Virupaksha Temple Bilpank: महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा. इस दिन भक्त अपनी मनोकामना लेकर भगवान शिव के चमत्कारी मंदिरों में जाएंगे. आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां अगर आप नि:संतान हैं तो जरुर जाना चाहेंगे. आइए जानते हैं क्या है इस मंदिर की मान्यता...
दरअसल, हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं, उस मंदिर में का शिवलिंग केदारनाथ शिवलिंग की तरह है. इस प्राचीन मंदिर के खंभों की ऐसी भूल भुलैया की अच्छे-अच्छे गणित के ज्ञाता इस मंदिर के 64 खम्बों को एक बार मे नहीं गिन पाते हैं. इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां महाशिवरात्रि के अगले दिन बंटने वाले खीर प्रसाद को खाने से निःसंतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है.
हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह मंदिर एमपी के रतलाम जिले के बिलपांक गांव में मौजूद है. यह मंदिर विरुपाक्ष महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. यह मंदिर रतलाम से करीब 30 किमी दूर बिलपांक गांव में है. यहां महाशिवरात्रि पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
भगवान शिव का यह चमत्कारी मंदिर देश ही नहीं दुनिया भर में फेमस है. इस मंदिर को से भूल भुलैय्या वाला शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है.
विरुपाक्ष महादेव मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी भक्त आता है खाली हाथ नहीं जाता है. वर्षों से इस मंदिर पर महाशिवरात्रि पर यह चमत्करा होता आ रहा है. महाशिवरात्रि पर 5 दिवसीय हवन होता है. लेकिन इस हवन की आहुतियों के दौरान हवन कुंड के ठीक ऊपर खीर के प्रसाद को बांधकर लटकाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस हवन कि आहुतियों से इस खीर के प्रसाद में भगवान विरुपाक्ष महादेव का विशेष आशीर्वाद मिलता है.
विरुपाक्ष महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि के एक दिन बाद यहां खीर प्रसाद बंटता है. इस प्रसाद को वे महिलाएं ग्रहण करती हैं, जिन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हो पा रही है. माना जाता है कि इस प्रसाद से संतान की मनोकामना पूर्ण होती है. गोद भरने पर यहां बच्चों को मिठाईयों से भी तौला जाता है.
यहां की खीर प्रसाद खाने से जिन महिलाओं के संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण हो जाती है. वे यां आकर बच्चों को मिठाईयों से तौलवाती हैं और बच्चे के वजन के बराबर मिठाईयां बंटवाती हैं.
वहीं इस मंदिर की एक और खास विशेषता है इसे भी चमत्कार से कम नहीं माना जाता है. इस मंदिर को भूल भुलैया वाला शिव मंदिर भी कहा जाता है, क्योंकि इस मंदिर में लगे खंभों की एक बार में सही गिनती करना किसी के बस की बात नहीं है. यहां लोग आकर कई बार कोशिश कर चुके हैं कि इन 64 खम्बों की गिनती एक बार में कर लें, लेकिन इन खंभों की सही गिनती एक बार मे करना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकीन है.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और स्थानीय किवदंतियों पर आधारित है.
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