Dhamtari News: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के परसतराई गांव के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन की पहल पर जल संरक्षण की मिसाल पेश की है. यहां के 250 किसानों ने गर्मी में धान की फसल नहीं लगाई. चूंकि धान की फसल को सिंचाई के लिए अधिक पानी की जरूरत होती है, जिसका नतीजा यह हुआ कि इस गर्मी में लोगों को पीने के पानी को लेकर कोई दिक्कत नहीं हुई. जबकि हर साल यहां गर्मी में पीने के पानी की समस्या होती थी.
धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में किसान दो बार धान उगाते हैं. गर्मी में धान उगाने की वजह से गांवों में जल संकट की स्थिति पैदा हो जाती है. इसी से सबक लेते हुए ग्राम परसतराई के 250 किसानों ने गर्मी में धान की फसल नहीं लगाई.
बता दें कि धान की फसल को सिंचाई के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है. इसलिए ग्रामीणों ने कम पानी वाली गेहूं, सरसों, चना और मटर की फसल लगाई है. जिसका नतीजा यह हुआ कि इस गर्मी में यहां के ग्रामीणों को पीने के पानी की कोई समस्या नहीं हुई.
किसानों का कहना है कि इस गर्मी के मौसम में खेतों में धान की जगह दलहन और तिलहन की फसल लगाकर उन्हें कम लागत में भारी मुनाफा हुआ है.
गांव के सरपंच का कहना है कि हर साल गर्मियों में पानी की समस्या को लेकर गांव में बैठक होती थी और धान की फसल न उगाने का फैसला लिया जाता था. साथ ही किसानों ने सामूहिक रूप से फैसला लिया था कि गर्मियों में धान की फसल उगाने वाले किसानों पर 33 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा.
धमतरी कलेक्टर भी परसतराई गांव की इस पहल की तारीफ कर रहे हैं. साथ ही कलेक्टर का कहना है कि लोगों को आगे आकर जल संरक्षण की दिशा में पहल करनी होगी.
गांव के किसान जागरूक हुए हैं और कम सिंचाई जल की आवश्यकता वाली फसलें उगाकर पानी को बचाया है. इसका सुखद परिणाम यह हुआ है कि इस गर्मी में गांव के लोगों को पेयजल के लिए परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. रिपोर्टर- सुभाष साहब
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