Jain Sadhu-Sadhvi : राजस्थान का जैन समुदाय सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाए जाने से नाराज है और अहिंसा के पुजारी जैन श्वेतांबर मामले को लेकर देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं एक जैन साधु या साध्वी का जीवन कैसा होता है. जैन धर्म के दो पंथ हैं. श्वेतांबर और दिगंबर, दोनों की पंथ भैतिक सुख सुविधा से दूर रहते हैं. दोनों ही पंथ मर्यादित और अनुशासित जीवन जीते हैं. श्वेतांबर साधु साध्वियां शरीर पर केवल एक पतला सा सूती वस्त्र पहने रहते हैं.
जैन साधु और साध्वियां जमीन पर सोते हैं. चाहे कितनी भी ठंड हो . ज्यादा से ज्यादा ये लोग सूखी घास को सोने के लिए प्रयोग करते हैं. कहा जाता है कि इन जैन साधु और साध्वियां की नींद बहुंत कम देर की होती है.
जैन साधु और साध्वियां अपने शरीर को गीले कपड़े से पोछ कर तरोताजा महसूस कर लेते हैं. इससे उनका शरीर हमेशा तरोताजा महसूस करता है.
जैन साधु और साध्वियां बाहरी नहीं बल्कि आंतरिक स्वच्छता पर जोर देते हैं. यानि की भावों की शुद्धि शरीर की शुद्धि से ज्यादा जरूरी है.
दीक्षा लेने के बाद कोई जैन साधु या साध्वियां नहीं नहाती हैं. ये मानते हैं कि स्नान करने से सूक्ष्म जीवों का जीवन नष्ट हो जाएगा जो उनके शरीर पर हैं. अपने मुंह पर कपड़ा बांधकर रहने वाले ये साधु साध्वियां ये मानते हैं कि ऐसा करने पर कोई सूक्ष्म जीव मुंह में घुस सकता है.
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