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Baran News: बारिश-ओलावृष्टि ने बर्बाद की रबी की पैदावार, खेतों में पसरी अफीम को देख रो पड़े किसान

Baran News: बारां के छीपाबड़ौद क्षेत्र में पिछले एक सप्ताह से बिगड़े मौसम के मिजाज ने धरतीपुत्रों की उम्मीदों पर एक बार फिर कुठाराघात किया है. कड़ी मेहनत एवं सुरक्षा के साथ खेतों में तैयार की अफीम की फसल में चीरा लगाने का काम शुरु होने के साथ ही चली तेज हवाओं ने खेतों में फसल के बिछोने लगा दिए. सारी मेहनत को ढेर होता देख काश्तकार पेशोपेश में आ गए. जिन्होंने चीरा लगाया ही था, उनके साथ तो सिर मुंंडाते ही ओले पड़ने वाली कहावत चरितार्थ हो गई. जबकि शेष काश्तकार भी अब डूबती को तिनके का सहारा लेने के लिए विभागीय शरण में जाने की तैयारियों में जुटने की तैयारी मे लग गए हैं. 

 

कई फसलों को भयंकर नुकसान

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कई फसलों को भयंकर नुकसान

तेज हवाओं ने सर्वाधिक नुकसान अफीम में तो उसके बाद सरसों, धनिया एवं चने समेत अन्य फसलों में भी व्यापक नुकसान पहुंचाया है, जिससे काश्तकार काफी मायूस हैं. दिन-रात एक करके करी फसल की देखभाल-क्षेत्र में इस बार नॉरकोटिक्स विभाग द्वारा सीपीएस के तहत नए काश्त लाइसेंस जारी किए जाने के बाद अफीम का रकबा बढकर तीन गुना हो गया था. ऐसे में इन दिनों दूर दूर तक खेतों में अफीम के सफेद फूलों के नजारे बने हुए है. काश्तकारों ने बताया कि दिनरात की चौकसी के साथ फसल की सुरक्षा की. 

प्राकृतिक आपदा ने फिर से सारा औसत बिगाड़ दिया

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प्राकृतिक आपदा ने फिर से सारा औसत बिगाड़ दिया

पौधों को हवा के प्रकोप से बचाने के लिए लकड़ियों के सहारे दिए तो वहीं पक्षियों से बचाने के लिए नेट लगाकर बड़ा खर्चा भी किया लेकिन ऐनवक्त पर प्राकृतिक आपदा ने फिर से सारा औसत बिगाड़ दिया है. सीपीएस के तहत जारी नए काश्त लाइसेंस वाले काश्तकारों को तो डोडो में चीरा नहीं लगाना था लेकिन जिन पुराने काश्तकारों को फसल में चीरा लगाना था, उनकी मुसीबत बढ़ गई है. सबसे ज्यादा मुश्किल उनकी बढ़ी है, जिन्होंने चीरा लगाया ही था और तेज हवाओं का दौर शुरु हो गया, जिससे ना केवल अफीम के दूध का उत्पादन प्रभावित हुआ बल्कि पौधे तक आड़े पड़ गए, जिससे बची आस भी टूट गई है.

तेज हवाओं से फसल तहस-नहस हो गई

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तेज हवाओं से फसल तहस-नहस हो गई

अफीम काश्तकार देवीलाल राठौर ने बताया कि तीन दशक से अफीम की खेती कर रहे हैं और यह दूसरा मौका है, जब अफीम को विभागीय देख-रेख में हकवाने के लिए विभाग को प्रार्थना पत्र देना पड़ेगा. उन्होने बताया कि इस बार पानी की कमी के बावजूद फसल अच्छी स्थिति में थी. डोडो का आकार भी अच्छा होने से औसत एवं दाना पोस्ता बढ़िया निकलने की उम्मीद जगी थी लेकिन तेज हवाओं से फसल तहस-नहस हो गई. दस आरी की पूरी फसल खेत में पसर गई, जिससे चीरा लगाने की उम्मीद समाप्त हो गई. और अब विभाग को प्रार्थना पत्र देने की तैयारी कर रहे हैं.

काश्तकारों की मेहनत पर पानी फिर गया

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काश्तकारों की मेहनत पर पानी फिर गया

अफीम लम्बरदार गुलाबचंद नागर ने बताया कि हरनावदाशाहजी क्षेत्र में इस वर्ष कुल 188 काश्तकारों को अफीम काश्त लाइसेंस मिले हैं, जिनमें से पांच दर्जन लाइसेंस ही चीरा लगाने वाले थे शेष सीपीएस केथे. पिछले चार पांच दिनों से चल रही तेज हवाओं ने काश्तकारों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. उन्होने बताया कि फसल में फूलाव व फलाव के बाद ज्यादातर काश्तकार चीरा लगाने की तैयारी कर चुके थे. लेकिन तेज हवाओं से बिगडी फसल की सूरत के चलते सारी तैयारियां धरी रह गई. जबकि करीब तीस फीसदी काश्तकारों ने तो चीरा लगा भी दिया. ऐसे में अब उनके औसत पूरा करने को लेकर चिंता हो गई है.

 

विभाग से राहत की मांग

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विभाग से राहत की मांग

किसी प्राकृतिक आपदा या अन्य कारणों से डोडों में चीरा नहीं लगाने पर फसल को विभागीय निगरानी में नष्ट करवाकर लाइसेंस को बहाल रखने की कवायद की जाती है लेकिन चीरा लगाने के उपरांत एक निर्धारित मात्रा में अफीम का दूध संचित करके विभाग को तौल कराना पड़ता है. ऐसे हालात में अब काश्तकार औसत पूरा नहीं हो पाने के कारण विभाग से राहत की मांग को लेकर शरण में जाने की तैयारी करने लगा है. 

तैयार की जाएगी नुकसान की रिपोर्ट

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तैयार की जाएगी नुकसान की रिपोर्ट

नॉरकोटिक्स विभाग के जिला अफीम अधिकारी आर के रजत ने बताया कि कोटा मंडल में विभाग की नई सीपीएस नीति सहित कोटा और बारां जिले के मिलाकर कुल 6225 लाइसेंस जारी किए हैं. इनमें भी लगभग आठ सौ से अधिक लाइसेंस कोटा जिले में है. शेष लाइसेंस बारां जिले के छबड़ा, छीपाबड़ौद और अटरु तहसील में हैं. इनमें भी केवल 1700 लाइसेंस ही चीरा योग्य है. इन दिनों प्राकृतिक आपदा से फसल में व्यापक खराबा होने की सूचना मिल रही है. उनके पास काश्तकारों से क्या सूचना आती है, उसकी सामूहिक रिपोर्ट के आधार पर नुकसान की रिपोर्ट तैयार होकर पॉलिसी आती है, जिसके आधार पर ही काश्कारों को रियायत की जाती है. बाकि तो विभागीय निगरानी में नष्टीकरण के लिए आवेदन लेकर राहत दी जाती है.