अजमेर के जेएलएन अस्पताल के अलग-अलग वार्डो के साथ ही शिशु रोग विभाग में लोग परेशान हो रहे हैं. वार्ड हो या फिर अस्पताल परिसर सभी जगह ये लोग पहुंच रहे हैं.
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Ajmer News: राजस्थान के अजमेर संभाग का सबसे बड़ा जेएलएन अस्पताल इन दिनों चूहों के आतंक से परेशान है. अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के कारण यहां आने वाले मरीज इन चूहों के आतंक से जूझ रहे हैं.
अजमेर के जेएलएन अस्पताल के अलग-अलग वार्डो के साथ ही शिशु रोग विभाग में चूहे लोगों को सता रहे हैं. वार्ड हो या फिर अस्पताल परिसर सभी जगह चूहें पहुंच रहे हैं, जिसके कारण खाना खाना और बैठना भी मुश्किल हो गया है.
अजमेर संभाग की सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में यूं तो हजारों लोगों को रोजाना राहत मिल रही है. राज्य सरकार की ओर से अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से आम जनता को राहत पहुंचाई जा रही है, लेकिन अस्पताल प्रशासन की बेरुखी और अव्यवस्था के कारण अस्पताल अपने आंसू बहा रहा हैं.
लगभग अस्पताल का पूरा ड्रेनेज सिस्टम खराब है. इसके पीछे खास वजह चूहों के बनाए गए बिल है, पूरी बिल्डिंग के नीचे चूहों ने अपना आतंक का जाल बिछा रखा है. वह जब चाहे तब लोगों को परेशान कर सकते हैं, लेकिन उन्हें कोई भी परेशान नहीं कर पा रहा है.
अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों और उनके परिजनों में इन चूहो के आतंक से खौफ है. लंबे समय से चल रहे इन चूहों के कारण अस्पताल की बिल्डिंग में पानी निकासी की व्यवस्था भी खत्म हो गई है. अस्पताल का पूरा पानी और बारिश का पानी उसी बिल्डिंग के नीचे समा जाता है, जिसके कारण पूरा भवन खोखला हो चुका है.
खास तौर पर इनका आतंक जांच केंद्र व शिशु रोग विभाग के वार्डो और उसकी गैलरी में देखा गया, जहां ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरीके से चूहों ने खराब कर दिया. वहीं, विद्युत ट्रांसपोर्ट और जनरेटर के आसपास भी चूहों का आतंक देखा जा सकता है. पूरी तरह से बिजली व्यवस्था चूहों के हाथ में ही है, जो कभी भी बंद हो सकती है.
आधा से 1 किलो तक मोटे इन चूहों ने न सिर्फ मरीज और परिजनों को परेशान किया, बल्कि बिल्डिंग के नीचे पड़े में बिल भी बनाते हैं, जिसके कारण कुछ दिन पहले आउटडोर के पास बनी दीवार ढह गई तो वहीं एक विशालकाय पेड़ भी खोकरी हुई जमीन के कारण गिर गया, अब कभी भी बिल्डिंग धरा शाही हो सकती है.
ऐसे में जेएलएन अस्पताल प्रशासन को इस पर जल्द ध्यान देने की आवश्यकता है. अस्पताल में इलाज के लिए आए लोगों ने बताया कि इलाज के दौरान मरीज के एक ही परिजन को अंदर बैठने की अनुमति होती है, लेकिन वह अलग-अलग जिलों व क्षेत्रों से इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में तीन से चार व्यक्ति साथ मौजूद होते हैं, बाकी सभी को अस्पताल के बाहर ही बैठना पड़ता है, जहां बैठने की कोई भी माकूल व्यवस्था नहीं है. चूहे न तो उन्हें बैठते देते हैं और ना ही उन्हें खाना खाने देते हैं. ऐसे में इस पर अस्पताल प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है, जिससे कि वह यहां आराम से इलाज करा सकें और परेशान ना हो.
Reporter- Ashok Bhati