डेंगू की चपेट में राजधानी, SMS अस्पताल में बढ़ी प्लेटलेट्स की डिमांड, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
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डेंगू की चपेट में राजधानी, SMS अस्पताल में बढ़ी प्लेटलेट्स की डिमांड, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

राजस्थान में डेंगू के डंक से लोग परेशान हैं हालात ये है कि राज्य में इस साल अब तक 9 हजार से ज्यादा लोगों को डेंगू ने अपनी चपेट में ले चुका है. डेंगू के चलते राज्य में प्लेटलेट्स की डिमांड भी बढ़ चुकी है और डोनर उतनी संख्या में ब्लड बैंक नहीं पहुँच रहे. राज्य में बड़ी संख्या में डेंगू पॉजिटिव मरीज सामने आ चुके हैं .

 डेंगू की चपेट में राजधानी, SMS अस्पताल में बढ़ी प्लेटलेट्स की डिमांड, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

जयपुर: राजस्थान में डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे राजधानी के सबसे बड़े हॉस्पिटल सवाई मानसिंह अस्पताल में एकाएक प्लेटलेट्स की मांग बढ़ गई है. आमतौर पर डेंगू से पीड़ित मरीजों को ब्लड से निकलने वाली प्लेटलेट्स की आवश्यकता पड़ती है. जिसके बाद एसएमएस अस्पताल के ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स को अधिक मात्रा में स्टोर किया जा रहा है. ताकि जरूरतमंद मरीजों को समय पर प्लेटलेट्स उपलब्ध हो सके. प्रदेश में डेंगू मरीजों की संख्या लगातर बढ़ रही है, जिनमें सर्वाधिक मामले राजधानी जयपुर से देखने को मिले हैं.

चिकित्सा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, अभी तक 9 हजार से ज्यादा डेंगू के मामले प्रदेश में सामने आ चुके हैं, जबकि अकेले जयपुर में 3, 485 मामले डेंगू के देखने को मिले हैं. सरकारी आंकड़ों की बात करें तो डेंगू से 6 मरीजों की मौत भी हो गई है. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में पिछले कुछ दिनों में डेंगू के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

डेंगू की चपेट में आ रहे बच्चे

चिकित्सकों की मानें तो आमतौर पर डेंगू के मामले बारिश के मौसम में देखने को मिलते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों में इसके वायरस में बदलाव आया है और अब सर्दियों में डेंगू का डंक सबसे अधिक देखने को मिल रहा है. यही कारण है कि जयपुर की ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की डिमांड तेजी से बढ़ गई है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की माने तो 11 अक्टूबर से 3 नवम्बर तक 1259 लोग डेंगू के डंक का शिकार हुए हैं. यह आंकड़ा राजस्थान प्रदेश में मिले अन्य बीमारियों के मरीजों के मुकाबले काफी बड़ा हैं. इसमें करीब 30 प्रतिशत संख्या बच्चों की संख्या हैं.

जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ मनोज शर्मा का कहना है कि आमतौर पर अक्टूबर माह में डेंगू के मामलों में कमी देखने को मिलती है क्योंकि डेंगू के मरीज बारिश के मौसम में सबसे अधिक सामने आते हैं लेकिन सर्दियों में डेंगू के केस कम होने के बजाय लगातार बढ़ रहे हैं, इनमें सिंप्टोमेटिक और एसिंप्टोमेटिक मरीज भी देखने को मिल रहे हैं. डेंगू के बढ़ते मामलों के बाद ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स की मांग अचानक बढ़ गई है अस्पताल में मौजूदा समय में हर दिन 25 से 30 यूनिट प्लेटलेट्स परियों को उपलब्ध कराई जा रही है.

चार स्ट्रेन में है डेंगू

हालांकि, पिछले साल के मुकाबले अभी तक हालात ठीक बने हुए हैं. पिछले वर्ष की बात करें तो प्रदेश में तकरीबन 19 हजार से अधिक डेंगू के पॉजिटिव मामले देखने को मिले थे और लगभग 50 से अधिक मरीजों की मौत हुई थी. चिकित्सकों का कहना है कि डेंगू की चपेट में आने के बाद मरीज में तेज बुखार, मसूड़ों से खून आना, पेट में लगातार दर्द और उल्टी होना, शरीर के अन्य भागों से ब्लीडिंग होना और मुख्यतः प्लेटलेट्स कम होने लगती है. चिकित्सकों का यह भी कहना है कि आमतौर पर डेंगू के चार स्ट्रेन अभी तक सामने आए हैं,  जिनमें से फिलहाल डेनवी 1,डेनवी 2 स्ट्रेन एक्टिव नजर आ रहा है.

चिकित्सकों का कहना है कि फिलहाल जो मामले डेंगू के सामने आ रहे हैं वे काफी कॉम्प्लिकेटेड नजर आ रहे हैं. ऐसे में रिसर्च किया जा रहा है कि फिलहाल जो स्ट्रेन डेंगू का सामने आया है उसमें कोई म्यूटेशन तो नजर नहीं आ रहा, ऐसे में जो मरीज सामने आ रहे हैं उनमें सीवियर मामले देखने को मिल रहे हैं हालांकि इससे पहले सिर्फ एसिंप्टोमेटिक केस ही डेंगू के सामने आ रहे थे.

डेंगू और चिकनगुनिया दोनों ही मच्छरों के काटने से फैलता है. दोनों में अचानक तेज बुखार आकर, उल्टी, चक्कर आना और शरीर में कमजोरी आना प्रमुख लक्षण हैं. साथ ही डेंगू में प्लेटलेट्स तेजी से गिरती है. एक स्वस्थ व्यक्ति में सामान्य प्लेटलेट काउंट 150 हजार से 450 हजार प्रति माइक्रोलीटर होता है. जब यह काउंट 150 हजार प्रति माइक्रोलीटर से नीचे चला जाता है तो इसे लो प्लेटलेट माना जाता है.प्लेटरेट गिरने से व्यक्ति की मौत तक हो जाती हैं.

ये सावधानी रखना जरूरी
एसएमएस अस्पताल के डॉ.मनोज शर्मा ने बताया कि आमजन लापरवाही नहीं बरतें. बच्चे घर में पूरी बांह के कपड़े पहनें. सभी अपने पूरे शरीर को ढक कर रखें. मच्छर मारने की दवा का प्रयोग घर व कमरे में करें. घर में और उसके आस-पास पानी एकत्रित न होने दें. गड्ढों को मिट्टी से भर दें. रुकी हुई नालियों को साफ कर दें. रूम कूलरों और फूल दान का सारा पानी सप्ताह मे एक बार पूरी तरह खाली करे दें, उन्हे सुखाएं और फिर से भरें. साथ ही घर के आस-पास सफाई रखें. कहीं भी पानी नहीं भरना चाहिए. पानी की टंकियां तथा बर्तन को सही तरीके से ढक कर रखें ताकि मच्छर उसमें प्रवेश ना कर सकें और प्रजनन न कर पाए. राजस्थान में बारिश का सीजन खत्म होने के बाद डेंगू पूरी तरह एक्टिव हो गया था और अब सर्दी का एहसास होना शुरू हो गया है, लेकिन सर्दी के इस मौसम में भी डेंगू का डंक पूरी तरह एक्टिव दिखाई दे रहा है.

पूरे शरीर को ढकने वाला कपड़ा पहने 

मच्छरों को भगाने व मारने के लिए मच्छर नाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॅाइल्स आदि प्रयोग करें. गूगल  के धुएं मच्छर भगाना एक अच्छा देसी उपाय है. ऐसे कपड़े पहने ताकि शरीर का अधिक से अधिक भाग ढका रहे. यह सावधानी बच्चों के लिए अति आवश्यक है. बच्चो को इस सीजन में निक्कर व टीशर्ट ना ही पहने तो अच्छा है.

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