यूनेस्को के अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के सचिव ने पर्यटन प्रमुख शासन सचिव से की भेंट
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1325956

यूनेस्को के अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के सचिव ने पर्यटन प्रमुख शासन सचिव से की भेंट

राजस्थान पर्यटन के प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के सचिव और निदेशक से मुलाकत की. प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि राजस्थान अपने इतिहासए संस्कृति-परम्परा और समृद्ध विरासत के लिए देश-दुनिया मे अद्वितीय है. 

यूनेस्को के अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के सचिव ने पर्यटन प्रमुख शासन सचिव से की भेंट

Jaipur: यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के सचिव और निदेशक राजस्थान दौरे पर सोमवार को राजस्थान पर्यटन के प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ से मुलाकत की. प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने कहा कि राजस्थान अपने इतिहासए संस्कृति-परम्परा और समृद्ध विरासत के लिए देश-दुनिया मे अद्वितीय है. राज्य सरकार और पर्यटन विभाग की ओर से इसके उन्नयन और संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि विश्व पटल पर यह अपनी विशिष्ट पहचान बना सके.

ये भी पढ़ें-  उदयपुर में मणप्पुरम गोल्ड लोन ऑफिस से ही बदमाश लूट ले गए 24 किलो सोना, मचा हड़कंप

राठौड़ से सोमवार को सचिवालय में यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के निदेशक, सचिव और प्रतिनिधियों की मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने यूनेस्को के प्रतिनिधियों के साथ राज्य में चल रही अमूर्त सांस्कृतिक, धरोहर और प्रोत्साहन परियोजना की प्रगति पर विस्तृत चर्चा की. उन्होंने बताया कि अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर प्रोत्साहन परियोजना के तहत राज्य के चार सीमावर्ती जिलों जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर में यह योजना चल रही है.

यूनेस्को की सूची में शामिल करने की अपील
प्रमुख शासन सचिव ने बताया कि परियोजना के तहत राज्य के लंगा, मांगणियार और मीर समुदाय के लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत पारम्परिक लोक गीत और संगीत को संरक्षित करने के लिए ख्याति प्राप्त लोक कलाकारों के निर्देशन में रिकॉर्डिंग करवाई गई है. इस क्षेत्र के पारम्परिक वाद्य यंत्रों जैसे कमायचा, सिंधी सारंगी, खड़ताल, मोरचंग और तन्दूरा आदि पारम्परिक संगीत और धुनों की रिकॉर्डिंग कर संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है. राठौड़ ने यूनेस्को निदेशक और सचिव, टीम कर्टिस से राजस्थान में सदियों से विकसित और प्रचलित विभिन्न कला परंपराओं को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में सम्मिलित करने में सहयोग करने की अपील की. यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के सचिव कर्टिस ने राजस्थान के प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक स्मारकों के साथ-साथ इसकी समृद्ध और विविध मौजूदा विरासत की प्रशंसा करते हुए अदभूत बताया.

विभिन्न जिलों में योजनाएं संचालित
यूनेस्को के साथ राज्य के चार जिलों जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर में अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर प्रोत्साहन परियोजना दिसम्बर- 2019 से शुरू की गई थी. इस परियोजना की अवधि 42 माह और लागत 7 करोड़ 12 लाख रूपये है. परियोजना के तहत 4 जिलों के 13 क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 1500 लोक कलाकारों और हस्तशिल्प कर्मियों के आर्थिक उन्नयन और कला विरासत के संरक्षण के लिए उनका कौशल विकास किया जा रहा है. इस अवसर पर पर्यटन निदेशक डॉण् रश्मि शर्मा, अतिरिक्त निदेशक ;प्रशासन मोण् सलीम खान, मुख्य लेखाधिकारी सुशील शर्मा, संयुक्त निदेशक आनन्द कुमार त्रिपाठी, यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के प्रतिनिधियों सहित पर्यटन विभाग के अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे.

अपने जिले की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

 

Trending news