राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं पर गुरुवार को रक्षाबंधन उत्सव मनाया गया. स्वयंसेवकों ने ''हम प्रेम से सबको जोड़ेंगे मर्यादा को नहीं तोड़ेंगे. संकट कैसा भी विकट घना, कर्त्तव्य नहीं छोड़ेंगे'' भाव के साथ सामाजिक समरसता का संकल्प लिया.
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Jaipur: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं पर गुरुवार को रक्षाबंधन उत्सव मनाया गया. स्वयंसेवकों ने ''हम प्रेम से सबको जोड़ेंगे मर्यादा को नहीं तोड़ेंगे. संकट कैसा भी विकट घना, कर्त्तव्य नहीं छोड़ेंगे'' भाव के साथ सामाजिक समरसता का संकल्प लिया. इस मौके पर स्वयंसेवकों ने एक दूसरे को तथा सेवा बस्तियों में राखी बांधकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया.
संघ के छह राष्ट्रीय उत्सवों में रक्षाबंधन एक प्रमुख उत्सव के रूप में मनाया जाता है. संघ शाखाओं पर स्वयंसेवक उत्सव को मनाते हैं. शहर की अधिकतर शाखाओं पर रक्षाबंधन उत्सव मनाया गया. स्वयंसेवकों के साथ ही बड़ी संख्या में समाज के अन्य वर्गों के लोग भी उत्सव में शामिल हुए. संघ शाखाओं पर उत्सव के दौरान वक्ताओं ने देश में वर्तमान माहौल को देखते हुए समाज में मेलजोल और सामाजिक समरसता बढ़ाने की जरूरत बढ़ाई.
हिंदू जागरण से लेकर राजनीतिक तक
टोंक रोड पर हिम्मत नगर में माधव प्रौढ़ शाखा पर आयोजित कार्यक्रम में स्वयंसेवकों के साथ बुजुर्ग व्यक्ति भी कार्यक्रम में पहुंचे. इस मौके पर संघ विचारक निधिश गोयल ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि समाज को समृद्ध बनाने के लिए हिंदूओं को जागृत होना होगा. अखंड भारत की कल्पना फिर से साकार करनी होगी, इसके लिए प्रत्येक भारतीय को जुटना होगा. भारत का पुराना वैभव पुन: लौटाने का संकल्प लेना होगा. तुष्टीकरण की राजनीति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अवसरवादी राजनीतिज्ञों को बाहर का रास्ता दिखाना जरूरी है.
वर्तमान हालात में सामाजिक समरसता जरूरी- नंदसिंह
इसी तरह बरकत नगर में प्रताप शाखा पर आयोजित उत्सव में पूर्व शिक्षाविद् नंदसिंह शेखावत ने कहा कि देश प्रदेश में वर्तमान हालात को देखते हुए सामाजिक समरता की बहुत जरूरत है. समाज के उत्थान के लिए विभिन्न वर्ग भले ही अलग अलग कार्य करें, लेकिन दुष्ट शक्तियों से मुकाबले के लिए सब एकजुट होकर जुटें. हमारी संस्कृति का स्मरण करने के साथ ही उसे बढ़ावा देने के लिए कार्य करना होगा.
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अपनों के बीच पहुंचे स्वयंसेवक
शाखाओं पर कार्यक्रम के बाद स्वयंसेवक आसपास की कच्ची बस्तियों और वंचित बस्तियों में रहने वाले लोगों के घर पहुंचे. स्वयंसेवकों ने एक दूसरे के साथही बस्तियों में रहने वाले लोगों के हाथों पर रक्षा सूत्र बांधकर समानता, समरसता और समाज की रक्षा का संकल्प लिया. स्वयंसेवकों को अपने बीच पाकर बस्तिवालों के चेहरे खिल उठे.
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