Akshaya Tritiya 2024: छत्तीसगढ़ में हर साल की तरह इस बार भी अक्षय तृतीया धूमधाम से मनाई जा रही है. छत्तीसगढ़ के लोग इसे अक्ती तिहार के रूप में भी मनाते हैं. अक्षय तृतीया के दिन गुड्डा-गुड़िया का विवाह आयोजित किया जाता है. गरियाबंद में अक्षय तृतीया यानी अक्ती धूमधाम से मनाई जा रही है. देखिए तस्वीरें.
अक्षय तृतीया के शुभ मुहुर्त पर बड़ी संख्या में शादियां आयोजित की गईं. छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में अक्षय तृतीया यानी अक्ती धूमधाम से मनाई जा रही है. यह त्यौहार बच्चों के लिए बहुत खास होता है. बच्चे गुड़ियों की शादी का जश्न बड़ी धूमधाम से मना रहे हैं.
गरियाबंद के फिंगेश्वर ब्लॉक के एक छोटे से गांव भेंड्री में बच्चों ने शादी के कार्ड छपवाए. मंडप सजाया गया है और ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते हुए गुड़ियों का विवाह कराया जा रहा है.
गुड्डा का नाम मंगलू है, पिता कुल्फी है. गुड्डी का नाम फूलमती और पिता का नाम चोकोबार है. अक्ती के इस दिन विवाह का शुभ मुहूर्त होता है. इस दिन बिना पोथी-पत्र देखे शादियां होती हैं.
बता दें कि छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में अक्षय तृतीया पर एक अनोखी परंपरा कई सालों से चली आ रही है. जो आज भी जारी है. इस परंपरा को मानने वालों की संख्या में जरूर कमी आई है, लेकिन इसके प्रति दीवानगी अभी भी बरकरार है.
इस लोक खेल में गुड्डा-गुड़िया दूल्हा-दुल्हन के प्रतीक होते हैं. इनकी शादी पूरे रीति रिवाज के साथ होती है. छत्तीसगढ़ में परंपरा है कि जिस परिवार में विवाह योग्य युवक-युवती होते हैं, उनकी शादी अक्षय तृतीया के दिन शुभ मुहूर्त में की जाती है. यदि कोई विवाह योग्य लड़का या लड़की नहीं है तो घर के बच्चे अपनी गुड़िया की शादी कर देते हैं.
गौरतलब है कि राज्य में सभी शुभ कार्य अक्षय तृतीया से ही शुरू हो जाते हैं. यह दिन शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है. शुभ कार्यों के अलावा किसान इस दिन को माटी पूजन दिवस के रूप में भी मनाते हैं.
इस दिन सोना खरीदने की भी परंपरा है. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन सोना, चांदी, हीरा आदि घर में लाने से वे हमेशा के लिए अक्षय हो जाती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है.
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