Rajasthan Assembly By Election: राजस्थान उपचुनाव में BJP ने 2 बागी नेताओं पर क्यों खेला दांव, समझे सियासी गणित
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Rajasthan Assembly By Election: राजस्थान उपचुनाव में BJP ने 2 बागी नेताओं पर क्यों खेला दांव, समझे सियासी गणित

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राजस्थान की सात विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए अपने छह प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है.

Rajasthan Assembly By Election: राजस्थान उपचुनाव में BJP ने 2 बागी नेताओं पर क्यों खेला दांव, समझे सियासी गणित

Rajasthan Assembly By Election : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राजस्थान की सात विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए अपने छह प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. इनमें झुंझुनू से राजेंद्र भांबू, रामगढ़ से सुखवंत सिंह, दौसा से जगमोहन मीणा, देवली उनियारा से पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर, खींवसर से रेवंतराम डांगा, और सलूंबर से शांता देवी मीणा शामिल हैं. अभी चौरासी सीट के प्रत्याशी का ऐलान बाकी है.

राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तैयारी शुरू हो गई है, और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने छह विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है. इनमें झुंझुनू, रामगढ़, दौसा, देवली उनियारा, खींवसर और सलूंबर शामिल हैं. अभी केवल चौरासी विधानसभा सीट के लिए प्रत्याशी का नाम ऐलान करना बाकी रहा है.

भाजपा ने जिन्हें प्रत्याशी बनाया है, उनमें दो नेता भाजपा के बागी रह चुके हैं - झुंझुनू प्रत्याशी राजेंद्र भांबू और रामगढ़ प्रत्याशी सुखवंत सिंह. ये दोनों नवंबर 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से बागी होकर चुना मैदान में उतरे थे. अब इन बागी नेताओं पर भाजपा ने भरोसा कर लिया है. इसके अलावा, देवली उनियारा से पूर्व विधायक रहे राजेंद्र गुर्जर और खींवसर से रेवंतराम डांगा को फिर से टिकट दिया गया है. सलूंबर सीट पर सहानुभूति कार्ड खेलते हुए दिवंगत विधायक अमृत लाल की पत्नी शांता देवी मीणा को मौका दिया है. 

राजस्थान उपचुनाव में बीजेपी ने 2 बागी नेताओं पर दांव क्यों खेला, यह समझने के लिए राजनीतिक गणित को देखना होगा. बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है, जिसमें दो बागी नेताओं को टिकट दिया गया है. यह फैसला राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें पार्टी ने अपने समर्थन को बढ़ाने और विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश की है. इस फैसले के पीछे की वजह यह हो सकती है कि बागी नेताओं का अपने क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है, जिससे बीजेपी को वोट मिल सकते हैं. इसके अलावा, यह फैसला विपक्षी पार्टियों को कमजोर करने के लिए भी हो सकता है, क्योंकि बागी नेताओं के जाने से उनकी पार्टी को नुकसान हो सकता है.
 
हालांकि, यह फैसला जोखिम भरा भी हो सकता है, क्योंकि बागी नेताओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं. इसके अलावा, यह फैसला पार्टी के भीतर असंतोष भी पैदा कर सकता है, क्योंकि कुछ नेता इस फैसले से असहमत हो सकते हैं.इसलिए, राजस्थान उपचुनाव में बीजेपी के इस फैसले का परिणाम क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा.

झुंझुनूं विधानसभा सीट 
राजेंद्र भांबू झुंझुनूं विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी हैं. वे पिछले दो चुनाव से लगातार किस्मत आजमा रहे हैं. 2018 में भाजपा के टिकट पर दूसरे स्थान पर रहे, लेकिन 2023 में टिकट काटे जाने के बाद बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़कर तीसरे स्थान पर रहे. अब भाजपा ने फिर से उन पर भरोसा जताया है और नवंबर 2023 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रहने वाले पार्टी प्रत्याशी बबलू चौधरी का टिकट काटकर उन्हें टिकट दिया है.

रामगढ़ विधानसभा सीट
रामगढ़ विधानसभा सीट पर भाजपा ने सुखवंत सिंह पर दांव लगाया है, क्योंकि वे लगातार दो चुनावों में दूसरे स्थान पर रहे हैं. इससे पहले, नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया था, जिसके बाद उन्होंने बगावत कर दी और आजाद समाज पार्टी में शामिल हो गए. आजाद समाज पार्टी के टिकट पर सुखवंत सिंह ने 74,069 वोट हासिल किए और दूसरे स्थान पर रहे, कांग्रेस के जुबेर खान से 19,696 मतों से हार गए. भाजपा के जय आहुजा 58,883 मतों से पीछे रहते हुए तीसरे स्थान पर रहे. सुखवंत सिंह लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति के प्रधान भी रहे हैं और 2018 के विधानसभा चुनावों में भी दूसरे स्थान पर रहे थे. भाजपा ने उन्हें जिताऊ प्रत्याशी मानते हुए अब उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है ¹.

दौसा विधानसभा सीट 
दौसा विधानसभा सीट से भाजपा ने जगमोहन मीणा को चुनाव मैदान में उतारा है, जो कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के सगे छोटे भाई हैं. जगमोहन मीणा ने पहले आरएएस अधिकारी के रूप में काम किया था, लेकिन 10 साल पहले उन्होंने वीआरएस लेकर राजनीति में कदम रखा था. वह पिछले कई चुनावों से टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला था. अब, कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा सरकार से विरोध कर रहे हैं और उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया है, हालांकि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है. ऐसा लगता है कि पार्टी ने डॉ. किरोड़ी लाल को राजी करने के लिए उनके भाई जगमोहन मीणा को चुनाव मैदान में उतारा है. यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम है जो आगे चलकर राजस्थान की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

खींवसर विधानसभा सीट
रेवंत राम डांगा नागौर की खींवसर विधानसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी हैं. वे पहले हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी में लंबे समय से सक्रिय थे, लेकिन नवंबर 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा में शामिल हुए. डांगा ने हनुमान बेनीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ा और महज 2059 मतों से हार गए. उनके प्रदर्शन से प्रभावित होकर भाजपा ने उन पर एक बार फिर भरोसा जताया है ¹.
डांगा का राजनीतिक अनुभव काफी समृद्ध है, उन्होंने 15 साल तक सरपंच के रूप में काम किया है, और वर्तमान में उनकी पत्नी मूंडवा पंचायत समिति की प्रधान हैं. यह उनकी नेतृत्व क्षमता और जनता से जुड़ाव को दर्शाता है..

देवली उनियारा विधानसभा सीट
टोंक जिले की देवली उनियारा विधानसभा सीट पर भाजपा ने पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर को प्रत्याशी बनाया है. राजेंद्र गुर्जर ने 2013 से 2018 तक देवली उनियारा से भाजपा के विधायक के रूप में कार्य किया, लेकिन 2018 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद, 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया, लेकिन इसके बावजूद राजेंद्र गुर्जर पार्टी के साथ रहे और बगावत नहीं की. इस बार उन्हें पार्टी ने फिर से मौका दिया है और देवली उनियारा विधानसभा उपचुनाव में उन पर भरोसा जताया है ¹. यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है, जहां 2008 में रामनारायण मीना और 2018 में हरीश मीना विजयी हुए थे. 2023 में भी हरीश मीना यहां से विधायक निर्वाचित हुए थे ¹.

सलूंबर विधानसभा सीट
भारतीय जनता पार्टी ने सलूंबर विधानसभा क्षेत्र से शांता देवी मीणा को मैदान में उतारा है. शांता देवी दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी हैं और साथ ही शांता देवी मीणा सेमारी ग्राम पंचायत की सरपंच भी है. जानकारी के लिए बता दें कि अमृतलाल मीणा लगातार तीन बार से विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं. इसी को देखते हेउ भाजपा ने उनकी पत्नी को जीत का परचम लहराने का मौका दिया है.

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