Rajasthan News: राजस्थान के बीकानेर में सालों से हिंदू महाकाव्य रामायण के उर्दू संस्करण का पाठ किया जाता है, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शामिल होते हैं.
राजस्थान के बीकानेर में सालों से एक अनोखी परंपरा निभाई जा रही है. इसके अनुसार, हर साल दिवाली पर हिंदू महाकाव्य रामायण के उर्दू संस्करण का पाठ किया जाता है.
इसका अर्थ है कि यहां लोगों को उर्दू में रामायाण सुनाई जाती है. उर्दू में लिखी गई यह रामायण लगभग 89 साल पहले की है, जिसको बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का 'स्वर्ण पदक' मिला था.
बीते दिनों उर्दू शिक्षक और शायर डॉ. जिया-उल-हसन कादरी ने एक समारोह में दो अन्य मुस्लिम शायरों के साथ उर्दू रामायण का पाठ किया. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य सद्भाव और भाईचारे का सकारात्मक संदेश देना है. इसके अलावा पर्यटन लेखक संघ और महफिल-ए-अदब संयुक्त रूप से हर वर्ष उर्दू रामायण पाठ कराते हैं.
बता दें कि बीकानेर के मौलवी बादशाह हुसैन राणा लखनवी ने साल 1935 में तुलसीदास की जयंती पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उर्दू भाषा में रामायण को लिखा था, जिसमें उनको स्वर्ण पदक मिला था. इसके बाद से बीकानेर में हर साल उर्दू में रामायाण का पाठ किया जाता है.
वहीं, दीपावली से पहले बीकानरे में इसका वाचन करने वाले कादरी 2012 से चली आ रही इस परंपरा को आगे बढ़ाना चाहते हैं. उनका कहना है कि उर्दू रामायण का पाठ मुस्लिम कवि करते हैं, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शामिल होते हैं.
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