जोधपुर के बोरानाडा, सांगरिया एवं बासनी औद्योगिक क्षेत्र में संचालित इकाइयों से निस्तारित रासायनिक पानी सीधा जोजरी नदी में बहाया जा रहा है. इस तरह औद्योगिक क्षेत्र का रासायनिक पानी सालावास, लूणावास, मेलबा, धवा होते हुए, बाड़मेर जिले के डोली गांव एवं खेतों में तबाही मचा रहा है.
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Barmer: पिछले एक दशक से जोधपुर के बोरानाडा, सांगरिया एवं बासनी औद्योगिक क्षेत्र में संचालित इकाइयों से निस्तारित रासायनिक पानी सीधा जोजरी नदी में बहाया जा रहा है. इस तरह औद्योगिक क्षेत्र का रासायनिक पानी सालावास, लूणावास, मेलबा, धवा होते हुए, बाड़मेर जिले के डोली गांव एवं खेतों में तबाही मचा रहा है. पिछले 12 वर्षों से अधिक समय से चली आ रही इस समस्या से निजात पाने का दूर-दूर तक कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है. प्रदूषित पानी ने सैकड़ों बीघा खेतों को तबाह कर दिया है, कई किसानों के खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरीके से बर्बाद हो चुकी हैं.
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क्षेत्र में बिमारीयां फैलने का खतरा
बाड़मेर का जोधपुर की सीमा पर आखिरी गांव डोली देश व प्रदेश की राजधानी से आने वाले नेताओं का प्रवेश द्वार बनकर हमेशा स्वागत के लिए खड़ा रहता है, लेकिन इस गांव के लोगों पर अब रासायनिक पानी की आफत आई है तो, इनकी सुनवाई के बजाय वहीं नेता अब गायब नजर आ रहें हैं. डोली सहित आस-पास के गांवो में रासायन युक्त पानी फैलने के कारण कई गांवों का संपर्क टूटा गया है. इसी तरह यह जहरीला पानी ग्रामीणों के घर के चारों और फैल चुका है, जिससे ग्रामीणों का घर से बाहर निकलना भी दुभर हो गया है. घर के चारों ओर पानी फैलने से मच्छरों की भरमार पैदावार हो चुकी हैं, जिससे लोगों को डेंगू मलेरिया सहित विभिन्न प्रकार की बीमारियों का प्रकोप बढ़ने का अंदेशा है.
केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक लोग लगा चुकें गुहार
स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षों से रासायनिक पानी का दंश झेल रहें हैं और समाधान के लिए एनजीटी से लगाकर राज्य व केंद्र सरकार तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. ऐसे में लगातार जोधपुर की औद्योगिक इकाइयों का रासायनिक पानी बाड़मेर जिले में आ रहा है. इस बार अच्छी बारिश होने से खेतों में फसलें लहलहा रही थी, लेकिन इस रासायनिक पानी ने मूंग, मोठ, बाजरा, ग्वार और तिलहन की फसलें जैसे ही पकने की स्थिति में थी, इससे पहले ही रासायनिक पानी से खेत भर गये और पूरी तरीके से फसलें चौपट हो गई. जिसके चलते अब किसानों पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है, इतना ही नहीं पूरा गांव चारों और रासायनिक पानी से जलमग्न नजर आ रहा है और मवेशियों के पीने के लिए गांव के तालाब भी रासायनिक पानी से भर गए हैं, साथ ही कृषि कुओं में भी रासायनिक पानी से भरे हुए नजर आ रहें हैं. जिसके चलते अब पशु भी मरने की कगार पर पहुंच गए हैं. डोली का यह क्षेत्र चिंकारा के विचरण के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इस रासायनिक पानी के आने के बाद हिरणों की तादाद भी लगातार घट रही है. स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है की सरकार ने समय रहते इन औद्योगिक इकाइयों के रासायनिक पानी को नहीं रोका तो आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन किया जाएगा.
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