Mental Illness: दिमाग का विचलित होना हो सकता है इस गंभीर बीमारी का संकेत, क्या शॉक थेरेपी से बचेगी जान?
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Mental Illness: दिमाग का विचलित होना हो सकता है इस गंभीर बीमारी का संकेत, क्या शॉक थेरेपी से बचेगी जान?

Mental Health Illness: मानसिक रोग में व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता और उसका अपनी भावनाओं और व्यवहार पर काबू नहीं रहता हैं. मानसिक रोगी आसानी से दूसरों को समझ नहीं पाता और उसे रोजमर्रा के काम ठीक से करने में भी मुश्किल होती है.

Mental Illness: दिमाग का विचलित होना हो सकता है इस गंभीर बीमारी का संकेत, क्या शॉक थेरेपी से बचेगी जान?

Mental Health Illness: आज-कल की तनाव भरी जीवनशैली की वजह से दुनिया के लाखों लोग मानसिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. इन गंभीर बीमारियों के प्रति जागरूकता की कमी के कारण ज्यादातर लोग इन समस्याओं पर ध्यान ही नहीं देते हैं, जिससे तनाव, डिप्रेशन और चिंता जैसी समस्याएं शुरू हो जाती है और यह बेहद गंभीर हो जाती है. 

कोरोना महामारी के बाद दुनियाभर में मानसिक बीमारी के मरीज बढ़े हैं और ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि मानसिक बीमारियों के प्रति लोगों में जागरूकता रहें और समय रहते ही मनोचिकित्सक की सलाह लें ली जाए. मानसिक बीमारियों का शिकार होने पर कई तरह के ऐसे लक्षण होते हैं, जिनकी मदद से इसकी शुरुआत समझ में आ जाती है.

मानसिक बीमारी क्या है?
मानसिक बीमारी एक प्रकार का विकार है, जो मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों की एक विस्तृत श्रृंखला को संदर्भित करता है. यह विकार व्यक्ति के मूड, व्यवहार और सोच को प्रभावित करता है. मानसिक बीमारी में चिंता, अवसाद, व्यसनी व्यवहार या मनोविकृति जैसे विकार शामिल हैं. कई लोगों को समय-समय पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं होती हैं, लेकिन ये मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं एक मानसिक बीमारी बन सकती हैं और इसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क में और भी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.
जागरूकता की कमी और लोगों का इस पर ध्यान न देने की वजह से ये बीमारियां धीरे-धीरे गंभीर होने लगती हैं और मरीज के लक्षण भी बिगड़ने लगते हैं. मानसिक बीमारियों की वजह से इंसान का शारीरिक स्वास्थ्य और कामकाज गंभीर रूप से प्रभावित हो जाता है.

मानसिक रोग के प्रकार? 

मानसिक रोग कई प्रकार के होते है, जैसे:
- चाइल्डहुड डिसऑर्डर
- एंग्जायटी डिसऑर्डर
- मूड डिसऑर्डर
- विघटनशील विकार
- पर्सनालिटी डिसॉर्डर
- साइकोएनालिसिस और मेंटली डिसऑर्डर
- साइकोसोमेटिक और सोमेटिक डिसऑर्डर

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मानसिक बीमारियों के लक्षण 
- किसी भी काम में मन नहीं लगना
- चिड़चिड़ापन और बेचैनी
- नींद से जुड़ी परेशानियों की शुरुआत
- वजन तेजी से बढ़ना या कम होना
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
- इंसान की मनोदशा में बदलाव
- शरीर में उर्जा की कमी
- खानपान की आदतों में बदलाव
- सिरदर्द, कमर दर्द और शरीर में लगातार दर्द
- शराब या ड्रग्स का सेवन
- बिस्तर से उठने या नहाने जैसी डेली रुटीन की चीजें भी आपको टास्क लगती हैं
- आप लोगों से कटने लगे हैं.
- आप खुद से नफरत करते हैं और अपने आप को खत्म करना चाहते हैं

मानसिक बीमारी का इलाज क्या है?
मानसिक बीमारी से बचाव के लिए लक्षणों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है और इसमें यह जानना शामिल है कि आप कैसा महसूस करते हैं और आपके लक्षण कितने बुरे हैं. आप इन लक्षणों को दूसरों को आसानी से समझा सकते हैं, अगर वे इसे समझते हैं, तो वे आपकी मदद कर सकते हैं और अगर वे आपका मजाक उड़ाते हैं, तो उनसे दूर रहें. इसके साथ ही मानसिक रोग से मुक्ति पाने के लिए जातक को दूसरों की मदद करने का प्रयास करना चाहिए और यह व्यक्ति को सुख और संतुष्टि प्रदान करता है और वह अपने मानसिक तनाव को भूल जाता है. यह एक भावनात्मक प्रतिक्रिया बनाता है, जो तनाव और चिंता को दूर रखता है. इससे आप बेहतर महसूस करते हैं और आप कहीं भी काम कर सकते हैं. आप अलग-अलग लोगों से मिलते हैं और नई चीजों का अनुभव करते हैं. दूसरों से बात करने से आपको बहुत-सी अनोखी जानकारी मिलती है, जो आपके दिमाग को व्यस्त रखती है.

डिप्रेशन में इंसान क्यों नहीं रह पाता खुश?
डिप्रेशन या दिमागी तकलीफें सिर्फ उसे ही होती हैं, जिसकी जिंदगी में कोई बहुत बड़ा हादसा हुआ हो या जिसके पास दुखी होने की बड़ी वजहें हो, लेकिन ऐसा नहीं है.
लोग अक्सर पूछते हैं कि ''तुम्हें डिप्रेशन क्यों है? क्या कमी है तुम्हारी लाइफ में?'' यह पूरी तरह से गलत है. डिप्रेशन के दौरान इंसान के शरीर में खुशी देने वाले हॉर्मोन्स जैसे कि ऑक्सिटोसीन का बनना कम हो जाता है और यही वजह है कि डिप्रेशन में आप चाहकर भी खुश नहीं रह पाते. इसे दवाइयों, थेरेपी और लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर सही किया जा सकता है.

कब दी जाती है शॉक थेरेपी?
शॉक थेरेपी के लिए डॉक्टरों का कहना हैं कि ''इसमें हायतौबा मचाने की जरूरत नहीं है. शॉक थेरेपी तब दी जाती है, जब मरीज पर दवाइयों का असर न हो रहा हो. अगर कोई अपनी जान लेने पर तुला है और उसे तुरंत काबू में लाना पड़े, तब ही इसकी जरूरत पड़ती है.'' इसके साथ ही ''मानसिक बीमारियों से ग्रसित गर्भवती महिलाओं को भी शॉक थेरेपी देते हैं, क्योंकि कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. इससे पता चलता है कि यह पूरी तरह सेफ है.''

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