MP Mahashivratri: 60 सालों बाद महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग, जानिए महाकाल के दरबार में कब शुरू होगी शिवनवरात्रि
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MP Mahashivratri: 60 सालों बाद महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग, जानिए महाकाल के दरबार में कब शुरू होगी शिवनवरात्रि

Ujjain Mahakaleshwar Temple Mahashivratri: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में कब शुरू होगा शिवनवरात्रि का पर्व, इस दौरान नौ दिनों तक भगवान महाकाल अपने भक्तों को कब किस स्वरूप में दर्शन देंगे. आइए जानते हैं महाशिवरात्रि का पूरा कार्यक्रम...

MP Mahashivratri: 60 सालों बाद महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग, जानिए महाकाल के दरबार में कब शुरू होगी शिवनवरात्रि

Ujjain Mahashivratri: वैसे तो बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में हर पर्व का उत्साह देखने को मिलता है. लेकिन महाशिवरात्रि के पर्व की यहां की अलग ही छटा देखने को मिलती है. बाबा महाकाल की नगरी में शिवनवरात्रि का पर्व एक दो दिन नहीं बल्कि पूरे नौ दिन मनाया जाता है. नौवें दिन बाबा महाकाल दूल्हे स्वरूप में विराजमान होते हैं. आइए जानते हैं इस साल बाबा महाकाल के दरबार में कब शुरू होगा शिव नवरात्रि का पर्व और किस दिन बाबा किस स्वरूप में अपने भक्तों को दर्शन देंगे.

कब है महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि का पर्व हर साल फाल्गुन चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे शुरू होकर 27 फरवरी को सुबह 08:54 बजे तक रहेगी. ऐसे में महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा. ज्योतिष की मानें तो 60 साल बाद महाशिवरात्रि पर्व पर तीन ग्रहों की युति बनी है. जब सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे होंगे. ऐसा संयोग शताब्दी में एक बार बनता है. 

बाबा महाकाल के दरबार में कब शुरू होगी शिवनवरात्रि
बाबा महाकाल के दरबार में शिवनवरात्रि का पर्व 17 फरवरी से प्रारंभ होगा. नव दिवसीय यह पर्व महाकाल के आंगन में मनाया जाता है. इस दौरान बाबा महाकाल अपने भक्तों को अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन देते हैं. परंपरा के मुताबिक, 17 फरवरी को सुबह नैवेद्य कक्ष में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन करने के बाद कोटितीर्थ कुंड के समीप श्री कोटेश्वर और रामेश्वर महादेव मंदिर में शिव पंचमी की पूजा के साथ शिवनवरात्रि की शुरुआत होगी. इस दौरान बाबा महाकाल नौ दिनों तक अपने भक्तों को अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन देंगे.

ये है बाबा महाकाल के कार्यक्रम
कोटेश्वर महादेव को चंदन और जलाधारी पर हल्दी अर्पित की जाएगी. इसके बाद गर्भगृह में बाबा महाकाल का पंचामृत अभिषेक पूजन किया जाएगा. इस दौरान 11 ब्राह्मणों द्वारा एकादशिनी रुद्र पाठ किया जाएगा. वहीं, दोपहर में भोग आरती के पश्चात तीन बजे संध्या पूजा कर बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार किया जाएगा. महाकालेश्वर मंदिर की चली आ रही वर्षों पुरानी परंपरा के अनुसार, शिवनवरात्रि के नौ दिनों में नारदीय संकीर्तन से कथा की जाएगी. इस दौरान प्रत्येक दिन भगवान महाकाल का अलग-अलग श्रृंगार किया जाएगा.

नौ दिनों में नौ स्वरूपों में दर्शन देंगे बाबा महाकाल

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  • पहला दिन - भगवान महाकाल का चंदन से श्रृंगार, जलाधारी पर हल्दी अर्पित की जाएगी.

  • दूसरा दिन - भगवान का शेषनाग रूप में श्रृंगार.

  • तीसरा दिन - भगवान का घटाटोप श्रृंगार.

  • चौथा दिन - भगवान का छबीना श्रृंगार.

  • पांचवां दिन - होलकर स्वरूप में श्रृंगार.

  • छठा दिन - मनमहेश स्वरूप में श्रृंगार.

  • सातवां दिन - उमा-महेश स्वरूप में श्रृंगार.

  • आठवां दिन - शिव तांडव स्वरूप में श्रृंगार.

  • नौवां दिन - निराकार स्वरूप, अगले दिन सेहरा दर्शन.

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