Jaipur: कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों के इस्तीफे के मामले में राजस्थान की सियासत एक बार फिर गरमा गई है. बीजेपी नेता और विधायकों ने मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को ज्ञापन देकर इस्तीफे स्वीकार करने की मांग की.
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Jaipur: कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों के इस्तीफे के मामले में राजस्थान की सियासत एक बार फिर गरमा गई है. बीजेपी नेता और विधायकों ने मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को ज्ञापन देकर इस्तीफे स्वीकार करने की मांग की. भाजपा नेताओं ने सवाल उठाया कि कांग्रेस विधायक-मंत्रियों के इस्तीफे हो गए तो सरकार कौन चला रहा है ? इस्तीफों को लेकर स्पीकर को राज्य की जनता के सामने स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि विधानसभा स्पीकर जोशी ने इस्तीफों को लेकर जल्द ही एतिहासिक फैसला करने का भरोसा दिया है ताकि वो देश में नजीर बन सके.
भाजपा नेताओं ने स्पीकर से स्पष्ट करने की मांग की
प्रदेश में कांग्रेस आलाकमान की ओर से रायशुमारी के लिए 25 सितम्बर को बुलाई गई विधायक दल की बैठक में कांग्रेस विधायक नहीं पहुंचे. विधायकों ने अलग से बैठक कर सीपी जोशी को अपने अपने इस्तीफे सौंप दिए. बीस दिन से ज्यादा बीतने के बाद भी उन इस्तीफों का क्या हुआ, इसको लेकर संशय बना हुआ है. भाजपा इस्तीफों को लेकर, समय समय पर मांग करती आ रही है. इधर, आज सुबह करीब साढ़े दस बजे बीजेपी नेता और विधायक विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को ज्ञापन देने सिविल लाइन स्थित उनके आवास पहुंचे. ज्ञापन सौंपने के दौरान भाजपा नेताओं ने स्पीकर जोशी से इस्तीफों को लेकर बनी असमंजस की स्थिति स्पष्ट करने की मांग की. इच्छा मात्र से स्वीकार हो जाते हैं त्याग पत्र.
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि विधानसभा नियमों के तहत 173 (2) के तहत कोई विधायक मौखिक या सामने आकर त्यागपत्र देता है. वो बिना अरंत परंतु के सदन छोड़ने की बात लिखता है तो इस्तीफा स्वीकार ही होता है. राजस्थान में आज भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है, जिन्होंने त्याग पत्र दे दिया है वो मंत्री है या नहीं है. फैसला नहीं होने के कारण हम सीपी जोशी से मिले हैं, उनसे आग्रह किया है कि आप इसे लटका कर मत रखो जो भी निर्णय लेना है उसे जनता के सामने स्पष्ट करो। 15वीं विधानसभा की क्या स्टेटस है, उसे स्पष्ट करो. नियमों में यहां तक है कि इच्छा मात्र जाहिर करने से ही त्याग पत्र स्वीकार हो जाता है, अरंतु परंतु लगाया हुआ है तो उसकी जांच हो जाताी है परंतु यदि एक लाइन में सदन का त्याग करने की बात लिखी है तो उसका मतलब है कि इतीफा स्वीकार होना है. स्पीकर को बिना देरी के फैसला लेना चाहिए.
केंद्र में भी एक बार लगी थी इस्तीफों की झड़ी
कटारिया ने कहा कि देश में एक बार केंद्र सरकार त्याग पत्रों की झडी लगी थी, इस्तीफे स्वीकार हुए थे. अन्य राज्यों में भी इस तरह कि मामले सामने आए. राजस्थान में निर्णय में डिले ठीक नहीं है. हमने इंतजार किया, अब विधानसभा अध्यक्ष को असमंजस दूर करना चाहिए. इस मामले में हम लगातार सक्रिय हैं, स्पीकर के निर्णय का एक दो दिन इंतार करेंगे औरआगे जो भी कदम उठाना है उठाएंगे. कटारिया ने कहा कि अभी राज्यपाल की भूमिका नहीं है.
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सरकार बंटी हुई, अल्पमत में है - पूनिया
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि कांग्रेस विधायकों मंत्रियों के इस्तीफों को लेकर कुछ नहीं हुआ तो आज हम स्पीकर से मिले हैं. राजस्थान की जनता उत्सुक है ,हमने कांग्रेस विधायकों के पाखंड पर निर्णय लेने के लिए गुहार लगाई है. उनका निर्णय क्या होगा, इस पर विधायक दल की बैठक में चर्चा करके निर्णय लेंगे. स्पीकर महोदय का निर्णय क्या आता है इस पर डिपेंड करेगा कि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएं या नहीं. पूनिया ने कहा कि सरकार अल्पमत में दिख रही है, सरकार बंटी हुई है. जिस सरकार के मंत्रियों-विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है वो सरकार अल्पमत में आ जाती है.
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नौटंकी के बाद भी तबादला उद्योग
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस विधायक-मंत्रियों ने अपने इस्तीफे स्पीकर को सौंप रखे हैं. इस्तीफों को 15 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन उनकी स्थिति स्पष्ट नहीं है. इधर नियम प्रक्रियाओं के तहत इस्तीफे स्वीकार करने चाहिए. इतनी बड़ी नौटंकी करने के बाद भी मंत्री और विधायक तबादाल उद्योग को चला रहे हैं. जिला कमेटियों की बैठकों में शामिल हो रहे हैं. सारी सुविधाएं भोग रहे हैं. हमने विधानसभा अध्यक्ष से सवाल किया है कि इस्तीफों को लेकर विधायकों को नोटिस देकर पूछे कि उन्होंने ऐसा किया है या वो नौटंकी कर रहे हैं. विधायक और मंत्री भी नौटंकी कर रहे हैं तो वो जनता से माफी मांगे, कह दें कि त्याग पत्र गलती से दे दिया. राठौड़ ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष पर हमें पूरा भरोसा है. जोशी ने हमें ऐसा फैसला देने का आश्वान दिया है जो संसदीय इतिहास में मिसाल बनेगा.