Rajasthan News: करीब 8 साल बाद राज्य में एक बार फिर ग्रामीण परिवहन बस सेवा की बसें दौड़ती हुई नजर आएंगी. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की परिवर्तित बजट घोषणा को पूरा करने के लिए रोडवेज प्रशासन ने कवायद तेज कर दी है. वित्त विभाग ने रोडवेज प्रशासन को रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर बसें चलाने की मंजूरी दे दी है. क्या है पूरी योजना, कब तक चल सकेंगी बसें? पढ़िए, यह खास रिपोर्ट...
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Rajasthan News: वर्ष 2016 के बाद एक बार फिर राजस्थान में ग्रामीण परिवहन बस सेवा की बसें संचालित होंगी. हालांकि, पिछले कुछ सालों में इस सेवा को फिर से शुरू करने के लिए कई बार प्रयास किए गए, लेकिन निजी बस सेवा संचालकों के रुझान नहीं दिखाने और फंडिंग की दिक्कतों के चलते बस सेवा शुरू नहीं हो सकी, लेकिन अब राजस्थान रोडवेज प्रशासन ने ग्रामीण बस सेवा को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं.
दरअसल, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने परिवर्तित बजट घोषणा में ग्रामीण क्षेत्रों में बस सेवा मजबूत करने के लिए यह घोषणा की थी. इसकी पालना में रोडवेज प्रशासन, परिवहन विभाग और वित्त विभाग के बीच पिछले कुछ समय में लगातार वार्ता हुई है. अब रोडवेज प्रशासन ने वित्त विभाग के मार्गदर्शन में रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल तैयार किया है. इसकी खास बात यह है कि बसें निजी बस संचालकों की होगी, बस में डीजल से लेकर चालक-परिचालक भी निजी कंपनियों के होंगे. हालांकि, रोडवेज प्रशासन इन बसों पर अपना पूर्ण नियंत्रण रखेगा. इसी वजह से इन बसों को रोडवेज बस अड्डों के अंदर से संचालित करने की अनुमति दी जाएगी.
क्या रहेगा बस संचालन का मॉडल ?
ग्रामीण बस सेवा के तहत 362 रूटों पर बसें संचालित होंगी. ये बसें ग्राम पंचायतों को ब्लॉक और जिला मुख्यालयों से जोड़ेंगी. बस निजी बस संचालक की होगी, नियंत्रण रोडवेज का रहेगा. बसें रोडवेज बस स्टैंड के अंदर से चलेंगी, यात्री बैठ सकेंगे. बसों में महिलाओं, बुजुर्गों को रोडवेज की तरह किराए में छूट मिलेगी. इसके पेटे में रोडवेज प्रशासन निजी संचालक को 15 फीसदी का भुगतान करेगा. वहीं बस संचालन के पेटे निजी बस संचालक रोडवेज को पैसा देगा. बसों का किराया 1.50 रुपए प्रति किमी की दर से लिया जा सकेगा. यानी साधारण या एक्सप्रेस बसों की तुलना में डेढ़ गुना महंगा सफर होगा. हालांकि, जो रूट चिन्हित किए, वहां प्राइवेट बसें पहले से अधिक किराया ले रहीं. बसें 22 सीटर होंगी, पुशबैक वाली, यानी सेमी डीलक्स श्रेणी की होंगी.
निजी बस संचालक इस सेवा के लिए इसलिए आकर्षित होंगे, क्योंकि इन रूटों पर उनका एकाधिकार रहेगा. इसे लेकर रोडवेज प्रशासन ने परिवहन विभाग को पत्र लिखा है. पत्र में 362 रूटों पर रूट परमिट दिए जाने के लिए अनुमति मांगी है. साथ ही संबंधित आरटीओ और डीटीओ को यह निर्देश देने के लिए कहा है कि इन 362 रूटों पर किसी अन्य निजी बस संचालकों को परमिट नहीं दिए जाएं.
बस संचालन में और क्या खास ?
रोडवेज प्रशासन ने नई बस की अनिवार्यता की शर्त नहीं रखी है. कंडीशन यह होगी कि 6 साल से अधिक पुरानी बस नहीं हो. इन बसों में रोडवेज के उड़नदस्ते चेकिंग भी कर सकेंगे. सेमी डीलक्स बसें होने से यात्रियों का सफर आरामदायक रहेगा. ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली बसें एक तरफ से 125 किमी दूरी तय करेगी. औसतन प्रत्येक रूट परमिट 250 किमी दूरी का होगा.
रूट पर एकाधिकार रहने से ग्रामीण बस सेवा की बसों में यात्रियों को अच्छा यात्रीभार मिलेगा और यह रूट उनके लिए मुनाफे का सौदा साबित होंगे. वहीं राज्य सरकार को उम्मीद है कि इन 362 रूटों के जरिए करीब 2100 ग्राम पंचायतों को कवर किया जा सकेगा. इस तरह प्रदेश की 2100 ग्राम पंचायतों तक आवागमन के लिए राज्य सरकार की ग्रामीण बस सेवा उपलब्ध हो सकेगी.
रिपोर्टर- काशीराम चौधरी
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