अगर आप दुष्टों से हैं परेशान तो चाणक्य ने बचाव के लिए सुझाया है यह समाधान, ऐसे करें नीति का प्रयोग
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अगर आप दुष्टों से हैं परेशान तो चाणक्य ने बचाव के लिए सुझाया है यह समाधान, ऐसे करें नीति का प्रयोग

चाणक्‍य ने नीति शास्‍त्र में दुष्टों से बचने के कई उपाय बताए हैं. चाणक्य नीति में बताया गया है कि व्‍यक्ति इन 4 बातों का ध्‍यान रखकर दुर्जन और दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों से बच सकता है.  

अगर आप दुष्टों से हैं परेशान तो चाणक्य ने बचाव के लिए सुझाया है यह समाधान, ऐसे करें नीति का प्रयोग

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियां  ईसा पूर्व जितनी अहम थी आज भी उतनी ही ज्यादा महत्वपूर्ण हैं.  चाणक्य ने धर्म, संस्कृति, न्याय, शांति, सुशिक्षा और सर्वतोन्मुखी मानव जीवन की सफलता पर एक नीतिशास्त्र तैयार की है. उनके श्लोकों से मनुष्य को कई प्रकार की ज्ञानवर्धक जानकारी मिलती है. इन्हें आजमाकर आप अलग-अलग समस्याओं से निजात पा सकते हैं. आचार्य चाणक्‍य ने दुष्ट लोगों के बारे में सटीक जानकारी दी है. चाणक्य अपने नीतिशास्त्र में बताते हैं कि सफल व्‍यक्ति के आसपास दुष्टों की कमी नहीं होती है. वह दूसरों की सफलता से जलता है और हर समय उसे नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचता है.  

आचार्य चाणक्‍य ने नीति शास्‍त्र में दुष्टों से बचने के कई उपाय बताए हैं. चाणक्य नीति में बताया गया है कि व्‍यक्ति इन 4 बातों का ध्‍यान रखकर दुर्जन अथवा दुष्ट प्रवृत्ति के लोग से बच सकता है.  महान नीतिकार चाणक्य ने दुष्ट लोगों के बारे में कुछ खास बातें बताई हैं. उन्होंने श्लोकों के माध्यम से लोगों को ऐसे दुर्जनों से बचने की सलाह दी है.

नदुर्जन:साधुदशामुपैतिवहुप्रकारैरपिशिक्ष्यमाण:।
आद्यामूलसिक्त:पयसाघृतेनिनंबवृक्षा मधुरत्वमेति।।

चाणक्य नीति शास्त्र में बताया गया है कि दुष्टों को चाहे कितनी भी अच्छी संगति में रखा जाए वह कभी नहीं सुधर सकता है. चाणक्य कहते हैं कि दुष्ट प्रवृत्ति वालों को कैसे भी नैतिक व्यवहार सिखलाया जाय, लेकिन उनके व्यवहार में बदलाव नहीं हो सकता है. ऐसे लोगों से दूरी ही अच्छी है.

अंतर्गतमलोदुष्टस्तीर्थस्नाननशतैरपि।।
नशुद्धियतितथाभांडंसुरायादाहितंचत।।

दुष्ट के पाप कभी नहीं धुलते
चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति के मन और मस्तिष्क में पाप भरा है वह दुष्ट की श्रेणी में आएगा. ऐसा व्यक्ति इतने कुकर्म कर चुका होता है कि वह सौ तीर्थस्नान के जल में भी जाकर स्नान कर ले तब भी उसके पाप नहीं धुल सकते हैं. इसलिए मनुष्य को सत्कर्म का पालन करते हुए मोक्ष प्राप्त करना चाहिए.

चाणक्य का कहना है कि जैसे सौ तीर्थस्थल के जल का स्नान करने के बावजूद किए गए पाप से मुक्ति नहीं मिल सकती उसी तरह जिस बर्तन में मदिरा का सेवन किया जाता है, वह बर्तन चाहे कितनी बार भी धो दिया जाए या जला भी दिया जाए तो भी शुद्ध नहीं हो सकता है. मनुष्य को इन बातों का अपने जीवन में ध्यान रखना चाहिए.

नीम हमेशा कड़वा रहेगा 
चाणक्य कहते हैं कि जिस प्रकार दुष्ट मनुष्य की प्रवृत्ति नहीं बदलती वैसे ही नीम के पौधे पर आप दूध या घी चढ़ा लो वह नीम का पेड़ अपनी प्रवृत्ति के अनुसार कड़वाहट ही देगा. दूध और घी से सींचे जाने पर भी वह मीठा नहीं हो सकता.

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