vat savitri vart puja muhurat: कल यानी 19 मई गुरुवार को वट सावित्री व्रत रख जाएगा. यदि आप भी वट सावित्री का व्रत रखने वाली हैं तो आज हम आपको कुछ इससे रिलेटेड ऐसे महत्वपूर्ण चीज बता रहे हैं, जिसे व्रत के दौरान यदि आप करती हैं तो आपको व्रत का फल नहीं मिलेगा.
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vat savitri vrat 2023 puja vidhi: ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत मनाया जाता है. इस साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या 19 मई को है. वट सावित्री का व्रत रख कर विधि विधान से पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. लेकिन यदि इस दिन महिलाएं जानें-अनजाने में कुछ गलती कर बैठती हैं तो उनका व्रत पूर्ण नहीं माना जाएगा और आपके पति पर मश्किलों का पहाड़ टूट पड़ सकता है.
वट सावित्री व्रत पूजा मुहूर्त
ज्येष्ठ माह के अमावस्या तिथि कि शुरुआत 18 मई की रात्रि 09 बजकर 3 मिनट से शुरू हो गई है. इसका समापन 19 मई को रात 09 बजकर 22 मिनट पर होगा. वट सावित्री व्रत पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 21 मिनट से लेकर पूरे दिन तक रहेगा.
वट सावित्री व्रत महत्व
वट सावित्रि व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति के सुखी और दीर्घायु के लिए करती हैं. ऐसी मान्यता है कि जो महिलाएं इस दिन विधि विधान पूजा उपाय करती हैं, उनके पति पर कभी संकट नहीं आता है. लेकिन वहीं यदि वो व्रत के नियमों का पालन नहीं करती हैं तो उनके पति पर मुसीबत की पहाड़ टूट पड़ सकती है.
वट सावित्री व्रत के दिन भूलकर भी न करें ये गलती
जो सुहागिन महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखती हैं वे इस दिन गलती से भी अपने पतिदेव से झगड़ा ना करें. वरना आपको व्रत करने का फलन नहीं मिलेगा.
वट सावित्री व्रत के दिन भूलकर भी किसी के प्रति छल करने की योना ना बनाएं और ना तो मन में किसी के बारे में बुरा सोचे. यदि आप गलती से भी ऐसा करते हैं तो आपको व्रत का फल नहीं मिलेगा.
वट सावित्री व्रत यानी ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन गलती से भी घर में लहसुह प्याज वाला भोजन ना बनाएं और ना परिवार में किसी को तामसिक भोजन करने दें.
वट सावित्री का व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन भूल से भी नीले, सफेद और काले रंग की साड़ी ना पहने, वरना आपको वट सावित्री व्रत का फल नहीं मिलेगा.
वट सावित्री व्रत पूजा सामग्री
वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा करने के लिए भीगे काले चने, बांस का पंखा, कलावा, मौसमी फल जैसे आम, लीची, अक्षत, अगरबत्ती, फूल लाल और पीले, केले का पत्ता, मिट्टी का घड़ा, दीप बाती घी, अगरबत्ती, तांबे के लोटे में गंगाजल मिला जल, सिंदूर, रोली और मिठाई लेकर जाएं और विधि विधान से पूजा करें.
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(Disclamer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. Zee Media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)