Jaipur: जल संसाधन विभाग में जमकर चला 1 हजार करोड़ की "सिंचाई का खेल",'शिव' पर 'रत्नों' की जमकर हुई मेहरबानी
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Jaipur: जल संसाधन विभाग में जमकर चला 1 हजार करोड़ की "सिंचाई का खेल",'शिव' पर 'रत्नों' की जमकर हुई मेहरबानी

Jaipur News: जल संसाधन विभाग में 1000 करोड़ के घोटाले का खेल उजागर हुआ है. जल जीवन मिशन में 2100 करोड़ का घोटाला करने वाली जगदीश प्रसाद अग्रवाल फर्म का खेल सिंचाई विभाग में भी जमकर चला.

Water Resources Department Corruption

Jaipur News: जल संसाधन विभाग में 1000 करोड़ के घोटाले का खेल उजागर हुआ है. टेंडरों की शर्तों में हेराफेरी के साथ - साथ फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया है. इस खेल में फर्मों के साथ साथ इंजीनियर्स की मिलीभगत भी सामने आई है.

जगदीश के लिए भुवन ने नियम बदले-.

जल जीवन मिशन में 2100 करोड़ का घोटाला करने वाली जगदीश प्रसाद अग्रवाल फर्म का खेल सिंचाई विभाग में भी जमकर चला. प्लानिंग डिजाइन एंड कंस्ट्रक्शन ऑफ सोलर इरीगेशन स्कीम में 1000 करोड़ के टैंडर में जमकर भ्रष्टाचार की सिंचाई हुई. 

उदयपुर के इस प्रोजेक्ट के टैंडर में बीईई यानी ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी का सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया ,जो पूरी तरह से गलत है. क्योंकि सर्टिफिकेट निर्माता को उपकरण के लिए जारी किया जाता है ना कि ठेकेदारों को. इस शर्त के कारण दूसरी फर्में टैंडर में हिस्सा नहीं ले पाई और चहेती फर्म जगदीश प्रसाद अग्रवाल को टैंडर मिल गया.

 जेजेएम में घोटाले को लेकर इस फर्म के मालिक शिवरतन अग्रवाल के घर-दफ्तर पर ईडी की रेड पडी थी.इस पूरे मामले में तत्कालीन एडिशनल चीफ इंजीनियर और चीफ इंजीनियर भुवन भास्कर का कहना है कि नियम शर्ते कार्य के अनुसार बदलती है.पहले बीईई की शर्त के कारण फर्में नहीं आ रही थी,लेकिन बाद में बीईई की शर्त इसी वजह से हटा दी.

जहां-जहां शिव,वहां-वहां घोटाले का रत्न-

जिला.. NIT COST फर्म ने हिस्सा लिया सेंशन रेट
चित्तौड़गढ़. 22.17 करोड़ जगदीश प्रसाद JV 24 करोड़  (8.25% above)
डूंगरपुर .46.16 करोड़ जगदीश प्रसाद-JV 50.78 करोड़  (10% above)
बांसवाड़ा .18.87करोड़ सिर्फ जगदीश प्रसाद 20.75 करोड़  (9.9% above)
बांसवाड़ा 119.74करोड़ जगदीश प्रसाद-JV 131.70 करोड़  (9.9% above)
प्रतापगढ़ 5.75 करोड़ .सिर्फ जगदीश प्रसाद 6.32 करोड़ (9.95% above)
       

 सेम वर्क में बाद में शर्त क्यों हटाई?

जगदीश प्रसाद अग्रवाल फर्म को दिए गए ये सभी कार्य सिंगल बिड के थे, यानि मनमानी शर्त के कारण दूसरी फर्में हिस्सा नहीं ले पाई. मई 2023 को भुवन भास्कर का तबादला हुआ और वे जयपुर आ गए तो टैंडर से बीईई सर्टिफिकेट की शर्तें भी समान कार्यों से हट गई. इसके बाद ऐसे ही कार्यों के 7 टैंडर जारी हुए, लेकिन उसमें बीईई सर्टिफिकेट की शर्त ही हटा दी. जब बीईई की शर्ते लगाई गई तब कार्यों की रेट 9 प्रतिशत से ज्यादा थी, लेकिन जब BEE सर्टिफिकेट की शर्त हटाई तब रेट 25% कम हो गई.

शर्तें मन मुताबिक लगाई-

इतना ही जगदीश प्रसाद के लिए भुवन भास्कर ने शर्ते बदल दी. शर्तों में टनल के कार्य का अनुभव जरूरी था, लेकिन बाद में ये शर्त हटा दी. वहीं जगदीश प्रसाद फर्म ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाया. नियमों को ताक पर रख और मैनेजमेंट कर शिवरतन अग्रवाल को 1 हजार करोड़ की मेहरबानी हुई.अब सवाल ये है क्या भुवन भास्कर के जरिए दिए गए कार्यों की जांच होगी? क्या अब भजनलाल सरकार, मंत्री सुरेंद्र सिंह रावत और एसीएस अभय कुमार पूरे मामले की सघनता से जांच करवाएंगे. अब ऐसे में क्या जल जीवन मिशन के बाद जल संसाधन में भी ईडी की एंट्री होगी?

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