी कम हुआ ना अधिक! दिलचस्प है इसका रहस्य

MP Chhidwanda Devgarh kund Historical News: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में स्थित देवगढ़ कुंड अपनी ऐतिहासिक कहानियों के लिए मशहूर है. इसकी एक खासियत यह भी है कि इस कुंड में पानी न तो कम होता है और न ही ज्यादा. इसमें पारस नामक पत्थर पाया जाता है, इसलिए इसे मोती टांका भी कहते हैं. आइए जानते हैं इस कुंड में क्या खास है.

छिदवांड़ा देवगढ़ कुंड

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छिदवांड़ा देवगढ़ कुंड

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में स्थित देवगढ़ कुंड इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. देवगढ़ किला भले ही अब खंडहर में बदल गया हो, लेकिन यहां एक ऐसा कुंड है जो आज भी रहस्य छुपाए हुए है.

देवगढ़ कुंड को मोती टांका क्यों कहा जाता है

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देवगढ़ कुंड को मोती टांका क्यों कहा जाता है

बता दें कि यह कुंड ऐसा है कि इसमें पानी कभी कम नहीं होता और न ही बढ़ता है. ऐसा माना जाता है कि इस तालाब के अंदर पारसमणि पत्थर है. इसीलिए इसे मोती टांका के नाम से भी जाना जाता है.

पारस पत्थर का रहस्य

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पारस पत्थर का रहस्य

इस कुंड में पारस नाम का एक पत्थर है. जानकारी के लिए बता दें कि जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं तब इस कुंड का पानी खाली करने के लिए बड़े-बड़े पंप लगाए गए थे, लेकिन कुंड का पानी खाली नहीं हुआ.

आर्कियोलॉजी सर्वे के अनुसार

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आर्कियोलॉजी सर्वे के अनुसार

आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार ऊंची पहाड़ी पर स्थित मोतीटांका में प्राकृतिक जल की उपलब्धता हमेशा से लोगों के लिए आश्चर्य का विषय रही है.

इस कुंड का वैज्ञानिक कारण क्या है

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इस कुंड का वैज्ञानिक कारण क्या है

इसकी जांच करने के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक नरम परत है जो इस चट्टान की दो कठोर परतों के बीच आती है. सालों से इसमें जो पानी भरा हुआ था, उसने एक समय में दरार तोड़कर गड्ढे जैसी जगह पर तालाब का रूप ले लिया.

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बता दें कि इस देवगढ़ कुंड के जल का सेवन लोग विभिन्न बीमारियों के लिए करते हैं और इसे पवित्र और चमत्कारी भी मानते हैं.

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इस किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में गोंड शासकों ने करवाया था. गोंड मध्य प्रदेश में रहने वाली एक जनजाति है, जिसने सोलहवीं शताब्दी के आसपास मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कई जगहों पर शासन किया था. देवगढ़ किले की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.