प्यार की निशानी है सांका श्याम मंदिर, जहां आज भी नहीं होती गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी
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प्यार की निशानी है सांका श्याम मंदिर, जहां आज भी नहीं होती गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी

sanka shyam ji temple: नरसिंहगढ़ में श्याम जी सांका मंदिर प्रेम की निशानी के तौर पर माना जाता है. यहां  प्रसिद्ध मंदिर 16-17वीं शताब्दी में राजा संग्राम सिंह (श्याम सिंह) की स्मृति में पत्नी भाग्यवती द्वारा बनाया गया था. 

प्यार की निशानी है सांका श्याम मंदिर, जहां आज भी नहीं होती गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी

अनिल नागर/राजगढ़: राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ में एक स्मारक प्रेम के प्रतीक के रूप में पहचाना जाता है. यहां की खूबसूरती और नक्काशी तो विख्यात है ही साथ ही इससे जुड़े कई रोचक किस्से भी हैं. इसे मालवा का मिनी कश्मीर भी कहा जाता है. नरसिंहगढ़ से 16 किलोमीटर दूर स्थित सांका श्याम मंदिर प्रसिद्ध और प्राचीन माना जाता है. जहां भगवान विष्णु के दस अवतार आपको इस मंदिर में देखने को मिलेंगे. जिसमें कई रहस्य छिपे हुए हैं.

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पत्नी ने याद में बनाया मंदिर 
नरसिंहगढ़ तहसील मुख्यालय से यह 16 किमी दूर चिड़ीखों के पार्वती नदी के पास स्थित ये गांव है. यहां हर साल एक मेला आयोजित किया जाता है और यह प्रसिद्ध मंदिर 16-17वीं शताब्दी में राजा संग्राम सिंह (श्याम सिंह) की स्मृति में पत्नी भाग्यवती द्वारा बनाया गया था. यहां राजा हाजी वली की एक मुगल सैनिक के साथ हुई मुठभेड़ में मौत हो गई थी. यह मंदिर राज्य सरकार द्वारा संरक्षित है. यह मालवी और राजस्थानी प्रभाव को दर्शाती है. दीवार पर कई सुंदर चित्र है. सुंदर और अच्छी तरह से नक्काशीदार पत्थर और ईंटे को मंदिर के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया गया है.

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1500 से अधिक देवी-देवताओं की मूर्तियां
16-17वीं शताब्दी के इस मंदिर में कई इतिहास छिपा है. इस मंदिर को रानी भाग्यवती ने बनवाया था. उसके बाद से ही राजा और रानी की प्रेम की निशानी इस मंदिर को माना जाता है. इस मंदिर इतिहास की दृष्टि से भी काफी महत्व दिया गया है. बताते हैं कि इसमें पंद्रह सौ देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हुई हैं.

गर्भवती महिला की डिलीवरी नहीं होती
आपको जानकर हैरानी होगी कि आज भी इस गांव में गर्भवती महिला की डिलीवरी नहीं होती है. उसके पीछे का कारण ग्रामीण बताते हैं कि पीढ़ियों से उनके गांव में डिलीवरी नहीं होती क्योंकि स्वच्छता खराब होती है. डिलीवरी होने से गांव में इसलिए पूर्वजों ने भी कभी गांव में डिलीवरी नहीं होने दी और आज भी गांव में या मान्यता मानी जा रही है. जिसके चलते गांव के बाहर ही डिलीवरी की जा सके और गांव को स्वच्छ रखा जा सके.

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मालवा का मिनी कश्मीर भी कहा जाता
साका श्याम सिर्फ मंदिर के लिए ही नहीं जाना जाता बल्कि प्रकृति की खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है. बड़ी तादात में हर साल यहां पर पर्यटक चिड़ीखो में बना वन अभ्यारण घूमने आते हैं. मालवा का मिनी कश्मीर कहां जाने वाला नरसिंहगढ़ के आसपास खूबसूरती देखने को मिलती है. मंदिर की खूबसूरती नक्काशी और भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं. प्रकृति के वातावरण का लुत्फ उठाने भी लोग पहुंचते हैं. 

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