Pitru Paksha Matri Navmi: पितृ पक्ष में मातृ नवमी होती खास, ये है श्राद्ध की सही विधि और महत्व
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Pitru Paksha Matri Navmi: पितृ पक्ष में मातृ नवमी होती खास, ये है श्राद्ध की सही विधि और महत्व

Pitru Paksha Matri Navmi: यूं तो अपने पूर्वजों को याद करने के लिए पितृपक्ष (Pitru Paksha) के पूरे 19 दिन खास हैं, लेकिन इसकी नवमी तिथी बेहद खास होती है. ऐसा इसलिए की इसदिन को मातृ नवमी (Matri Navmi) कहा जाता है.

Pitru Paksha Matri Navmi: पितृ पक्ष में मातृ नवमी होती खास, ये है श्राद्ध की सही विधि और महत्व

Pitru Paksha Matri Navmi: पितृ पक्ष (Pitru Paksha) पितरों को संतुष्ट करने का सबसे अच्छा अवसर होता है. इस दौरान पूरे 15 दिन तक पतरों  के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण (Tarpan) किया जाता है. पितृ पक्ष में नवमी के दिन दिवंगत माताओं, बहुओं और बेटियों का पिंडदान किया जाता है. इस कारण इस दिन को हिंदू परंपराओं में बेहत खास माना जाता है. इसी कारण इस दिन को मातृ नवमी (Matri Navmi) के रूप में जाना जाता है.

मातृ नवमी को क्या होता है?
मातृ नवमी अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को पड़ती है. इस दिन दिवंगत माताओं, बहुओं और बेटियों का पिंडदान किया जाता है. पितृ पक्ष के सभी दिन महत्वपूर्ण माने गए हैं, लेकिन नवमी तिथि का अपना एक विशेष महत्व है. इसी महत्व के कारण इसे मातृनवमी और सौभाग्यवतीनां श्राद्ध तिथि भी कहा गया है.

कब है मातृ नवनी का मुहूर्त
पौराणिक मान्यता के अनुसार, मातृ नवमी पर पितरों के निमित्त श्राद्ध करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है. इस साल अश्विन माह की नवमी तिथि 19 सितंबर को है. नवमी तिथि 18 सितंबर की शाम 4:30 बजे से लेकर 19 सितंबर की शाम 6:30 बजे तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार 19 सितंबर को मातृ नवमी का श्राद्ध किया जाएगा.

मातृ नवमी के दिन क्या करें?
- सुबह जल्दी स्नान करने के बाद सफेद कपड़े पहने चाहिए
- घर की दक्षिण दिशा में एक चौकी पर सफेद आसन में मृत परिजन की फोटो रख काले तिल का दीपक जलाएं
- मृत परिजन को गंगाजल और तुलसी दल अर्पित कर गरुड़ पुराण या श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करे
- श्राद्ध करने के बाद मृत परिजन के लिए भोजन का अंश निकालें
- गाय, कौआ, चींटी, चिड़िया और ब्राह्मण के लिए भी भोजन निकालें या कराएं तभी श्राद्ध पूर्ण माना जाएगा
- सुहागन महिलाओं को भोजन करवाना चाहिए और सुहाग सामग्री भी देना चाहिए

मातृ नवनी का महत्व
माना जाता है कि अगर घर की महिला इस दिन पूजा-पाठ और व्रत रखती हैं तो उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा इस दिन दिवंगत माताओं का श्राद्ध करने से उनकी कृपा पूरे परिवार पर बनी रहती है. घर की महिलाओं, बहन, बहुओं और बेटियां को दिवंगत माताओं का आशीर्वाद मिलता है.

(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य पौराणिक और क्षेत्रीय मान्यताओं के अलावा धार्मिक आस्था की जानकारियों पर आधारित है. Zee Media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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