रक्षाबंधन 2022 ( Rakshabandhan 2022 ) 11 अगस्त को अल सुबह ब्रह्म मूहर्त में बाबा महाकाल ( Baba Mahakal ) को विश्व की सबसे बड़ी राखी ( Rakhi ) बांधी जाएगी. इस दौरान महाकालेश्वर भगवान ( Mahakaleshwar ) को सवा लाख लड्डुओं का भोग भी लगाया जाएगा. इसके लिए महाकाल मंदिर समित ने पूरी तैयारी कर ली है.
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राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्यौहार रक्षाबंधन ( Rakshabandhan 2022 ) जिसे विश्व भर में बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस साल राखी ( Rakhi ) का ये त्यौहार 11 अगस्त को मनाया जा रहा है. हमेशा की तरह विश्व प्रसिद्ध एक मात्र दक्षिण मुखी ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल ( Baba Mahakal ) के प्रांगण में इस पर्व को सबसे पहले मनाया जाएगा. इस दौरान महाकालेश्वर भगवान ( Mahakaleshwar ) को विश्व की सबसे पहली और बड़ी राखी बांधी जाएगी और सवा लाख लड्डुओं का भोग भी लगाया जाएगा.
ब्रह्म मूहर्त बाबा महाकाल को बांधी जाएगा राखी
अल सुबह महाकाल के दरबार में पर्व की शुरुआत होगी. ब्रह्म मूहर्त में बाबा महाकाल को पुजारी परिवार की महिलाओं द्वारा राखी बांधी जाएगी. इसके बाद भस्मार्ती होगी और बाबा को सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया जाएगा.
पूरे सावन पुजारी परिवार की महिलाएं रखती हैं व्रत
खास बात यह है कि पूरे सावन माह में पुजारी परिवार की महिलाएं उपवास रख मंगल गान गाते हुए बाबा महाकाल के लिए विशेष राखी तैयार करती हैं, जिसे बांधने के बाद ही बाबा को चढ़ने वाले लड्डू प्रासदी से वृत भी महिलाएं खोलती है. मान्यता है की विश्व भर में सबसे पहले त्योहार की शुरुवात बाबा महाकाल से की जाती है. बड़ी खुशी की बात है कोरोना काल के 2 साल बाद अब भक्त बाबा के साथ पर्व को मनाएंगे.
देश-विदेश में बाबा महाकाल के लिए आती हैं राखियां
हर रोज भस्मार्ती करने वाले पुजारी महेश शर्मा ने कहा 11 अगस्त को सुबह बाबा महाकाल को सबसे पहले राखी बांधी जाएगी. उसके बाद बाबा महाकाल का खास पंचामृत पूजन अभिषेक किया जाएगा. देश भर में कई राज्यों और विदेशों से भी बाबा के लिए राखियां आती हैं. उसके बाद सवा लाख लड्डुओं का बाबा को भोंग लगाया गया जाएगा.
राखी बनाने में उपयोग होने वाली सामग्री
महाकाल के पुजारी महेश ने बताया कि फूल, कागज, जरी, गोटा, पुष्टा व राखी को आकर्षक बनाने के लिए नए-नए आइटम का उपयोग होता है, लेकिन खास यह की इसमें किसी ऐसी सामग्री का उपयोग नहीं किया जाता जिससे प्रकृति को हानि पहुंचे. पर्यावरण के प्रति कोई गलत संदेश न जाए इस बात का राखी बनाने में खास ध्यान रखा जाता है.