सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद B.Ed, BSTC विवाद खत्म, क्या दोनों पक्षकारों को मिला हक?
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद B.Ed, BSTC विवाद खत्म, क्या दोनों पक्षकारों को मिला हक?

Supreme Court: राजस्थान में लंबे समय से जारी रीट भर्ती परीक्षा को लेकर बड़ी खबर है, आपको बता दें इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला साफ कर दिया है.बीएड अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट ने लेवल-1 के लिए पात्र नहीं माना है. 

 

फाइल फोटो.

Supreme Court: राजस्थान में लंबे समय से चला आ रहा बीएड-बीएसटीसी विवाद खत्म हो गया.सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है, कि ग्रेड थर्ड टीचर भर्ती के लेवल-1 के लिए केवल बीएसटीसी और इसके समकक्ष डिप्लोमाधारी ही पात्र होंगे.बीएड अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट ने लेवल-1 के लिए पात्र नहीं माना है.मामले में 12 जनवरी 2023 को सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे 11 अगस्त को सुनाया गया.

हाईकोर्ट के फैसले को सही माना

सुप्रीम कोर्ट में बीएसटीसी अभ्यर्थियों की ओर से पैरवी करने वाले एडवोकेट विज्ञान शाह ने बताया कि राजस्थान हाईकोर्ट ने साल 2021 में NCTE की 28 जून 2018 की अधिसूचना को रद्द कर दिया था.जिसे देशभर से लाखों बीएड अभ्यर्थियों के साथ एनसीटीई और केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को सही माना है.इस फैसले का प्रभाव पूरे देश में पड़ेगा.बीएड और बीएसटीसी धारियों को अपना-अपना हक मिला है.

बीएड अभ्यर्थियों को झटका जरूर,लेकिन प्रभावित नहीं होंगे

देश के अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में बीएड डिग्री धारकों को लेवल-1 में नियुक्ति नहीं मिली है. क्योंकि यहां हाईकोर्ट के आदेश के बाद रीट भर्ती परीक्षा-2020 में लेवल-1 में बैठने वाले बीएड अभ्यर्थियों का परिणाम सरकार ने डिलीट कर दिया था. वहीं, रीट परीक्षा-2022 में हाईकोर्ट के आदेश के चलते सरकार ने किसी भी बीएड अभ्यर्थी को लेवल-1 में शामिल ही नहीं किया.ऐसे में सीधे तौर पर राजस्थान में बीएड अभ्यर्थी प्रभावित नहीं होंगे.

लेकिन,ऐसे करीब 9 लाख अभ्यर्थी जिन्होंने रीट भर्ती परीक्षा-2020 में लेवल-1 की परीक्षा दी थी.वहीं जिन्हें उम्मीद थी कि वे परिणाम में सफल होंगे.राजस्थान हाईकोर्ट से बीएड धारियों के पक्षकार अधिवक्ता रामप्रताप सैनी का कहना है कि इन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश से झटका जरूर लगा लेकिन लेवल फर्स्ट में 2012 के बाद भर्ती नही हुई है,इसका राजस्थान में इतना प्रभाव नहीं पडेगा.हिमाचल वेस्ट,बंगाल में जरूर इस फैसले का बडा असर देखा जाएगा.

याचिकाकर्ता बोले,पूरे देश में जल्द लागू हो
बीएसटीसी संघर्ष समिति का बहुत बड़ी राहत मिली है.हम उम्मीद करते है सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पूरे देश में जल्द लागू किया जाएगा.

केस स्टडी से समझें,किसे फायदा-किसे नुकसान

अलवर के रहने वाले राहुल शर्मा 2018 से शिक्षक भर्ती की तैयारी कर रहे थे.2021 में उन्होंने थर्ड ग्रेड शिक्षक भर्ती का एग्जाम दिया था.राहुल ने ईडब्लूएस कोटे से परीक्षा दी थी,जिसमें राहुल का 129 कटऑफ के साथ सलेक्शन हो गया.राहुल का कहना है कि यदि लेवल 1 में बीएड धारियों को सम्मिलित कर दिया होता तो कटआॅफ और बढ जाती.सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मुझे राहत मिली है.यदि बीएडधारी भी लेवल 1 में शामिल होते तो मुझे बाहर होना पड़ता.

दौसा,लालसोट के रहने वाले शिवलाल बैरवा 2016 से शिक्षक भर्ती के लिए तैयारी कर रहे थे.2012 में शिवलाल ने एससी कोटे से परीक्षा दी थी.शिवलाल का 123 कटऑफ के साथ लेवल 1 में उनका सलेक्शन हो गया.उनका भी कहना है कि यदि बीएडधारियों को लेवल 1 में शामिल कर लिया होता तो मेरा सलेक्शन नहीं होता.

भरतपुर के रहने वाले देवेंद्र शर्मा को कोर्ट के इस फैसले के बाद झटका लगा है.पहली बार 2021 में रीट का एग्जाम दिया गया था,मैने लेवल 1 का एग्जाम दिया था.जिसमें 138 अंक आए थे.लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद मैं रेस में बाहर हो गया.यदि बीएड धारियों को लेवल 1 में शामिल कर लिया होता तो मेरा सलेक्शन हो गया होता.

सत्ता-विपक्ष ने फैसले का किया स्वागत

वहीं राजस्थान सरकार और विपक्ष के नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है.शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला का कहना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते है.कोर्ट ने जो भी फैसला सुनाया वो सर्वमान्य है.वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी नेता अरुण चतुर्वेदी ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सही बताया.उन्होंने कहा कि जिसका जिस पर हक था,उसे अपना हक मिल गया.इस आदेश के बाद अब विवाद खत्म हो गया है.

एनसीटीई के नोटिफिकेशन से शुरू हुआ था पूरा विवाद

दरअसल, राजस्थान सहित देशभर में ग्रेड थर्ड टीचर भर्ती परीक्षा के लेवल-1 में बीएसटीसी और इसके समकक्ष डिप्लोमा धारकों को ही पात्र माना जाता था.वहीं लेवल-2 के लिए बीएड डिग्री धारक होना जरूरी था.28 जून 2018 को एनसीटीई ने एक नोटिफिकेशन निकालकर कहा कि लेवल-1 के लिए बीएड डिग्रीधारी भी पात्र होंगे.वहीं नियुक्ति मिलने के बाद उन्हें 6 महीने में एक ब्रिज कोर्स करना पड़ेगा.

इसी नोटिफिकेशन से पूरे देश में यह विवाद शुरू हो गया था.इसके चलते बीएसटीसी और बीएड डिग्रीधारी आमने-सामने हो गए थे.इसके बाद हाईकोर्ट में नोटिफिकेशन के खिलाफ और पक्ष में याचिकाएं दायर हुई थीं.

राजस्थान हाईकोर्ट ने नोटिफिकेशन को कर दिया था रद्द

एनसीटीई के नोटिफिकेशन के आधार पर राजस्थान सरकार ने बीएड डिग्री धारकों को लेवल-1 में बैठने की अनुमति दे दी थी. इसके आधार पर रीट भर्ती परीक्षा 2020 में करीब 9 लाख अभ्यर्थी लेवल-1 में शामिल हुए थे. इसी दौरान बीएसटीसी अभ्यर्थियों ने सरकार के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी.

इस पर 25 नवम्बर 2021 को फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी की खंडपीठ ने एनसीटीई के नोटिफिकेशन को रद्द करते हुए रीट लेवल-1 में केवल बीएसटीसी डिग्रीधारियों को ही योग्य माना था.हाईकोर्ट ने इस मामले में बीएड डिग्री धारक कैंडिडेट को रीट लेवल वन के लिए अयोग्य ठहराते हुए इनका परीक्षा परिणाम निरस्त करने के भी आदेश दिए थे.इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

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