Churu News: तालछापर अभयारण्य से काले हिरण होंगे शिफ्ट, एमओईएफसीसी ने दी शिफ्टिंग की स्वीकृति
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Churu News: तालछापर अभयारण्य से काले हिरण होंगे शिफ्ट, एमओईएफसीसी ने दी शिफ्टिंग की स्वीकृति

Churu News: विश्वविख्यात तालछापर अभ्यारण्य अनेक प्रजातियों के पशु-पक्षियों का स्थायी ठिकाना है, लेकिन इसका विशेष दर्जा काले हिरणों के कारण है. वहीं अब जल्द ही तालछापर अभयारण्य से काले हिरण नजदीकी वन विभाग के इलाकों में शिफ्ट होंगे.

Churu News: तालछापर अभयारण्य से काले हिरण होंगे शिफ्ट, एमओईएफसीसी ने दी शिफ्टिंग की स्वीकृति

Churu News: विश्वविख्यात तालछापर अभ्यारण्य अनेक प्रजातियों के पशु-पक्षियों का स्थायी ठिकाना है, लेकिन इसका विशेष दर्जा काले हिरणों के कारण है. वहीं अब जल्द ही तालछापर अभयारण्य से काले हिरण नजदीकी वन विभाग के इलाकों में शिफ्ट होंगे.

मिनिस्ट्री ऑफ फोरेस्टर एंड एनवायरमेंट एंड क्लाइमेट चेंज (एमओईएफसीसी) ने पहले चरण केवल 100 काले हिरण दूसरे वन इलाकों में छोड़ने की स्वीकृति दी है. इसके लिए वन विभाग ने हिरणों के लिए सुरक्षित इलाकों की तलाश शुरू कर दी है. विभाग के अनुसार शिफ्टिंग से पहले सर्वे, ट्रायल होगा. ट्रायल के तौर चिह्नित इलाकों में प्रथम दृष्ट्‌या 100 काले हिरणों को छोड़कर देखा जाएगा. हिरणों को इलाके रास आने पर इनको संख्या बढ़ाई जाएगी.

केंद्र सरकार के वन मंत्रालय के निर्देश पर भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून की तीन सदस्यीय टीम काले हिरणों को शिफ्ट करने के लिए चिह्नित इलाकों का सर्वे भी कर लिया हैं. एक्सपर्ट व्यू: बड़े वाहनों में प्राकृतिक सजावट के साथ घास डालकर छोड़े जाएंगे काले हिरण.

डीएफओ भवानीसिंह शेखावत का कहना है कि एमओईएफ सीसी ने पहले चरण में अलग-अलग केंद्रों पर झुंडों के रूप में 100 काले हिरण छोड़ने की स्वीकृति दी है. फिलहाल देहरादून की टीम सर्वे कर इन चिहित वन इलाकों का निरीक्षण करेगी. टीम हिरणों की सुरक्षा, उनके भोजन एवं पानी की उपलब्धता का पता लगाएगी. जसवंतगढ़ में 450 हैक्टेयर एवं राजगढ़ के लीलकी बीड़ में 1100 हैक्टेयर क्षेत्रफल है. यहां ग्रासलैंड भी है. पानी की उपलब्धता भी है.

फेसिंग सहित अन्य कंडीशन के बारे में पता करके अंतिम निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि अफ्रीका का बोमा सिस्टम यहां कारगर नहीं हो सकता, क्योंकि जसवंतगढ़, लीलकी, फतेहपुर व झुंझुनूं की तालछापर से दूरी ज्यादा है. बोमा तकनीक के अनुसार छोटे-छोटे बाड़े एक के बाद एक इस प्रकार बनाए जाते हैं कि वन्यजीवों को घास डाल कर एक ही दिशा में चलाया जाता है.

ये प्रक्रिया कई दिनों तक चलती है, लेकिन हाइवे व सड़‌कों के कारण ये सिस्टम तालछापर के काले हिरणों को जसवंतगढ़ शिफ्ट करने की योजना 2009 से बनाई जा रही है. उस साल आए तूफान में बड़ी संख्या में डालकर हिरणों के झुंड को उसमें बंद कर बड़े काले हिरणों की मौत हो गई थी. इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से एक कमेटी बनाई गई। कमेटी ने जांच कर एक रिपोर्ट सरकार को भेजी, जिसमें हिरणों को बचाने के लिए नहीं चल सकता है. ऐसे में सीधे तौर पर बड़े कंटेनर्स को प्राकृतिक सजावट के साथ घास वाहनों से सड़क मार्ग के जरिये हिरणों को जसवंतगढ़ में शिफ्ट किया जाएगा. ये काम 20-25 हिरणों का झुंड बनाकर किया जाएगा. 

शिफ्टिंग, इनका बधियाकरण या फिर क्षेत्र बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था, जिसमें से सरकार ने शिफ्टिंग पर सहमति दी थी. बाद में योजना आगे नहीं बढ़ी. इसके बाद राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्देशों पर 2022 को निगरानी कमेटी का गठन कर सरकार को इन्हें शिफ्ट करने के निर्देश दिए गए.

719 हैक्टेयर क्षेत्रफल वाले तालछापर कृष्णमूग अभयारण्य में वर्तमान में करीब 5 हजार काले हिरण हैं. प्रबंधन की दृष्टि से एक से दो हिरण प्रति हैक्टेयर क्षेत्र की आवश्यकता होती है, जिसमे इन हिरणों की सभी आवश्यकताएं जैसे भोजन, स्वच्छंद विचरण, प्रजनन इत्यादि सम्मिलित हैं। ऐसे में वर्तमान में 1000 से 1200 हिरणों को अभयारण्य में रखा जा सकता है. तालछापर अभयारण्य की मोथिया घास काले हिरणों का पसंदीदा भोजन है.

यह अभ्यारण्य देश में काफी विख्यात व लूभावना है, इसे देखने के लिए लोग दूर दराज से आते हैं और घोड़ी तांगों में बैठकर इस अभ्यारण्य में भृमण कर लुप्त उठाते है. बच्चे, महिलाएं एवं बूढ़े भी इन हिरणों की अटखेलियां को देखकर रोमांचित हो जाते हैं.

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