Jaipur: पूरे देश में दशहरा को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं. हर कोई हर्ष और उल्लास के साथ रावण दहन की तैयारियों में जुटा हुआ है. वैसे तो दशहरा बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूम में मनाया जात है पर बहुत ही कम लोग जानते हैं कि रावण बहुत बड़े विद्वानी थे.
दशहरे के दिन भगवान श्रीराम ने लंका नरेश रावण का वध किया था. श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे. इनका जन्म अधर्म, असत्य और पाप का अंत करने के लिए हुआ था पर क्या आप जानते हैं कि भारत में कई मंदिर ऐसे हैं, जहां पर रावण की पूजा होती है. दशहरे के दिन लोग खुशी नहीं शोक मनाते हैं. चलिए आपको रावण की पूजा वाले मंदिरों के दर्शन करवाते हैं.
कर्नाटक के कोलार जिले में रावण का खासा महत्व है. यहां लंकेश्वर महोत्सव का आयोजन होता है. यहां उसकी पूजा होती है और जुलूस निकाला जाता है. यहां रावण के साथ-साथ भगवान शिव का भी पूजन होता है. मालवल्ली तहसील में रावण का मंदिर भी स्थापित है.
माना जाता है कि लंकापति रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म MP के विदिशा में हुआ था. इसे रावण की ससुराल कहा जाता है. यहां रावण की 10 फीट लंबी प्रतिमा भी स्थापित है और रावण की पूजा की जाती है.
भारत में रावण का सबसे पहला मंदिर मध्य प्रदेश में बनाया गया था. मंदसौर में रावण की विशाल प्रतिमा रखी हुई है. इसकी लोग पूजा करते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि रावण की मूर्ति के सामने महिलाएं घूंघट डालकर जाती हैं. मंदसौर को मंदोदरी का मायका माना जाता है. वहीं, रावण को दामाद के समान सम्मान दिया जाता है.
हिमाचल प्रदेश में बैजनाथ कस्बा स्थित है. यहां रावण पूजनीय है. बता दें कि बैजनाथ कस्बे में रावण की कोई मूर्ति नहीं है. मान्यता है कि इसी जगह पर रावण ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी. यही वजह है कि यहां पर रावण की पूजा होती है. लोग कभी उसका पुतला नहीं जलाते.
देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के कानपुर में रावण का दशानन नाम से मंदिर है. जानकारी के अनुसार यह साल में सिर्फ दो बार ही खुलता है. यह कानपुर के शिवाला क्षेत्र में स्थित है. यह मंदिर दशहरे के दिन खुलता है. तेल का दीया जलाने से यहां मांगी हर मनोकामना पूर्ण होती है.
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