कॉमन वेल्थ गेम्स में भारत के छोरे और छोरियों ने देश की झोली में जो मेडल पर मेडल दिए हैं, उसे देख कर आज हर भारतीय का सर गर्व से ऊंचा हो गया है. ऐसे में राजस्थान पुलिस ने पूजा की काबिलियत को समझा और खेल कोटे से सबइंस्पेक्टर पद पर नौकरी दे दी. पूजा बताती है कि जब हरियाणा खेल विभाग के अधिकारियों से खेल कोटे से नौकरी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह योग्य नहीं हैं, जबकि पूजा जितनी उपलब्धि पर अन्य खिलाड़ियों को नौकरी मिली थी.
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CWG 2022: कॉमन वेल्थ गेम्स में भारत के छोरे और छोरियों ने देश की झोली में जो मेडल पर मेडल दिए हैं, उसे देख कर आज हर भारतीय का सर गर्व से ऊंचा हो गया है. आज हर कोई उन खिलाड़ियों के बारे में जानना चाहता है जिनकी वजह से ये पल हमें नसीब हुआ है. भारत को पहलवानी में ब्रॉन्ज मैडल दिलाने वाली पूजा सिहाग की कहानी हम आपको बताने जा रहें हैं की आखिर हरियाणा की बेटी ने कैसे बढ़ाया राजस्थान का मान. पहलवान पूजा सिहाग ने कॉमनवेल्थ खेलों में ब्रॉन्ज के रूप में अपना पहला मेडल हासिल किया है.पूजा ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में महिला कुश्ती की 76 किलोग्राम वेट कैटेगरी में ब्रॉन्ज जीता है. 25 साल की पूजा ने ऑस्ट्रेलिया की नाओमी डी ब्रुइन को हराकर अपना पहला कॉमनवेल्थ गेम्स मेडल हासिल किया.
जन्मभूमि हरियाणा है तो कर्म भूमि राजस्थान
आमिर खान की दंगल मूवी तो की तरह ही दिलचस्प कहानी है हरियाणा की छोरी पूजा सिहाग की कहानी में बस ट्विस्ट इतना है की इसका ताल्लुक हमारे राजस्थान है. क्योंकि पूजा की जन्मभूमि हरियाणा है तो कर्म भूमि राजस्थान है. हिसार जिले के गांव सिसाय की रहने वाली पूजा को एक समय जब नौकरी की सख्त आवश्यकता थी और उस समय उन्हें हरियाणा सरकार का सहयोग नहीं मिल पाया. ऐसे में राजस्थान पुलिस ने उनकी काबिलियत को समझा और खेल कोटे से सबइंस्पेक्टर पद पर नौकरी दे दी. पूजा बताती है कि जब हरियाणा खेल विभाग के अधिकारियों से खेल कोटे से नौकरी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह योग्य नहीं हैं, जबकि पूजा जितनी उपलब्धि पर अन्य खिलाड़ियों को नौकरी मिली थी.
इतना ही नहीं पूजा सिहाग ने जब 2017 राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में 76 किग्रा भार वर्ग में रजत पदक और 2019 में अंडर-23 एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में रजत तथा 2021 सीनियर एशियन कुश्ती प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता था, उस समय पूजा ने राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप 2017 के पदक के आधार पर हरियाणा खेल विभाग में जूनियर प्रशिक्षक पद के लिए आवेदन किया था. लेकिन हरियाणा खेल विभाग की तरफ से कहा गया कि जिस भार वर्ग में वह पदक जीती हैं, वह भार वर्ग ओलिपिक में शामिल नहीं है.
उस समय पूजा ने खेल विभाग के अधिकारियों को बताया भी कि यह वर्ग ओलिपिक में शामिल हैं, जिसके बाद खेल विभाग के अधिकारियों ने माना कि गलती हुई है. फिर खेल विभाग की तरफ से कहा गया कि वर्ष 2021 फरवरी में नए नियम लागू हो गए हैं, जिसमें राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में पदक विजेता को नौकरी में शामिल नहीं किया जा सकता. पूजा का कहना है कि उन्होंने आवेदन भी 2017 में किया और नई नीति तीन साल बाद 2021 में आई थी और उनका आवेदन 2021 की नई नीति से पहले का था. नौकरी हासिल करने के लिए पूजा ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में अर्जी लगाई है और न्यायालय का अभी निर्णय आने का इंतजार है. फिलहाल पूजा राजस्थान पुलिस की जवान है और ये पूरे देश के साथ ही राजस्थान के लिए गर्व का विषय है.
कुश्ती से कतराती थी, लेकिन बन गयी पहलवान
साल 2011 में उनके गांव में लड़कियों के लिए रेसलिंग अकादमी खुल गई. पूजा के गांव में जब रेसलिंग अकादमी खुली तो पूजा को उस समय तक कोई फर्क नहीं पड़ा उनका जीवन सामान्य लड़की की तरह ही चल रहा था, लेकिन पूजा के बढ़े हुए वजन से उनके माता-पिता परेशान थे. पूजा के माता-पिता ने बेटी के मोटापे को कम करने की सोचते हुए, उसे रेसलिंग अकादमी में दाखिला दिला दिया. महज 13 साल की पूजा का मन इस समय दंगल और अखाड़े में बिल्कुल नहीं लगता था, क्योंकि उन्हें सिर्फ दो चीज पसंद थी पहली खाना और दूसरी सोना. लेकिन उनके पिता रोज सुबह-शाम पूजा को लेकर अकादमी पहुंच जाते. पूजा कुश्ती से बहुत कतराती थी, यही कारण था की कई बार वो जान बूझ कर ट्रेनिंग सेशन मिस कर दिया करती.
माता-पिता को एयरपोर्ट जाने का मौका मिले इसलिए सीखी कुश्ती
अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती में मैडल तो दूर की बात पूजा का मन किसी तरह की कुश्ती प्रतियोगिता में नहीं था. उन्हें लगता था कुश्ती तो उन से जबरदस्ती करवाई जा रही है. लेकिन कुछ समय बाद जब अकादमी से 5 लड़कियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती खेलने के लिए क्वालीफाई किया और विदेश गई. उस समय अकादमी का माहौल ही बदल गया सब तरफ बस उन्हीं लड़कियों के चर्चे थे. उस समय पूजा के मम्मी पापा ने एक बात कही की काश उनकी बेटी भी कुछ ऐसा करें की कभी उसे छोड़ने एयरपोर्ट पर जाने का मौका मिले. मम्मी पापा की इस बात को पूजा ने गंभीरता से लिया और ठान लिया की अब तो वो भी कुश्ती दिल लगाकर सीखेंगी और अपने मम्मी पापा का सपना जरूर पूरा करेगी
पूजा ने दिन रात एक करके मेहनत की अखाड़े को घर बना लिया और लग गयी पहलवानी में, इसके बाद पूजा ने जूनियर एशियन चैंपियनशिप में 3 ब्रॉन्ज और 1 सिल्वर मेडल जीता. उसके बाद साल 2017 में पूजा ने कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप का सिल्वर मेडल हासिल किया. साल 2021 में पूजा सीनियर एशियन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीतने में कामयाब रहीं और अब कॉमनवेल्थ खेलों में ब्रॉन्ज जीतकर अपने परिवार ही नहीं बल्कि पूरे देश का ख्वाब कर दिया. पूजा के पति अजय नंदल भी पहलवान हैं और भारतीय सेना में हैं.
कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीतने पर भारतीय पहलवान पूजा सिहाग ने कहा कि "अच्छा लग रहा है, मैं इसका श्रेय कोच को दूंगी. बहुत अच्छा महसूस कर रही हूं, मैं भारत को इसका श्रेय दूंगी और ये मेडल मैं अपने देश के लिए ही लाई हूं. पूजा की कहानी ने बता दिया कि कुछ बड़ा करने की शुरुआत एक छोटे से सपने से ही होती है. रस्ते में तमाम मुश्किलें आती है लेकिन लक्ष्य को पाने की ठान ले तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है.
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