Bhilwara News: भीलवाड़ा के झारखंड के गिरिडीह में मौजूद तीर्थक्षेत्र पर केंद्र सरकार के फैसले का विरोध शुरू हो गया है, जैन समाज ने आपत्ति जताई. आखिर जानते हैं कि इस मामले पर जैन समाज व स्थानीय लोग नाराज हैं.
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Bhilwara News:भीलवाड़ा में केंद्र सरकार ने झारखंड के गिरिडीह में मौजूद तीर्थक्षेत्र व जैन समाज में सबसे पवित्र पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन क्षेत्र घोषित किया है. इसको लेकर जैन समाज को आपत्ति है. समाज ने कहा है कि पर्यटन क्षेत्र बनने के बाद वहां अवांछित लोग पहुंचेंगे, मांसाहार, शराब सेवन, अनैतिक गतिविधियां बढ़ जाएंगी.
#भीलवाड़ाः झारखंड के गिरिडीह में मौजूद तीर्थक्षेत्र पर केंद्र सरकार के फैसले का विरोध, जैन समाज ने जताई आपत्ति , ये है बड़ी वजहें pic.twitter.com/42YtlLmxFL
— ZEE Rajasthan (@zeerajasthan_) December 16, 2022
इसलिए केंद्र सरकार अपना यह फैसला वापस ले. जैन समाज ही नहीं जैन साधुओं ने भी सरकार से अपना फैसला वापस लेने की मांग की है. जैन समुदाय के प्रसिद्ध तीर्थक्षेत्र सम्मेद शिखरजी पारसनाथ (पहाड़ी) को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध हो रहा है. इसी के क्रम में आज भीलवाड़ा में जैन समाज के लोगों ने अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और झारखंड सरकार के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.
ज्ञापन में केंद्र सरकार से अपना फैसला वापस लेने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि देश के झारखंड प्रदेश के गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ पहाड़ी को जैन समुदाय का सबसे बड़ा पवित्र तीर्थस्थल है. ''पारसनाथ हिल'' को ही सम्मेद शिखर के नाम से भी जाना जाता है जो दुनिया भर में जैनियों के बीच सबसे बड़ा तीर्थस्थल है.
भीलवाड़ा के समाजसेवी व जैन समाज के पदाधिकारी प्रवीण जैन ने कहा की जैन धर्म के 24 तीर्थंकर में से 20 तीर्थंकर की ''निर्वाण'' अर्थात मोक्ष भूमि पारसनाथ पहाड़ी है. दुनिया में जैन समाज का यह सबसे पूजनीय स्थल है. इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित होने से यहां की पवित्रता भंग हो जाएगी. लोग धार्मिक भावना के बजाय घूमने-फिरने और मौज मस्ती के लिए यहां आएंगे. अनैतिक गतिविधियां बढ़ेंगी, शराब, मांसाहार बढ़ेगा जो जैन समाज को स्वीकार नहीं है, अत: इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने का निर्णय वापस लिया जाए.
Reporter- Mohammad Khan
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