भीलवाड़ा- मोहम्मद की याद में झूमा शहर, हजारों मुस्लिम हुए जूलुस में शामिल
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भीलवाड़ा- मोहम्मद की याद में झूमा शहर, हजारों मुस्लिम हुए जूलुस में शामिल

Bhilwara latest news: राजस्थान के भीलवाड़ा जिला में पैगंबर-ए-इस्लाम की यौम-ए-पैदाइश का पर्व ईद मिलादुन्नबी शुक्रवार को बड़े अकीदत के साथ मनाया गया. शहर सहित जिले भर में जगह-जगह महफिल-ए-मिलाद के प्रोग्राम आयोजित किये गए.

भीलवाड़ा- मोहम्मद की याद में झूमा शहर, हजारों मुस्लिम हुए जूलुस में शामिल

Bhilwara news: राजस्थान के भीलवाड़ा जिला में पैगंबर-ए-इस्लाम की यौम-ए-पैदाइश का पर्व ईद मिलादुन्नबी शुक्रवार को बड़े अकीदत के साथ मनाया गया. शहर सहित जिले भर में जगह-जगह महफिल-ए-मिलाद के प्रोग्राम आयोजित किये गए. घरों, मस्जिदों में मिलाद की महफिल, कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी, नात ख्वानी हुई. मस्जिदों और दरगाहों को फूलों, झालरों, गुब्बारों आदि से सजाया गया. सुबह शहर की तमाम मस्जिदों पर परचम कुशाई हुई. मिलादुन्नबी यानी इस्लाम के संस्थापक पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्मदिन रबीउल अव्वल महीने की 12 तारीख को मनाया जाता है.

 हालाकि इस बार अनन्त चतुर्दशी और ईद मिलादुन्नबी गुरुवार को एक ही दिन होने के चलते मुस्लिम समाज ने साम्प्रदायिक सौहार्द की मिशाल पेश की. समाज ने हिंदू मुस्लिम भाई चारे का पैगाम देते हुए अनन्त चतुर्दशी पर निकलने वाले जुलूस के चलते अगले दिन शुक्रवार को जलसे का आयोजन किया. मक्का शहर में 571 ईसवी को पैगम्बर साहब हजरत मुहम्मद सल्ल. का जन्म हुआ था. इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है. हजरत मुहम्मद सल्ल. ने ही इस्लाम धर्म की स्थापना की है. आप हजरत सल्ल. इस्लाम के आखिरी नबी हैं, आपके बाद अब कायामत तक कोई नबी नहीं आने वाला. मक्का की पहाड़ी की गुफा, जिसे गार-ए-हिराह कहते हैं.

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अरब सामाजिक और धार्मिक बिगाड़ का शिकार

वहीं पर अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलै. के मार्फत पवित्र संदेश (वही) सुनाया था. इस्लाम से पहले पूरा अरब सामाजिक और धार्मिक बिगाड़ का शिकार था. लोग तरह-तरह के बूतों की पूजा करते थे. असंख्य कबीले थे, जिनके अलग-अलग नियम और कानून थे. कमजोर और गरीबों पर जुल्म होते थे और औरतों का जीवन सुरक्षित नहीं था. आप सल्ल. ने लोगों को एक ईश्वरवाद की शिक्षा दी. अल्लाह की प्रार्थना पर बल दिया, लोगों को पाक-साफ रहने के नियम बताए साथ ही आपने लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए भी इस्लामिक तरीके लोगों तक पहुंचाए. आपने अल्लाह के पवित्र संदेश को लोगों तक पहुंचाया. आपके द्वारा इस पवित्र संदेश के प्रचार के कारण मक्का के तथाकथित धार्मिक और सामाजिक व्यवस्थापकों को यह पसंद नहीं आया और आपको तरह-तरह से परेशान करना शुरू किया. जिसके कारण आपने सन् 622 में अपने अनुयायियों के साथ मक्का से मदीना के लिए कूच किया. इसे ‘हिजरत’ कहा जाता है. 

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सन् 630 में पैगंबर साहब ने अपने अनुयायियों के साथ कुफ्फार-ए-मक्का के साथ जंग की, जिसमें अल्लाह ने गैब से अल्लाह और उसके रसूल की मदद फरमाई. इस जंग में इस्लाम के मानने वालों की फतह हुई. इस जंग को जंग-ए-बदर कहते हैं. 632 ईसवी में हजरत मुहम्मद सल्ल ने दुनिया से पर्दा कर लिया. उनकी वफात के बाद तक लगभग पूरा अरब इस्लाम के सूत्र में बंध चुका था और आज पूरी दुनिया में उनके बताए तरीके पर जिंदगी गुजारने वाले लोग हैं. ईस्लाम धर्म से ताल्लुक रखने वाले लोगों ने आज ईद मिलादुन्नबी का पर्व बड़ी की धुमधाम व हर्शोल्लास के साथ मनाया.

 शहर भर की मस्जिदों में विशेष सजावट की गई और गली-गली मौहल्ले-मौहल्ले में जूलुस निकाला गया. शहर भर की मस्जिदों के जूलुस दिन ढलने के साथ स्टेशन चौराहे पर एकत्रित हुए जहां से सामुहिक जूलुस के रूप में हजारों मुस्लिम समाज के लोगों ने ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया. जगह जगह शहर काजी और विभिन्न मस्जिदों के मौलवीयो के साथ ही कमेटी के पदाधिकारियों और पुलिस प्रशासन की दस्तरबंदी की गई.

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