स्कीम के तहत बुजुर्ग किसान एक लाख पाउंड की भारी-भरकम रकम लेकर खेती के काम को छोड़ सकते हैं. फिर चाहे तो वह अपनी खेती की जमीन को बेच दें या फिर इसे किराए पर दे दें या इस पर पेड़ लगा दें. सरकार की कोशिश है कि युवा खेती की तरफ आएं और साथ ही निवेशक भी जमीन में निवेश करें.
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नई दिल्लीः खेती दुनिया का सबसे पुराना पेशा है. विकास के शुरुआती चरण में ही इंसान ने खेती करना शुरू कर दिया था. कह सकते हैं कि जो इंसानी सभ्यता आज हम देख रहे हैं, उसमें बहुत बड़ा हाथ खेती-किसानी का है लेकिन हाल ही में एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. दरअसल ब्रिटेन में सरकार खेती छोड़ने के लिए लोगों को भारी-भरकम मुआवजा देने की पेशकश कर रही है!
बढ़ती उम्र है वजह
खेती का काम मेहनत का काम है और खासकर विकसित देशों में युवा पीढ़ी का ज्यादा रुझान खेती की तरफ नहीं है. वहीं ब्रिटेन में खेती करने वाले लोगों की औसत उम्र ही 59 साल है. ऐसे में लोगों ने इन बुजुर्गों को खेती के काम से दूर करने और युवाओं को खेती की तरफ आकर्षित करने के लिए एक स्कीम लॉन्च की है.
इस स्कीम के तहत बुजुर्ग किसान एक लाख पाउंड की भारी-भरकम रकम लेकर खेती के काम को छोड़ सकते हैं. फिर चाहे तो वह अपनी खेती की जमीन को बेच दें या फिर इसे किराए पर दे दें या इस पर पेड़ लगा दें. सरकार की कोशिश है कि युवा खेती की तरफ आएं और साथ ही निवेशक भी जमीन में निवेश करें.
जिन लोगों का पूरा जीवन खेती-किसानी में गुजरा है और जो पीढ़ियों से खेती के व्यवसाय से जुड़े हैं, उन्हें यह योजना शायद उतनी पसंद ना आए लेकिन बड़ी संख्या में लोग इस योजना को पसंद कर रहे हैं. इसकी वजह ये है कि अब जलवायु परिवर्तन और अन्य आर्थिक चुनौतियों के चलते खेती फायदे का पेशा कम ही रह गया है. आंकड़ों के अनुसार, ब्रिटेन में पहाड़ी इलाकों में खेती करने वाले किसानों की सालाना आय 15500 पाउंड ही है, जो कि राष्ट्रीय मध्यम आय से आधी है.
इसके अलावा ब्रिटेन के यूरोप से अलग होने, कोरोना महामारी के चलते और बढ़ती आर्थिक चुनौतियों के चलते चुनौतियां लगातार बढ़ी हैं.सरकार की योजना है कि इस स्कीम से जमीन की उपलब्धता बढ़ेगी और युवा नई तकनीक और रचनात्मकता खेती में लेकर आएंगे.
हालांकि ब्रिटिश सरकार की इस योजना में एक चुनौती भी है. दरअसल बड़ी संख्या में अनुभवी किसानों के खेती छोड़ने से सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव होने की भी आशंका है. यही वजह है कि ब्रिटेन सरकार की यह योजना चर्चा का विषय बनी हुई है.