बिजौलियां थाना क्षेत्र में इन दिनों सट्टे का अवैध कारोबार जोर शोर से चल रहा है. एक रुपए को अस्सी रुपया बनाने के चक्कर में खासकर युवा वर्ग अधिक बर्बाद हो रहे हैं. बाहरी जिलों से आए खाईवाल श्रमिकों को अपने जाल में फंसा कर सट्टे की लत में फंसा रहे हैं.
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Mandalgarh: बिजौलियां थाना क्षेत्र में इन दिनों सट्टे का अवैध कारोबार जोर शोर से चल रहा है. एक रुपए को अस्सी रुपया बनाने के चक्कर में खासकर युवा वर्ग अधिक बर्बाद हो रहे हैं. सट्टे के इस खेल को बढ़ावा देने सटोरी ग्राहकों को मुफ्त में स्कीम देखने सट्टे नंबर वाले चार्ट उपलब्ध करा रहे हैं. इसका गुणा भाग कर ग्राहक सट्टे की चपेट में बुरी तरह से फंस कर पैसा इस अवैध कारोबार में गंवा रहा है. ग्रामीणों ने पुलिस को कई बार शिकायत की लेकिन सट्टे के अवैध धंधे पर अंकुश नहीं लगा है.
मांडलगढ़ थाना क्षेत्र के आधा दर्जन गांवो में सट्टा कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. ऊपरमाल के तिलस्वां में खाईवाल खुले आम पर्चियां काटते हैं. बाहरी जिलों से आए खाईवाल श्रमिकों को अपने जाल में फंसा कर सट्टे की लत में फंसा रहे हैं.
खाईवालों के चक्रव्यूह में लोग इस कदर फंस चुके हैं की इससे उबर नहीं पा रहे हैं. नगर में एक दो नहीं बल्कि चार खाईवाल लंबे समय से सट्टा संचालित कर रहे हैं. पुलिस और खाईवालों की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार नगर सहित आस पास के अंचल में पुरी तरह से चरम पर है. खाईवालों ने भी गांव और नगर में अपना-अपना जोन बंटा हुआ है. एक दूसरे के जोन में कोई दखल नहीं देता है.
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पुलिस से सांठगांठ के चलते ये अवैध कारोबार को बाकायदा लाइसेंसी कारोबार के रूप में खुले आम शहर में संचालित हो रहा है. पुलिस और खाईवालों की सेटिंग इतनी तगड़ी है कि ऊपर अधिकारियों को दिखाने ये खाईवाल अपने गुर्गों के नाम हर महीने एक-एक प्रकरण बनवा देते हैं. ऊपर बैठे अफसरों को लगता है पुलिस कार्रवाई कर रही है. जबकि वास्तव में ये सांठगांठ का एक पहलू होता है. बड़ा सवाल ये है कि जब पुलिस हर महीने सटोरियों के गुर्गों के खिलाफ कार्रवाई करती है तो फिर उनसे पूछताछ कर खाईवालों तक क्यों नहीं पहुंच पाती है.
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