याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को गत एक सितंबर को अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने के आधार पर निलंबित कर दिया और मुख्यालय धौलपुर आगार कर दिया.
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Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने रोडवेज परिचालक पद पर कार्यरत कर्मचारी को बिना आरोप पत्र दिए निलंबन करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है. वहीं अदालत ने मामले में रोडवेज के प्रबंध निदेशक और कार्यकारी निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश सुभाष चंद पंवार की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को गत एक सितंबर को अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने के आधार पर निलंबित कर दिया और मुख्यालय धौलपुर आगार कर दिया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ बिना टिकट यात्रा कराने के रिमॉर्क के आधार पर विभागीय कार्रवाई किया जाना प्रस्तावित है, लेकिन याचिकाकर्ता को निलंबन करने तक कोई आरोप पत्र ही जारी नहीं किया गया.
जबकि स्टैंडिंग आदेश 35 के अनुसार निलंबन आदेश के साथ आरोप पत्र की कॉपी संलग्न किया जाना जरूरी है. याचिकाकर्ता को विभागीय जांच प्रस्तावित करने के आधार पर ही निलंबित किया गया है जो कि निगम के स्टैंडिंग आदेश के खिलाफ है. ऐसे में उसके निलंबन आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
Reporter-Mahesh Pareek
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