Agni-5 Missile: केवल 4 देशों के पास MIVR टेक्‍नीक, अग्नि 5 पर नजर रखने के लिए चीन ने उतारा था जासूसी जहाज
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Agni-5 Missile: केवल 4 देशों के पास MIVR टेक्‍नीक, अग्नि 5 पर नजर रखने के लिए चीन ने उतारा था जासूसी जहाज

MIRV Technique: यह पहली बार नहीं है कि किसी चीनी जहाज को मिसाइल टेस्टिंग से ठीक पहले आईओआर में प्रवेश करते देखा गया हो. चीन का दावा है कि ये जहाज केवल रिसर्च उद्देश्यों के लिए हैं.

Agni-5 Missile: केवल 4 देशों के पास MIVR टेक्‍नीक, अग्नि 5 पर नजर रखने के लिए चीन ने उतारा था जासूसी जहाज

Indian Ocean Region: भारत ने सोमवार को 5,000 किलोमीटर की रेंज वाली अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल, का सफल परीक्षण किया. इसकी रेंज में पूरा चीन आता है. यह मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) से लैस है. यानी एक साथ कई टारगेट्स के लिए लॉन्च की जा सकती है.

अब तक, चीन और चार अन्य देशों - अमेरिका, रूस, फ्रांस और यूके - के पास एमआईआरवी तकनीक के साथ मिसाइल लॉन्च करने की क्षमता है. इन देशों के पास भूमि-आधारित या उप-आधारित श्रेणियों में यह क्षमता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अग्नि-5 की टेस्टिंग से कुछ हफ्ते पहले,  बीजिंग ने अपना दूसरा रिसर्च जहाज भारतीय तटों पर भेजा. माना जा रहा है कि यह जहाज इस परीक्षण पर नजर रखने के लिए आया है. मालदीव के तट पर एक उसका एक पोत पहले से ही लंगर डाले हुए है.

23 फरवरी को रवाना हुआ चीनी जहाज
समुद्री विश्लेषण प्रॉवाइडर मरीन ट्रैफिक के अनुसार, चीनी जहाज 'जियांग यांग होंग 01'  23 फरवरी को क़िंगदाओ के चीनी बंदरगाह से रवाना हुआ.

ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस विशेषज्ञ डेमियन साइमन ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 4,425 टन वजनी जहाज का बंगाल की खाड़ी में प्रवेश दिखाया.

रिपोर्ट के मुताबिक जियान यांग होंग 01 (Xian Yang Hong 01) अब विशाखापत्तनम के तट से, 260 समुद्री मील (लगभग 480 किमी दूर) से भी कम पर है. विशाखापत्तनम तट को भारत की परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों का बेस माना जाता है

भारत ने 7 मार्च को जारी किया NOTAM
भारत ने 7 मार्च को अपने पड़ोसियों को मिसाइल टेस्टिंग की संभावना के बारे में अलर्ट करने के लिए बंगाल की खाड़ी और 3,550 किमी तक फैले हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) पर एक NOTAM - नोटिस टू एयर मिशन जारी किया, जो मिसाइल या रॉकेट टेस्ट से पहले अनिवार्य है.

संभावना है कि 'जासूस' जहाज ने पूरे मिसाइल परीक्षण को देखा होगा और इसकी सीमा और क्षमता के आंकड़ों की गणना की होगी.

रिसर्च जहाजों को लेकर चीन का दावा
चीन का दावा है कि ये जहाज केवल रिसर्च उद्देश्यों के लिए हैं. हालंकि भारत के साथ-साथ कुछ पश्चिमी देशों का भी मानना है कि चीनी 'वैज्ञानिक रिसर्च' जहाजों का बेड़ा दरअसल सैन्य उद्देश्यों के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में अपने प्रतिद्वंद्वियों की नौसेना (विशेष रूप से पनडुब्बी संचालन) के बारे में संवेदनशील डाटा इकट्ठा कर रहा है.

चीन पहले भी कर चुका है ऐसा
यह पहली बार नहीं है कि किसी चीनी जहाज को मिसाइल टेस्टिंग से ठीक पहले आईओआर में प्रवेश करते देखा गया हो.

नवंबर 2022 में भी, एक चीनी अनुसंधान पोत 'युआन वांग 06' ने मिसाइल परीक्षण से कुछ दिन पहले आईओआर में प्रवेश किया था. हालांकि बाद में भारत ने NOTAM रद्द कर दिया.

उसी वर्ष दिसंबर में, भारत ने ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से अग्नि-5 का परीक्षण करने के लिए एक और NOTAM जारी किया और इस बार चीन का युआन वांग 05, आईओआर में आया.

मालदीव के जल क्षेत्र में घूम रहा एक और चीनी रिसर्च जहाज पहले से ही भारतीय नौसेना बलों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने जियांग यांग होंग 03 जैसे चीनी अनुसंधान जहाजों को माले में डॉक करने की अनुमति दी है.

चीन के पास रिसर्च जहाजों का सबसे बड़ा बेड़ा
चीन दुनिया के सबसे बड़े नागरिक रिसर्च जहाजों के बेड़े का रखरखाव करता है. अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 से वैश्विक स्तर पर परिचालन कर रहे 64 ऐसे जहाजों में से कम से कम 80% ने वार्निंग इंडिकेटर' प्रदर्शित किए हैं कि उनका काम सैन्य उद्देश्यों से जुड़ा हुआ है.

फोटो साभार: @DRDO_India

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