अलवर में प्याज का रकबा 2020 में जहां 18500 हेक्टेयर था वहीं अब यह रकवा 2022 में 27000 हेक्टर तक पहुंच गया है. अनुमान है कि इस साल 355000 टन प्याज का उत्पादन होगा जो अलवर की अर्थव्यवस्था को गति दे सकता है.
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Alwar: राजस्थान के अलवर की लाल प्याज अब सात समुंदर पार भी अपने जायका का तड़का लगाएगी. इस बार विगत वर्ष की तुलना में प्याज की पैदावार अधिक हुई है. अलवर जिले के लिए किसानों की लाइफ लाइन बनी लाल प्याज का उत्पादन का रकवा लगातार बढ़ता जा रहा है. अलवर के प्याज को पूरे देश की मंडियों तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने बाकायदा इसके लिए स्पेशल पैसेंजर ट्रेन की विगत बार शुरुआत की थी. इस बार भी 20 नवंबर के बाद स्पेशल पैसेंजर ट्रेन चलाई जाएगी. किसान और आढ़तियों की मांग पर तारीख निश्चित होगी.
अलवर में प्याज का रकबा 2020 में जहां 18500 हेक्टेयर था वहीं अब यह रकवा 2022 में 27000 हेक्टर तक पहुंच गया है. अनुमान है कि इस साल 355000 टन प्याज का उत्पादन होगा जो अलवर की अर्थव्यवस्था को गति दे सकता है. माना यह जा रहा है कि कई राज्यों में प्याज की फसल खराब होने के कारण देशभर के प्याज के व्यापारियों की नजर अलवर के प्याज पर है. अलवर की प्याज की गुणवत्ता भी लगातार सुधरती जा रही है. नवंबर और दिसंबर में अलवर की मंडियों में प्याज की आवक जबरदस्त रहेगी. इस साल प्याज की मांग अधिक बढ़ गई है. वर्ष 2019 के बाद प्याज के भाव अच्छे रहने के कारण किसानो के लिए अब यह फायदे का सौदा बनती जा रही है और इसी कारण किसानों का रुझान प्याज की खेती पर हुआ है.
प्याज की फसल के बाद कई कर्जदार किसान कर्ज मुक्त हो चुके और उनके परिवारों में भी खुशहाली आई है. हालांकि विगत 15 दिन पहले हुई बारिश से किसानों की प्याज की फसल में कुछ खराब हुआ है, लेकिन उससे उसकी गुणवत्ता पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा. अलवर की थोक मंडी में प्याज के क्रेता और विक्रेता अशोक सैनी ने बताया कि अभी प्रतिदिन अलवर शहर की मंडी में 800 से 1000 कट्टे प्रतिदिन आ रहे हैं. 300 से लेकर 800 तक प्रति मन प्याज के भाव हैं. अच्छी क्वालिटी की प्याज अभी थोक में 20 तक बिक रही है, हालांकि मौसम खराब होने के कारण अलवर की प्याज 20 दिन देरी से मार्केट में आ रही है अब जो प्याज आ रही है वह कुछ किसानों ने अगेती बोई थी. इसलिए आवक कम है. 5 नवंबर के बाद यहां प्याज का आना शुरू होगा अलवर में यों तो सभी राज्यों के व्यापारी आते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश हरियाणा उत्तराखंड पंजाब के लिए सबसे ज्यादा व्यापारी आ रहे हैं, जितने यहां व्यापारी बाहर से आएंगे उतना ही किसानों के प्याज का बाजार भी अच्छा मिलेगा.
साथ ही उन्होंने बताया कि 20 नवंबर के बाद ट्रेन से लदानी शुरू होगी, जैसे ही प्याज ज्यादा एकत्रित होगा वैसे ही रेल मंत्रालय को सूचना कर दी जाएगी और ट्रेन उपलब्ध हो जाएगी. हालांकि उन्होंने अलवर की प्याज की मंडी में सबसे ज्यादा पार्किंग की व्यवस्था बताई. उन्होंने कहा कि जिस तरह से किसान बाहर से अपने प्याज को लेकर आते हैं. मंडी में ज्यादा पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इधर, किसान ऐसे भी हैं जो बाहर के किसानों को सीधे माल बेचते हैं और आढ़तियों से एडवांस भी लेते हैं.
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