कांग्रेस नेता ने लिखा कि "राष्ट्रपति चुनाव में एक आदिवासी महिला उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू का विरोध करना मेरे विचार से बिल्कुल भी उचित नहीं है. पार्टी हाई कमान को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए."
Trending Photos
प्रमोद शर्मा/भोपालः राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार इन दिनों विभिन्न राज्यों का दौरा कर अपने लिए समर्थन जुटा रहे हैं. इस बीच विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का घर में ही विरोध शुरू हो गया है. दरअसल विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा भोपाल पहुंचे. जहां कांग्रेस नेताओं ने यशवंत सिन्हा से मुलाकात के फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए. इस पर कांग्रेस नेता प्रमोद आचार्य भड़क गए.
प्रमोद आचार्य ने ट्विटर पर लिखा कि "ये नौबत आ गई अब, किसी कांग्रेसी को ही लड़ा देते. पंडित मोतीलाल नेहरू से लेकर आज तक कांग्रेस हमेशा शोषित वंचित और आदिवासियों के साथ खड़ी रही है. राष्ट्रपति चुनाव में एक आदिवासी महिला उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू का विरोध करना मेरे विचार से बिल्कुल भी उचित नहीं है. पार्टी हाई कमान को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए."
बता दें कि यशवंत सिन्हा का अधिकांश राजनीतिक जीवन बीजेपी में गुजरा है और वह बीजेपी सरकार में कई अहम मंत्रालय भी संभाल चुके हैं. हालांकि वह मोदी सरकार के खिलाफ मुखर रहे और टीएमसी में शामिल हो गए थे. बीते दिनों जब विपक्ष में राष्ट्रपति पद के लिए उनके नाम पर सहमति बनी तो यशवंत सिन्हा ने टीएमसी से इस्तीफा दे दिया था.
बीजेपी की 2023 पर नजर
राष्ट्रपति चुनाव के सहारे बीजेपी मध्य प्रदेश में 2023 में सत्ता कब्जाने की उम्मीद कर रही है. दरअसल बीजेपी नेतृत्व ने आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. एमपी में आदिवासी वोटबैंक को ही सत्ता की कुंजी माना जाता है, ऐसे में एमपी बीजेपी को उम्मीद है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा मिल सकता है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी आदिवासियों को साधने में जुटी है.
राजनीतिक विश्लेषक गिरिशंकर का कहना है कि आदिवासियों को साधने के लिए आरएसएस और बीजेपी ने बड़ा दांव चला है. अब देखना है कि 2023 तक जनता के जहन में भाजपा ये याद रखवा पाती है या नहीं. वहीं कांग्रेस ने पूर्व में उसे कोसने वाले यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में पार्टी के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं. एमपी में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां आदिवासी हितैषी होने का दावा करती हैं लेकिन द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने से बीजेपी को बढ़त मिलने की पूरी उम्मीद है.